NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भीमा-कोरेगांव : सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा की गिरफ्तारी से संरक्षण की अवधि बढ़ाई
महाराष्ट्र सरकार के वकील ने जब नवलखा को और अंतरिम संरक्षण दिये जाने का विरोध किया तो पीठ ने सवाल किया कि उन्होंने एक साल से ज्यादा समय तक उनसे पूछताछ क्यों नहीं की थी। उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनन गोंजाल्विस की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Oct 2019
gautam lavlakha

सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और लेखक गौतम नवलखा को गिरफ्तारी से प्राप्त अंतरिम संरक्षण की अवधि मंगलवार को चार सप्ताह के लिये बढ़ा दी।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने गौतम नवलखा से कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिये वह संबंधित अदालत में जायें।

महाराष्ट्र सरकार के वकील ने जब नवलखा को और अंतरिम संरक्षण दिये जाने का विरोध किया तो पीठ ने सवाल किया कि उन्होंने एक साल से ज्यादा समय तक उनसे पूछताछ क्यों नहीं की थी।

गौतम नवलखा ने 31 दिसंबर, 2017 को ऐलगार परिषद के बाद कोरेगांव-भीमा में हुयी हिंसा की घटना के सिलसिले में जनवरी, 2018 में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से इंकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के 13 सितंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दे रखी है।

bhima case.PNG
उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनन गोंजाल्विस की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल ने आरोपी आवेदकों के लिए वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई, डॉ.युग मोहित चौधरी और सुदीप पासबोला समेत खचाखच भरे कोर्ट रूम में ये फैसला सुनाया।

न्यायमूर्ति कोतवाल ने 26 अगस्त को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी और 7 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखा था। सभी तीन आरोपियों पर पुणे पुलिस द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के अन्य प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें उन पर 1 जनवरी, 2018 को कोरेगांव भीमा में हुई जाति-आधारित हिंसा को भड़काने का आरोप लगाया गया है।

वरनन गोंजाल्विस की ओर से पेश मिहिर देसाई ने तर्क दिया कि गोंजाल्विस एक साल से जेल में हैं और पुणे पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें उसका नाम भी नहीं है। पुलिस ने केवल दो अयोग्य, अहस्ताक्षरित पत्रों पर भरोसा किया है जो किसी और के लैपटॉप से बरामद हुए हैं।

डॉ .युग चौधरी सुधा भारद्वाज के लिए पेश हुए, जो पिछले अक्टूबर से पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में हैं। चौधरी ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार, उनके द्वारा जारी किए गए पत्र कंप्यूटर से उत्पन्न नहीं किए गए हैं, इसके बजाय उन्हें आरोपियों की हार्ड ड्राइव में कॉपी किया गया है। इसका अर्थ है कि उनके पास एक भी दस्तावेज की मूल प्रति नहीं है। सभी दस्तावेज़ टाइप किए गए हैं।

फरेरा की ओर से तर्क साथ ही अरुण फरेरा के वकील सुदीप पासबोला ने पीठ को बताया कि फरेरा एक एक्टिविस्ट और वकील हैं जिन्होंने आदिवासी अधिकारों के लिए काम किया है। गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत बुक होने के बाद नागपुर जेल में 5 साल बिताने वाले फरेरा को उनके खिलाफ दर्ज 12 मामलों में बरी कर दिया गया था। पासबोला ने पुणे पुलिस द्वारा लगाए गए आरोप का भी खंडन किया कि फरेरा ने 9-10 दिसंबर, 2017 को केरल में IAPL (इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स ) की एक बैठक में भाग लिया, जो भारत में नक्सलबाड़ी आंदोलन की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए आयोजित किया गया था। एपीपी अरुणा पई ने सभी तीन जमानत आवेदनों का विरोध किया।

(समाचार एजेंसी भाषा और वेबसाइट लाइव लॉ के इनपुट के साथ)

Gautam Navlkha
Supreme Court
Bhima Koregaon
Bhima Koregaon Case
Bombay High Court

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License