NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या टिकट बंटवारे के नाम पर बीजेपी ख़ुद की ही फ़ज़ीहत करवाने में लगी है?
पार्टी कई जगह अपने कार्यकर्ताओं-नेताओं को छोड़कर सीट जिताने वाले ऐसे लोगों पर दांव चल रही है जो ख़ुद चुनावी मैदान में उतरना ही नहीं चाहते। पार्टी उम्मीदवार घोषित होने के बावजूद कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस समय दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की टिकट पर चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते।
सोनिया यादव
20 Mar 2021
शिखा मित्रा और तरुण साहा। इन दोनों नेताओं ने बीजेपी के टिकट से इंकार कर दिया है। 
शिखा मित्रा और तरुण साहा। इन दोनों नेताओं ने बीजेपी के टिकट से इंकार कर दिया है। 

‘येन-केन-प्रकारेण’ की कहावत तो आपने सुनी ही होगी, अब भारतीय जनता पार्टी भी इसे अपने चुनावी जीत का मंत्र बनाती दिखाई दे रही है। पार्टी कई जगह अपने कार्यकर्ताओं-नेताओं को छोड़कर सीट जिताने वाले ऐसे लोगों पर दांव चल रही है जो खुद चुनावी मैदान में उतरना ही नहीं चाहते। एक ओर कलाकार, अभिनेता और बड़े नेताओं के बीच बीजेपी में शामिल होने की होड़ लगी हुई है तो वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इस समय दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की टिकट पर चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते। यानी बीजेपी चाहती है की वो पार्टी की टिकट पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़े, बाकायदा उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम तक जगजाहिर कर दिया जाता है लेकिन इसके बाद इन लोगों के इंकार से बीजेपी अलग ही फ़ज़ीहत में पड़ती दिखाई देती है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी ने बीते गुरुवार, 18 मार्च को पश्चिम बंगाल के पांचवें छठे, सातवें और आठवें चरण के चुनाव के लिए 148 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इस सूची में पार्टी ने तरुण साहा को काशीपुर-बेलगाचिया सीट और दिवंगत कांग्रेस नेता सोमेन मित्रा की पत्नी शिखा मित्रा को चौरिंगी सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। लेकिन तरुण साहा और शिखा मित्रा दोनों ने बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। दोनों नेताओं ये तक कह दिया कि बीजेपी ने स्वीकृति के बिना उनकी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी।

तरुण साहा और शिखा मित्रा ने किया इंकार

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, काशीपुर-बेलगाचिया सीट से तृणमूल कांग्रेस की निवर्तमान विधायक माला साहा के पति तरुण साहा ने बीजेपी के टिकट पर आने वाले चुनाव में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस के साथ हैं और बाजेपी ने उनसे सलाह लिए बिना उन्हें प्रत्याशियों की सूची में शामिल किया है।

काशीपुर-बेलगाचिया सीट पर माला साहा ने तृणमूल की ओर से साल 2011 और 2016 के विधानसभा चुनाव में लगातार जीत दर्ज की थी। हालांकि इस समय पार्टी ने कोलकाता के डिप्टी मेयर अतिन घोष को यहां से टिकट दिया है।

इसी तरह बीजेपी ने शिखा मित्रा को शहर की चौरिंगी सीट से टिकट दिया था लेकिन उम्मीदवारी की घोषणा के तुरंत बाद ही उन्होंने कहा कि उनकी स्वीकृति के बिना उनके नाम का ऐलान किया गया है और वह राजनीति में नहीं आएंगी। मित्रा ने खुद के बीजेपी में शामिल होने के कयासों पर भी विराम लगा दिया।

पत्रकारों से बातचीत में मित्रा ने कहा, “मैं कहीं से चुनाव नहीं लड़ रही। मेरी अनुमति के बिना मेरे नाम की घोषणा की गई। मैं बीजेपी में भी शामिल नहीं होऊंगी।”

मालूम हो कि शिखा ने चौरिंगी सीट पर टीएमसी की ओर से साल 2011 में जीत दर्ज की थी। हालांकि बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गईं। शिखा के इस्तीफा दे देने से साल 2014 में यहां उपचुनाव कराए गए थे, जिसमें तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी नयना बंदोपाध्याय ने विजय हासिल की थी। 2016 में भी नयना ने यहां से जीत हासिल की। इस चुनाव में भी नयना बंदोपाध्याय एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस की ओर से मैदान में हैं।

मणिकानंदन ने चुनावी टिकट के बदले बीजेपी को अंबेडकर का ज्ञान दे दिया!

