NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एमपीपीएससी परीक्षा के प्रश्नपत्र में भीलों को "आपराधिक प्रवृत्ति" का बताये जाने पर बवाल
"यह मामला दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन प्रश्नपत्र में संबंधित गद्यांश रखे जाने के पीछे किसी भी व्यक्ति की कोई दुर्भावना नहीं थी। हम देख रहे हैं कि यह चूक कैसे हुई और इसे दुरुस्त करने के लिये हम कौन-सा कदम उठा सकते हैं।"
भाषा
13 Jan 2020
MPPSC

इंदौर/भोपाल : मध्य प्रदेश की राज्य प्रशासनिक सेवा की रविवार को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र में भील समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों से विवाद खड़ा हो गया है जिसके बाद भाजपा ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है, वहीं कांग्रेस के एक विधायक ने मुख्यमंत्री से खेद जताने की मांग कर दी है।

 प्रश्नपत्र के एक गद्यांश में "आपराधिक प्रवृत्ति" वाले लोगों के रूप में भीलों का विवादास्पद सामान्यीकरण किया गया है। इसके साथ ही, विवाह से जुड़ी एक प्रथा के कारण भील समुदाय को "शराब में डूबती जा रही जनजाति" बताया गया है।

इस पर मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और भाजपा विधायक राम दांगोरे समेत कांग्रेस के कुछ विधायकों ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है, तो वहीं कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी सदन में खेद व्यक्त करना चाहिए।

विवाद बढ़ने के बीच मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की सचिव रेणु पंत ने सोमवार को "पीटीआई-भाषा" से कहा, "यह मामला दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन प्रश्नपत्र में संबंधित गद्यांश रखे जाने के पीछे किसी भी व्यक्ति की कोई दुर्भावना नहीं थी। हम देख रहे हैं कि यह चूक कैसे हुई और इसे दुरुस्त करने के लिये हम कौन-सा कदम उठा सकते हैं।"

उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि एमपीपीएससी की आयोजित भर्ती परीक्षाओं के प्रश्नपत्र तैयार करने वाले लोगों को हमेशा हिदायत दी जाती है कि वे इनमें किसी भी वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली विषयवस्तु न रखें।

प्रदेश के खंडवा जिले के पंधाना क्षेत्र के भाजपा विधायक राम दांगोरे (30) ने भी मामले में आपत्ति जतायी है। पेशे से अध्यापक दांगोरे भील जनजाति से ही ताल्लुक रखते हैं। वह एक उम्मीदवार के रूप में उसी एमपीपीएससी परीक्षा में शामिल हुए थे जिसके पर्चे में इस समुदाय को लेकर विवादास्पद गद्यांश रखा गया था।

 दांगोरे ने "पीटीआई-भाषा" से कहा, "हम सूबे में कांग्रेस के राज में भील जनजाति का अपमान सहन नहीं करेंगे। टंट्या भील सरीखे हमारे बहादुर पुरखों ने अंग्रेजों के खिलाफ छेड़े गये स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति तक दी है।"

उन्होंने मांग की कि प्रदेश सरकार एमपीपीएससी की सचिव रेणु पंत को तत्काल पद से हटाये। इसके साथ ही, प्रश्नपत्र तैयार करने में आपत्तिजनक चूक के जिम्मेदार लोगों पर अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाये। दांगोरे आदिवासी बच्चों को पीएससी की कोचिंग भी देते हैं।

मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘‘ आदिवासियों का देश की आजादी के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये हमारी संस्कृति के रक्षक हैं। एमपीपीएससी परीक्षा के प्रश्नपत्र में भोले-भाले भीलों को आपराधिक प्रवृत्ति का बताया जाना शर्मनाक है और सम्पूर्ण आदिवासी समाज का अपमान है। पहले आदिवासी विधायकों का अपमान और अब सम्पूर्ण भील समाज को इस तरह कहना प्रदेश सरकार की आदिवासी विरोधी सोच को उजागर करता है। मुख्यमंत्री कमलनाथ तत्काल दोषियों पर कार्रवाई करे।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वियज सिंह के छोटे भाई, पार्टी के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह ने इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ से खेद व्यक्त करने की मांग के साथ ट्वीट किया, ‘‘ भील समाज पर प्रदेश शासन के प्रकाशन पर अशोभनीय टिप्पणी से आहत हूँ।

