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'बनारस से कानपुर', सत्याग्रह पदयात्रा का दूसरा चरण शुरू, पुलिस की घेराबंदी जारी
गांधी के शांति और सद्भाव के संदेश को हिंसा प्रभावित इलाकों तक पहुंचाने के लिए ये सत्याग्रही जगह-जगह लोगों से संवाद कर रहे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 Feb 2020
Nagrik Sattyagrah

गोरखपुर के चौरी चौरा से 2 फरवरी को शुरू हुई नागरिकता सत्याग्रह पदयात्रा सोमवार 24 फरवरी को अपने दूसरे चरण बनारस से कानपुर की ओर निकल चुकी है। गांधी के शांति और सद्भाव के संदेश को हिंसा प्रभावित इलाकों तक पहुंचाने के लिए ये सत्याग्रही जगह-जगह लोगों से संवाद कर रहे हैं, उन्हें हिंदू-मुस्लिम, जात-पात और बंटवारे की बातें छोड़कर रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के मुद्दों पर चर्चा की बात कर रहे हैं। हालांकि पुलिस प्रशासन भी लगातार कानून-व्यवस्था का हवाला देकर इनकी घेराबंदी कर रहा है।

रविवार, 23 फरवरी को सभी सत्याग्रहियों ने वाराणसी में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपने पहले चरण की पदयात्रा का बारे में बताते हुए कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन को समाज में नफरत फैलाने वाले लोगों पर नकेल कसनी चाहिए, उन्हें जेल में डालना चाहिए लेकिन ये लोग इसके विपरीत अहिंसा और प्यार का संदेश देने वालों को ही जेल में बंद कर रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा ने कहा, 'इस यात्रा का उद्देश्य किसी के खिलाफ नहीं है, यह समाज के भीतर एक संवाद की प्रक्रिया है, हमारी लड़ाई केवल आरएसएस बीजेपी से नहीं है बल्कि अपने भीतर के नफरत से है, समाज के भीतर भयंकर व भयावह नफरत है, उस नफरत से है।'

पत्रकार और लेखक प्रदीपिका ने कहा कि आज के समय में पत्रकारों को एक नागरिक के नज़रिए से सोचने की और नागरिक के साथ खड़े होने की ज़रूरत है। ये पदयात्रा अपने आप में खास है, इसका स्वागत होना चाहिए।

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गौरतलब है कि सत्याग्रहियों ने अबतक पिछले 20 दिनों में 287 किलोमीटर पदयात्रा की। 20 फरवरी को इस यात्रा का पहला चरण बनारस में समाप्त हुआ। इससे पहले 11 फरवरी को जब 10 पदयात्री गाज़ीपुर पहुंचे, तो पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। 12 फरवरी को इनकी ज़मानत के लिए एसडीएम ने अजीबो-गरीब शर्तें रखीं, इसके बाद13 फरवरी से इन सत्याग्रहियों ने जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी, जेल से भारतवासियों के नाम खत लिखा। शनिवार 15 फरवरी को इन लोगों के समर्थन में उपवास पर बैठे लोगों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

16 फरवरी को रिहाई के बाद जब लगातार भय, शोषण और दबाव का माहौल पुलिस और जिला प्रशासन बना रहा था तब भी पदयात्रियों ने अपनी यात्रा जारी रखी और 4 दिन में बनारस पहुंचे। खबरों के अनुसार16 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस दौरे के चलते इन सभी की गिरफ्तारी हुई थी क्योंकि इन शांतिपूर्ण पदयात्रियों से प्रधानमंत्री को खतरा था।

सत्याग्रह पदयात्रा में शामिल बीएचयू के छात्र राज अभिषेक ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत हम आज बनारस से कर रहे हैं, ये यात्रा कानपुर तक होगी। पुलिस हम पर लगातार यात्रा रोकने का दबाव बना रही है लेकिन गाज़ीपुर और वाराणसी में लोगों से मिले समर्थन और प्यार ने हमारे उत्साह को और बढ़ा दिया है। हमारी यात्रा जो सद्भावना, प्यार और अमन के रास्ते से शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोज़गारी पर बात करने की है, वो निरंतर आगे बढ़ती रहेगी।'

बता दें कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने मिलकर एक फैक्ट फाइंडिंग टीम बनाई थी, जिसने उत्तर प्रदेश के 15 हिंसा प्रभावित जिलों का दौरा किया था जहां दिसंबर में CAA-NRC प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई थी। इस टीम में देश के 30 प्रमुख विश्वविद्यालय (जैसे बीएचयू, डीयू, जेएनयू, जामिया, आईआईटी-दिल्ली, आईआईएमसी, एनएलयू, आईआईएम-अहमदाबाद, इलाहाबाद विश्वविद्यालय इत्यादि) के छात्र शामिल थे। इस टीम की रिपोर्ट के बाद इस पदयात्रा की शुरुआत हुई।

सत्याग्रही विकास सिंह बताते हैं, ‘हमारा देश एक मिली-झुली संस्कृति वाला देश है, यहां नफरत और बंटवारे की कोई जगह नहीं है। इस पदयात्रा के दौरान हमने लगभग 1 लाख लोगों से जीवन, बेरोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा और समाज में नफरत-बंटवारे जैसे मुद्दे पर बातचीत की। यात्रा के दौरान महिलाओं, किसानों, स्कूल-कॉलेज में छात्रों के समूह से बातचीत कर उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास किया। साथ ही सबको शांति और भाईचारे का संदेश भी दिया।'

Nagrik Sattyagrah
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