बंगाल से पहले केरल में भी बीजेपी को कुछ ऐसी ही फ़ज़ीहत का सामना करना पड़ा है। यहां विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र बीजेपी ने अपना पूरा जोर लगाया हुआ है। जीत के लिए ‘युवा शक्ति’ के प्रतिनिधि के रूप में 88 साल के मेट्रो मैन कहे जाने वाले ई श्रीधरन को मुख्यमंत्री का चेहरा बना दिया गया तो वहीं कई दिग्गजों से पार्टी संपर्क साधने में लगी हुई है।

केरल विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 14 मार्च को 115 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया था। इसमें कई बड़े नाम शामिल थे, इसी लिस्ट में पार्टी ने मणिकानंदन सी को मनंतवाड़ी विधानसभा सीट से टिकट दिया था। ये सीट वायनाड जिले में है और आदिवासियों के लिए आरक्षित है।

मणिकानंदन को लोग मणिकुट्टन के नाम से भी जानते हैं, वे आदिवासी समुदाय को जागरूक करने का काम करते हैं। उनका अपने समाज में अच्छा-खासा मान सम्मान है। यही कारण था कि बीजेपी चाहती थी की वो यहां से चुनाव लड़े लेकिन मणिकानंदन ने सीट लेने से इनकार कर दिया है ।

इंकार के बावजूद बीजेपी ने टिकट दे दिया

द न्यूज मिनट (TNM) से बात करते हुए मणिकानंदन ने कहा कि उन्हें उम्मीदवार घोषित किया गया, जबकि उन्होंने पार्टी को बता दिया था कि वो 'चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।'

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मणिकानंदन ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव न लड़ने का ऐलान करते हुए सोशल मीडिया पर डॉ. बीआर अंबेडकर का एक वाक्य भी लिखा। उन्होंने लिखा, "अगर मुझे उल्टा टांग भी दिया जाए, तब भी मैं अपने लोगों के साथ धोखा नहीं करूंगा।"

आपको बता दें कि  मणिकुट्टन पनिया आदिवासी समुदाय से आते हैं और वे इस समुदाय के पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने एमबीए किया है। मैनेजमेंट ग्रेजुऐट मणिकानंदन अभी केरल वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी में टीचिंग असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। वो वायनाड जिले में ट्राइबल समुदाय से जुड़े मुद्दों पर मुखर रहते हैं और सक्रिय रूप से काम भी करते हैं। उनका कहना है कि बीजेपी की ओर से चुनाव लड़ना दलित-आदिवासियों के साथ किया गया विश्वासघात होगा।

बीजेपी की चुनावी राजनीति का असर

गौरतलब है कि इन विधानसभा चुनावों में बीजेपी ममता के किले में सेंध की तैयारी कर रही है तो वहीं केरल में ईसाई समुदाय में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। इन दोनों राज्यों में बीजेपी का कोई खासा वोटबैंक नहीं है लेकिन पार्टी अपनी ‘येन-केन-प्रकारेण’ की राजनीति से अपनी जगह बनाना चाहती है।

अगर पश्चिम बंगाल की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे करीब आती जा रही हैं बीजेपी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। टिकट डिस्ट्रिब्यूशन को लेकर स्थानीय कार्यकर्ता लगातार विरोध जाहिर कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी ने जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव और अनदेखी की है। इसको लेकर मालदा, जलपाईगुड़ी, मुर्शिदाबाद, उत्तर 24 परगना सहित कई जगहों पर हिंसक विरोध-प्रदर्शन जैसे हालात भी देखे गए।

माना जा रहा है कि राज्य में अब बीजेपी का हिंदुत्व कार्ड भी कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है। बाजेपी ने इस बार करीब 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इससे समीकरण बदल गया है। एक महीना पहले तक जिस ध्रुवीकरण की बात हो रही थी, उस पर अब ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है।

अगर केरल के समीकरण को देखें तो मुस्लिम और ईसाई समुदाय केरल की कुल आबादी का 48 फ़ीसदी हैं। इसमें मुस्लिम बहुसंख्यक समुदाय है, लेकिन अल्पसंख्यक समुदायों ने बीजेपी को अब तक केरल की सत्ता से दूर रखा हुआ था। ऐसे में हर चुनाव में सत्ता बारी-बारी से सीपीएम के नेतृत्व वाली एलडीएफ़ और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ़ के हाथ जा रही थी। लेकिन अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी केरल की द्विध्रुवीय राजनीति पर एक असर छोड़ने में कामयाब रहती है या उसकी विचारधारा को यहां के लोग नकार देते हैं।

West Bengal
West Bengal Elections 2021
BJP
Modi Govt
Shikha Mitra
Tarun Saha
TMC
mamta banerjee

Related Stories

राज्यपाल की जगह ममता होंगी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति, पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने पारित किया प्रस्ताव

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License