NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एमएलसी चुनाव परिणाम: राजद के मेरे अपने, फिर भी टूट गए सपने, क्यों?
बिहार में 23 सीटों पर चुनाव लड़ कर राजद ने जिन छह सीटों पर जीत हासिल की है, उनमें से 3 पर भूमिहार, 1 पर वैश्य और 1 पर राजपूत जाति से आने वाले उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। राजद का एक भी मुस्लिम कैंडिडेट नहीं जीत सका।
शशि शेखर
12 Apr 2022
tejashwi yadav

पंचायती राज में कथित तौर पर राजद समर्थकों की संख्या ज्यादा, फिर भी विधानपरिषद चुनाव में राजद को अपेक्षित सफलता क्यों नहीं मिली...?

बिहार में 4 अप्रैल को विधान परिषद चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले जब इस संवाददाता ने राजद के एक वरिष्ठ और लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी नेता सैयद फैसल अली से ये पूछा कि राजद के माई से ए टू जेड बनने को आप कैसे देखते हैं, तो उनका कहना था कि यह बदलाव अच्छा है, लेकिन माई की कभी अनदेखी नहीं की जाएगी। उनके इस बयान को अगर विधानपरिषद चुनाव के नतीजों से जोड़ कर देखे तो एक ऐसी तस्वीर उभर कर सामने आती है, जिसमें माई समीकरण के लिए कोई जगह ही नहीं बची दिखती है। मसलन, 23 सीटों पर चुनाव लड़ कर राजद ने जिन छह सीटों पर जीत हासिल की है, उनमें से 3 पर भूमिहार, 1 पर वैश्य और 1 पर राजपूत जाति से आने वाले उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। राजद का एक भी मुस्लिम कैंडिडेट नहीं जीत सका। मधुबनी और नवादा से राजद के दो बागी यादव उम्मीदवारों ने राजद के अधिकृत उम्मीदवार को हरा दिया। तो आखिर इस परिणाम को किस नजरिये से देखा जाना चाहिए?

मेरे अपने, फिर भी टूटे सपने!

एक बहुत ही दिलचस्प सीट पूर्वी चंपारण रही। यहाँ से निर्दलीय महेश्वर सिंह चुनाव जीत गए और राजद के भूमिहार जाति से आने वाले प्रत्याशी बब्लू देव चुनाव हार गए। यह स्थिति तब हुई जब राजद के जिलाध्यक्ष सुरेश यादव का दावा था कि पंचायती राज (एमएलसी चुनाव के मतदाता) में 80 फीसदी से अधिक हमारे लोग (राजद कैडर) चुनाव जीत कर आए हैं। तो सवाल है कि “हमारे लोगों” ने राजद को वोट क्यों नहीं दिया? इसकी कई वजहें हो सकती हैं। मसलन, एमएलसी चुनाव एक अलग तरह का चुनाव होता है, जिसमें आम जन की भागीदारी नहीं होती और फिर स्थानीय समीकरण भी अपना काम करता है। लेकिन, चुनाव परिणाम (ख़ास कर टिकट बंटवारे के समय बनाए जाने वाले समीकरण) के मद्देनजर इस परिणाम की एनालिसिस की जाए तो राजद के लिए क्या तस्वीर बनती है?

छूटता जा रहा है माई का प्यार?

अकेले बिहार में एम (मुस्लिम) और वाई (यादव) मिल कर करीब 27 से 29 फीसदी वोट हैं। इस वोट को एक साथ अपनी पार्टी में ला कर, उसे लंबे समय तक इन्टैकट रखने में लालू प्रसाद यादव का बहुत बड़ा योगदान रहा, उनकी मेहनत रही। इसी की बदौलत लालू प्रसाद यादव 15 सालों तक बिहार की गद्दी पर इकतरफा शासन करते रहे। जाहिर है, इसमें ओबीसी, ईबीसी, एससी और टोकन के तौर पर सामान्य वर्ग के मतदाता भी जुड़े रहे। लेकिन, लालू प्रसाद यादव ने कभी भी माई की अनदेखी नहीं होने दी। इसी बात को उनके करीबी सैयद फैसल अली भी इस संवाददाता से बातचीत में दुहराते है कि समय के साथ बदलाव (माई से ए टू जेड) अच्छी बात है लेकिन माई की अनदेखी कभी नहीं होगी। लेकिन, तेजस्वी यादव अब अपनी स्वतंत्र राजनीतिक छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अच्छी बात ये है कि 2020 के चुनाव में उन्होंने खुद को साबित भी किया। चुनाव प्रचार में बिना अपने माता-पिता के, उन्होंने पूरे चुनावी कमान को खुद संभाला और सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के रूप में उभर कर सामने आए। उस चुनाव के सारे मुद्दे भी उन्होंने खुद ही तय किए। उसी वक्त उन्होंने ए टू जेड की बात की थी। हालांकि, उनकी इस सफलता में तब भी “माई” के योगदान को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस थोड़े से अंतर से वे सत्ता से दूर रहे, उसकी एक वजह “माई” के प्यार में आई कमी भी हो सकती है।