अधिकारी को तो सजा मिलनी ही चाहिए, परन्तु मुख्यमंत्री को भी सदन में खेद व्यक्त करना चाहिए, आखिर वह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इससे अच्छा संदेश जाएगा।’’

पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं झाबुआ विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक कांतिलाल भूरिया ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए एमपीपीएससी के चेयरमैन और सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग प्रदेश सरकार से की है।

एमपीपीएससी की आयोजित भर्ती परीक्षा के इस प्रश्नपत्र का एक गद्यांश भील जनजाति पर आधारित था और परीक्षार्थियों को इसे पढ़कर कुछ सवालों के उत्तर देने थे। विवादास्पद गद्यांश में कहा गया, "भीलों की आपराधिक प्रवृत्ति का एक प्रमुख कारण यह भी है कि (वे) सामान्य आय से अपनी देनदारियां पूरी नहीं कर पाते। फलत: धन उपार्जन की आशा में गैर वैधानिक और अनैतिक कार्य में भी संलिप्त हो जाते हैं।

भीलों की "वधू मूल्य" (वो राशि और उपहार जो विवाह के वक्त वर पक्ष द्वारा वधू के परिजनों को दिये जाते हैं) प्रथा का जिक्र करते हुए गद्यांश में यह भी कहा गया, "भील, वधू मूल्य रूपी पत्थर से बंधी शराब के अथाह सागर में डूबती जा रही जनजाति है।"

इस गद्यांश पर कई आदिवासी संगठनों, विद्यार्थी संगठनों तथा राजनेताओं ने आक्रोश जताया है। प्रश्नपत्र तैयार करने वाले लोगों के साथ ही एमपीपीएससी के आला अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज किये जाने की मांग जोर पकड़ रही है।

Untitled_61.png

MPPSC
MPPSC Exam
Madhya Pradesh
Bhil community
kamalnath

Related Stories

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

एमपी ग़ज़ब है: अब दहेज ग़ैर क़ानूनी और वर्जित शब्द नहीं रह गया

मध्यप्रदेशः सागर की एग्रो प्रोडक्ट कंपनी से कई गांव प्रभावित, बीमारी और ज़मीन बंजर होने की शिकायत

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग


बाकी खबरें

  • एम.ओबैद
    एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे
    26 Apr 2022
    चयनित शिक्षक पिछले एक महीने से नियुक्ति पत्र को लेकर प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन मांग पूरी न होने पर अंत में आमरण अनशन का रास्ता चयन किया।
  • अखिलेश अखिल
    यह लोकतांत्रिक संस्थाओं के पतन का अमृतकाल है
    26 Apr 2022
    इस पर आप इतराइये या फिर रुदाली कीजिए लेकिन सच यही है कि आज जब देश आज़ादी का अमृतकाल मना रहा है तो लोकतंत्र के चार प्रमुख स्तम्भों समेत तमाम तरह की संविधानिक और सरकारी संस्थाओं के लचर होने की गाथा भी…
  • विजय विनीत
    बलिया पेपर लीक मामला: ज़मानत पर रिहा पत्रकारों का जगह-जगह स्वागत, लेकिन लड़ाई अभी बाक़ी है
    26 Apr 2022
    "डबल इंजन की सरकार पत्रकारों को लाठी के जोर पर हांकने की हर कोशिश में जुटी हुई है। ताजा घटनाक्रम पर गौर किया जाए तो कानपुर में पुलिस द्वारा पत्रकारों को नंगाकर उनका वीडियो जारी करना यह बताता है कि…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जन आंदोलनों के आयोजन पर प्रतिबंध अलोकतांत्रिक, आदेश वापस लें सरकार : माकपा
    26 Apr 2022
    माकपा ने सवाल किया है कि अब जन आंदोलन क्या सरकार और प्रशासन की कृपा से चलेंगे?
  • ज़ाहिद खान
    आग़ा हश्र काश्मीरी: गंगा-ज़मुनी संस्कृति पर ऐतिहासिक नाटक लिखने वाला ‘हिंदोस्तानी शेक्सपियर’
    26 Apr 2022
    नाट्य लेखन पर शेक्सपियर के प्रभाव, भारतीय रंगमंच में महत्वपूर्ण योगदान और अवाम में उनकी मक़बूलियत ने आग़ा हश्र काश्मीरी को हिंदोस्तानी शेक्सपियर बना दिया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License