NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
बिहार : भीषण ठंड और कोरोना में सैकड़ों किमी भटकने के लिए मजबूर बीपीएससी के परीक्षार्थी
परीक्षार्थी परेशान हैं क्योंकि उन्हें अनजान जगह जाकर अपने रहने-खाने की व्यवस्था करनी है और परीक्षा केंद्रों को तलाश करना है। मगर बीपीएससी की तरफ से साफ कर दिया गया है कि ये सेंटर किसी भी सूरत में बदले नहीं जायेंगे।
पुष्यमित्र
22 Dec 2020
बिहार

सर मैं सुपौल जिले का रहने वाला हूं और मेरा बीपीएससी पीटी एक्जाम का सेंटर सासाराम दे दिया गया है। मुख्यमंत्री महोदय और शिक्षा मंत्री महोदय से अनुरोध है कि कृपया मेरा सेंटर चेंज करवायें। –कुमार राजीव

कोरोना और भीषण ठंड का मौसम है, ट्रेन औऱ बस ठीक से चल नहीं रहे। इसलिए अनुरोध है कि बीपीएससी प्रत्याशियों को उनके घरों के आसपास परीक्षा केंद्र उपलब्ध करायें। –अमित नारायण

ऐ बीपीएससी वाले क्या तुम अगली परीक्षा में अब नेपाल और बांग्लादेश में भी हमारा सेंटर देने वाले हो। क्या तुम छात्रों की तकलीफ नहीं समझते? कृपया हमारे घर के आसपास हमारा सेंटर दो, हमारी मुसीबतों को समझो। –अमित कुमार सुमन

ट्विटर पर इन दिनों ऐसे हजारों ट्वीट नजर आ रहे हैं। ये सभी ट्वीट #bpscchangecentre के हैशटैग के साथ किये जा रहे हैं। ये ट्वीट उन परीक्षार्थियों के हैं, जो बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) की 66वीं प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं। बीपीएससी द्वारा उनका परीक्षा केंद्र उनके घरों से काफी दूर दे दिया गया है। इस कोरोना काल में जब बहुत कम संख्या में रेलगाड़ियां चल रही हैं, बसें भी सीमित संख्या में चलायी जा रही हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखना है। ऐसे में इन छात्रों को अपने घरों से सैकड़ों किमी दूर अनजान जगहों तक यात्रा करना एक असंभव सा काम लग रहा है।

इन छात्रों को इन अनजान जगहों में जाकर अपने रहने और खाने पीने की व्यवस्था करना है और दूरदराज में स्थित अपने परीक्षा केंद्रों की तलाश करना है। वह भी तब जबकि पूरे राज्य में भीषण ठंड पड़ रही है और कोरोना का प्रकोप है। इसलिए ये छात्र परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ ट्विटर पर परीक्षा केंद्र में बदलाव के लिए आंदोलन भी चला रहे हैं। मगर बीपीएससी की तरफ से एक संक्षिप्त पत्र जारी कर साफ कर दिया गया है कि ये सेंटर किसी भी सूरत में बदले नहीं जायेंगे।

बिहार लोक सेवा आयोग राज्य में प्रशासनिक सेवा के 562 रिक्त पदों के लिए 66वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 27 दिसंबर, 2020 को करने जा रही है। दिलचस्प है कि महज 562 पदों की रिक्ति के एवज में साढ़े चार लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया है और इनकी परीक्षा राज्य के 35 जिलों में 888 परीक्षा केंद्रों में ली जानी है। जाहिर सी बात है कि इनमें से ज्यादातर परीक्षा केंद्र छोटे शहरों औऱ दूर-दराज के इलाकों में हैं, क्योंकि बिहार के चुनिंदा बड़े शहरों में इतने केंद्र नहीं बनाये जा सकते थे।

आयोग की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक किस परीक्षार्थी का सेंटर कहां होगा यह कंप्यूटर द्वारा ही निर्धारित किया गया है। इसमें सिर्फ इतना ध्यान रखा गया है कि लड़कियों का सेंटर उनके गृह जिले में हो और लड़कों का उनके गृह जिले के अतिरिक्त किसी अन्य जिले में।

मगर इस चक्कर में बड़ी संख्या में छात्रों का केंद्र दूर-दराज और उनके लिए बिल्कुल अनजान इलाकों में हो गया है। जैसे अगर कोसी क्षेत्र के सुपौल के किसी छात्र का केंद्र रोहतास या कैमूर जिले में पड़ जाये तो यह दूरी 400 से 450 किमी की हो जाती है। दोनों शहरों के बीच न कोई ट्रेन चलती है, न सीधी बस सेवा है। ऐसे में छात्र को टुकड़ों-टुकड़ों में अपनी यात्रा पूरी करनी है। बिहार में पहले से ही एक जगह से दूसरी जगह जाना दुष्कर काम साबित होता है। ऐसे में अगर किसी को ऐसी यात्रा करनी पड़े तो उसे कम से कम दो दिन का एडवांस समय लेकर चलना होगा।

इसके अलावा उसे अनजान जगह में पहुंच कर बिल्कुल अनजान परिवेश में अपने रहने की भी व्यवस्था करनी होगी। कोरोना की वजह से ज्यादातर होटल भी बंद हैं औऱ परीक्षा में इतनी भीड़ जुट जाती है कि ऐसे ही होटलों की व्यवस्था फेल हो जाती है। फिर वहां जाकर उन्हें किसी सुदूर जगह में स्थित अपने केंद्र की तलाश करनी होगी। क्योंकि हर जिले में औसतन 20 से 25 केंद्र हैं। कोरोना और भीषण ठंड के दिनों में यह सब करना कितना मुश्किल काम होगा यह सहज समझा जा सकता है। एक बेरोजगार युवक इस स्थिति में नहीं होता है कि वह कार रिजर्व करके ऐसी यात्राएं कर सके।