ए टू जेड बनाम हिंदुत्व

बिहार की राजनीति में राजद के लिए जद(यू) एक बफर जोन के रूप में भी काम करता है। यानी, जिस दिन भाजपा और राजद सीधे मुकाबले में आमने-सामने होंगे, उस दिन भाजपा अपनी ख़ास राजनीतिक शैली की वजह से राजद के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। इसका अर्थ ये है कि नीतीश कुमार के बाद अगर जद (यू) कमजोर होती है तो भाजपा येन-केन-प्रकारेण सबसे पहले जद (यू) को अपने रास्ते से हटाएगी। पिछले 18 सालों से जद(यू) ही बिहार में भाजपा के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा रहा है, अन्यथा आज बड़ी पार्टी होने के बाद भी बिहार भाजपा को डिप्टी सीएम से संतोष करना पड़ता है। लेकिन, जिस दिन जद(यू) कमजोर होगी, भाजपा के सामने सीधे राजद होगा। फिर उस दिन तेजस्वी यादव के ए टू जेड पर भाजपा का हिंदुत्व कार्ड बहुत भारी पडेगा। उस दिन तेजस्वी यादव को उस कठिन राह से गुजरना होगा, जहां हिंदुत्व के आगे ए टू जेड को एक करने का हिमालयन टास्क होगा। सवाल है कि क्या तेजस्वी यादव ऐसी स्थिति का सामना बिना “माई” के सौ फीसदी समर्थन के बिना कर पाएंगे?

“वाई” बनाम “वाई”!

लेकिन, तब एक और दिक्कत होगी। तब बिहार में संभवत: वाई बनाम वाई समीकरण भी बनेगा। भाजपा, राजद के वाई का जवाब तलाशने के लिए “वाई” को आगे कर दे, इसकी संभावना भी रहेगी। तब क्या होगा? रह गया “एम”, तो पिछले 8 साल के राजनीतिक प्रक्रिया में भाजपा ने बार-बार साबित किया है कि उसे मुस्लिम वोटों की चिंता ही नहीं है, बल्कि “एम” माइनस ए टू जेड कर के वह सत्ता पा लेती है। सैद्धांतिक तौर पर भाजपा भी कहती है, “सबका साथ, सबका विकास”, लेकिन जमीनी स्तर पर इस सिद्धांत का कितना पालन होता है, यह सभी जानते है। क्योंकि भाजपा को अपने कोर वोटर की चिंता ज्यादा है, बजाए ए टू जेड के। ऐसी स्थिति में तेजस्वी यादव का ए टू जेड समीकरण सैद्धांतिक तौर पर भले सही हो, अच्छा दिखता हो, लेकिन भाजपा की आक्रामक राजनीति शैली का मुकाबला वो इस सैद्धांतिक समीकरण के सहारे कर पाएंगे, कहना कठिन है। कम से कम हालिया विधान परिषद चुनाव के परिणाम से तो यही संकेत निकलते दिख रहे हैं।

(लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Tejashwi Yadav
Bihar
MLC Election
MLC election result
muslim candidates
Caste vote bank
Muslim voters

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी


बाकी खबरें

  • भाषा
    हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा
    02 Jun 2022
    भाजपा में शामिल होने से पहले ट्वीट किया कि वह प्रधानमंत्री के एक ‘‘सिपाही’’ के तौर पर काम करेंगे और एक ‘‘नए अध्याय’’ का आरंभ करेंगे।
  • अजय कुमार
    क्या जानबूझकर महंगाई पर चर्चा से आम आदमी से जुड़े मुद्दे बाहर रखे जाते हैं?
    02 Jun 2022
    सवाल यही उठता है कि जब देश में 90 प्रतिशत लोगों की मासिक आमदनी 25 हजार से कम है, लेबर फोर्स से देश की 54 करोड़ आबादी बाहर है, तो महंगाई के केवल इस कारण को ज्यादा तवज्जो क्यों दी जाए कि जब 'कम सामान और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 
    02 Jun 2022
    दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बाद केरल और महाराष्ट्र में कोरोना ने कहर मचाना शुरू कर दिया है। केरल में ढ़ाई महीने और महाराष्ट्र में क़रीब साढ़े तीन महीने बाद कोरोना के एक हज़ार से ज्यादा मामले सामने…
  • एम. के. भद्रकुमार
    बाइडेन ने यूक्रेन पर अपने नैरेटिव में किया बदलाव
    02 Jun 2022
    एनआईटी ऑप-एड में अमेरिकी राष्ट्रपति के शब्दों का उदास स्वर, उनकी अड़ियल और प्रवृत्तिपूर्ण पिछली टिप्पणियों के ठीक विपरीत है।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    नर्मदा के पानी से कैंसर का ख़तरा, लिवर और किडनी पर गंभीर दुष्प्रभाव: रिपोर्ट
    02 Jun 2022
    नर्मदा का पानी पीने से कैंसर का खतरा, घरेलू कार्यों के लिए भी अयोग्य, जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, मेधा पाटकर बोलीं- नर्मदा का शुद्धिकरण करोड़ो के फंड से नहीं, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट रोकने से…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License