NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भीमा कोरेगांव: HC ने वरवर राव, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा को जमानत देने से इनकार किया
कोर्ट ने आरोपी की डिफॉल्ट बेल को खारिज करने के आदेश में जमानत और तथ्यात्मक सुधार की मांग करने वाली एक समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया
सबरंग इंडिया
05 May 2022
bhima koregaon

4 मई, 2022 को, बॉम्बे हाई कोर्ट ने वरवर राव, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें डिफ़ॉल्ट जमानत और आदेश में तथ्यात्मक सुधार की मांग की गई थी। ये सभी भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी हैं। वरवरा राव मेडिकल जमानत पर बाहर हैं, जबकि अन्य दो याचिकाकर्ता जेल में हैं।
 
जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की अगुवाई वाली एक खंडपीठ ने 22 मार्च, 2022 को आदेश के लिए इसे आरक्षित करने के बाद आज समीक्षा आवेदन का निपटारा किया। लाइव लॉ  के मुताबिक पीठ ने कहा, “पुनरीक्षण अधिकार क्षेत्र के प्रयोग का कोई मामला नहीं बनता है। एक प्वाइंट जिस पर आग्रह नहीं किया गया था, उसकी समीक्षा करने की अनुमति नहीं है।” 
 
1 दिसंबर, 2021 को, न्यायमूर्ति शिंदे की अगुवाई वाली पीठ ने मामले के आठ आरोपियों सुधीर धवले, महेश राउत, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, रोना विल्सन, शोमा सेन, सुरेंद्र गाडलिंग और वरवर राव को जमानत देने से इनकार करते हुए एक सह-आरोपी सुधा भारद्वाज को डिफ़ॉल्ट जमानत दे दी थी। सुधा भारद्वाज के विपरीत कानून द्वारा निर्धारित समय के भीतर निचली अदालत के समक्ष अपनी याचिका दायर नहीं करने के कारण उन्हें जमानत नहीं दी गई थी। हालांकि, आठ में से तीन आरोपियों ने उक्त आदेश को चुनौती देते हुए दावा किया कि इसमें तथ्यात्मक त्रुटि थी क्योंकि उन्होंने भारद्वाज के आवेदन के कुछ ही दिनों बाद 20 नवंबर, 2018 को डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए आवेदन किया था, लेकिन अदालत यह नोट करने में विफल रही कि निचली अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। इसलिए, उन्होंने दावा किया कि वे भारद्वाज को दी गई राहत के समान हकदार थे।
 
लाइव लॉ के अनुसार, बेंच ने उनसे यह बताने के लिए कहा कि क्या उनके आवेदनों पर सुनवाई के दौरान यह अदालत के संज्ञान में लाया गया था।
 
आदेश में तथ्यात्मक सुधार की मांग करते हुए, आरोपी ने अपने समीक्षा आवेदन में कहा, "यदि हाईकोर्ट को अपने स्वयं के रिकॉर्ड को ठीक करने की ऐसी शक्ति से वंचित कर दिया जाता है, जब वह स्पष्ट त्रुटियों को नोटिस करता है तो इसका यह परिणाम होता है कि हाईकोर्ट की उच्च स्थिति कम हो जाएगी। इसलिए, यह सोचना उचित है कि पूर्ण शक्तियां हाईकोर्ट रिकॉर्ड के सामने स्पष्ट त्रुटियों से संबंधित पुनर्विचार की शक्ति शामिल करेगा।"

हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कथित तौर पर सीआरपीसी की धारा 362 के तहत एक पीठ पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए उक्त आवेदन का विरोध किया, ताकि योग्यता के आधार पर एक याचिका पर निर्णय लेने के बाद निर्णयों में बदलाव या समीक्षा की जा सके।
 
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, एनआईए की ओर से पेश अधिवक्ता संदेश पाटिल ने कहा कि आरोपी सीधे तौर पर अंतिम अवलोकन को बदलना चाहते थे, जिसे रिकॉर्ड के सत्यापन के बाद अंतिम रूप दिया गया था और उन्होंने तर्क दिया कि आरोपी को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बजाय सर्वोच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए थी।
 
एनआईए ने कथित तौर पर 15 आरोपियों के खिलाफ सत्रह ड्राफ्ट (प्रस्तावित) आरोपों की एक सूची प्रस्तुत की है, जिसमें देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का गंभीर आरोप शामिल है। ये 15 आरोपी हैं- वरवर राव, आनंद तेलतुम्बडे, गौतम नवलखा, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, रोना विल्सन, शोमा सेन, सुधीर धवले, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, हनी बाबू, रमेश गायचोर, ज्योति जगताप और सागर गोरखे।
 
एनआईए के आरोपों का दावा है कि आरोपी व्यक्ति एक प्रतिबंधित संगठन, सीपीआई (माओवादी) के सदस्य हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य एक क्रांति के माध्यम से जनता सरकार यानी लोगों की सरकार की स्थापना करना है, जो लंबे समय तक सशस्त्र संघर्ष को कमजोर करने और सत्ता को जब्त करने की प्रतिबद्धता द्वारा समर्थित है। 

साभार : सबरंग 

Bhima Koregaon
varavara rao
Vernon Gonsalves
arun ferreira

Related Stories

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

एनआईए स्टेन स्वामी की प्रतिष्ठा या लोगों के दिलों में उनकी जगह को धूमिल नहीं कर सकती

अदालत ने वरवर राव की स्थायी जमानत दिए जाने संबंधी याचिका ख़ारिज की

भीमा कोरेगांव: बॉम्बे HC ने की गौतम नवलखा पर सुनवाई, जेल अधिकारियों को फटकारा

सामाजिक कार्यकर्ताओं की देशभक्ति को लगातार दंडित किया जा रहा है: सुधा भारद्वाज

2021 में सुप्रीम कोर्ट का मिला-जुला रिकॉर्ड इसकी बहुसंख्यकवादी भूमिका को जांच के दायरे में ले आता है!

अदालत ने सुधा भारद्वाज को 50,000 रुपये के मुचलके पर जेल से रिहा करने की अनुमति दी

एल्गार परिषद मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सुधा भारद्वाज की ज़मानत के ख़िलाफ़ एनआईए की याचिका ख़ारिज की

एल्गार परिषद : बंबई उच्च न्यायालय ने वकील सुधा भारद्वाज को ज़मानत दी


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग दर्द…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे
    26 May 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से, जिन्होंने 2019 में हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के केस में किये फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया।…
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   
    26 May 2022
    बुलडोज़र राज के खिलाफ भाकपा माले द्वारा शुरू किये गए गरीबों के जन अभियान के तहत सभी मुहल्लों के गरीबों को एकजुट करने के लिए ‘घर बचाओ शहरी गरीब सम्मलेन’ संगठित किया जा रहा है।
  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    भाजपा के क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करने का मोदी का दावा फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता
    26 May 2022
    भगवा कुनबा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का हमेशा से पक्षधर रहा है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश
    26 May 2022
    21 अप्रैल से विभिन्न जिलों से आये कई छात्र छात्रायें इको गार्डन में धरने पर बैठे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्होंने 21 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 के बीच हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License