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भीमा-कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा की ज़मानत याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित
उच्चतम न्यायालय ने तीन मार्च को नवलखा की याचिका पर एनआईए से जवाब मांगा था जिसमें कहा गया था कि मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं किए जाने के कारण उन्हें जमानत दी जाए।
भाषा
26 Mar 2021
भीमा-कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा की ज़मानत याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने भीमा-कोरेगांव के एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जमानत का अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल तथा एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

उच्चतम न्यायालय ने तीन मार्च को नवलखा की याचिका पर एनआईए से जवाब मांगा था जिसमें कहा गया था कि मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं किए जाने के कारण उन्हें जमानत दी जाए।

पुलिस के अनुसार, 31 दिसंबर, 2017 को कुछ कार्यकर्ताओं ने पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए थे, जिससे अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की।

पुलिस का यह भी आरोप है कि कुछ माओवादी समूहों ने इस घटना का समर्थन किया था।

इससे पहले, उच्च न्यायालय ने कहा था, "उसे एक विशेष अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता, जिसने उनकी जमानत याचिका पहले खारिज कर दी थी।"

नवलखा ने पिछले साल विशेष एनआईए अदालत के 12 जुलाई, 2020 के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। एनआईए अदालत ने वैधानिक जमानत के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

उच्च न्यायालय ने नवलखा द्वारा दायर याचिका पर पिछले साल 16 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। नवलखा ने दलील थी कि वह 90 दिनों से अधिक समय से हिरासत में हैं लेकिन अभियोजन इस मामले में इस अवधि के दौरान उनके खिलाफआरोप पत्र दायर करने में विफल रहा।

gautam navlakha
Bhima Koregaon
NIA
Supreme Court
Navlakha Bail

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