ऐसी दुखद स्थिति दुर्भाग्यवश हजारों छात्रों के सामने उपस्थित हो गयी है। ऐसे में ऐन परीक्षा के वक्त आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। युवाओं के रोजगार और दूसरे मसलों पर संघर्ष करने वाली संस्था युवा हल्ला बोल के प्रमुख अनुपम ने भी इस संदर्भ में 21 दिसंबर को एक पत्र बिहार लोक सेवा आयोग को भेजा है। उन्होंने इस कोरोना काल में छात्रों की मुसीबत को समझने और सभी छात्रों का परीक्षा केंद्र उनके गृह जिले या पड़ोस के जिले में देने का अनुरोध किया है। न्यूज़क्लिक के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्थाओं की यह बहुत पुरानी धारणा है कि परीक्षा केंद्र दूर होने से परीक्षा में कदाचार की संभावना खत्म हो जाती है। मगर मुझे लगता है कि यह बहुत पुरातनपंथी धारणा है। इससे सिर्फ परीक्षार्थियों की मुसीबत बढ़ती है। अगर ठीक से व्यवस्था की जाये तो गृह जिले में भी कदाचारमुक्त परीक्षा हो सकती है। अगर यह बात ठीक न लगे तो कम से कम पड़ोस के जिले में या अपने प्रमंडल में केंद्र होना चाहिए, जहां परीक्षार्थियों को यात्रा करने, रहने-खाने और केंद्र ढूंढने में मुसीबत नहीं होगी। कम से कम कोरोना काल में तो यह ध्यान देना ही चाहिए।

मगर बिहार लोक सेवा आयोग ने नियमों का हवाला देकर इन छात्रों की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। 18 दिसंबर, 2020 को जारी एक पत्र में बिहार लोक सेवा आयोग के संयुक्त सचिव ने कहा है कि एडमिट कार्ड जारी होने के बाद उनके पास कई छात्रों के ईमेल आये हैं और केंद्र में बदलाव का अनुरोध किया गया है। मगर अब किसी भी स्थिति में परीक्षा केंद्र में बदलाव नहीं किया जायेगा। परीक्षा नियत समय, नियत केंद्र पर ही होगी।

जबकि बिहार लोक सेवा आयोग 6 दिसंबर, 2020 को आयोजित न्यायिक सेवा में इस रवैये का नतीजा देख चुका है। उस परीक्षा में सिर्फ 40 फीसदी छात्र ही शामिल हुए थे। इसके बावजूद आयोग अपने रुख में बदलाव के लिए तैयार नहीं है।

(पटना स्थित पुष्यमित्र स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Bihar
BPSC
Bihar Public Service Commission
BPSE Exam Center
Nitish Kumar
Nitish Kumar Government
twitter
#bpscchangecentre

Related Stories

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

बिहार : सरकारी प्राइमरी स्कूलों के 1.10 करोड़ बच्चों के पास किताबें नहीं

बिहार : सातवें चरण की बहाली शुरू करने की मांग करते हुए अभ्यर्थियों ने सिर मुंडन करवाया

बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे

बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक कांड मामले में विपक्षी पार्टियों का हमला तेज़

कोरोना लॉकडाउन के दो वर्ष, बिहार के प्रवासी मज़दूरों के बच्चे और उम्मीदों के स्कूल

बिहारः प्राइवेट स्कूलों और प्राइवेट आईटीआई में शिक्षा महंगी, अभिभावकों को ख़र्च करने होंगे ज़्यादा पैसे

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की मांग में भाकपा-माले विधायकों का प्रदर्शन

बिहार : सीटेट-बीटेट पास अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली को लेकर करेंगे आंदोलन

बिहार और यूपी पढ़ाई में फिसड्डी: ईएसी-पीएम


बाकी खबरें

  • जितेन्द्र कुमार
    मुद्दा: बिखरती हुई सामाजिक न्याय की राजनीति
    11 Apr 2022
    कई टिप्पणीकारों के अनुसार राजनीति का यह ऐसा दौर है जिसमें राष्ट्रवाद, आर्थिकी और देश-समाज की बदहाली पर राज करेगा। लेकिन विभिन्न तरह की टिप्पणियों के बीच इतना तो तय है कि वर्तमान दौर की राजनीति ने…
  • एम.ओबैद
    नक्शे का पेचः भागलपुर कैंसर अस्पताल का सपना अब भी अधूरा, दूर जाने को मजबूर 13 ज़िलों के लोग
    11 Apr 2022
    बिहार के भागलपुर समेत पूर्वी बिहार और कोसी-सीमांचल के 13 ज़िलों के लोग आज भी कैंसर के इलाज के लिए मुज़फ़्फ़रपुर और प्रदेश की राजधानी पटना या देश की राजधानी दिल्ली समेत अन्य बड़े शहरों का चक्कर काट…
  • रवि शंकर दुबे
    दुर्भाग्य! रामनवमी और रमज़ान भी सियासत की ज़द में आ गए
    11 Apr 2022
    रामनवमी और रमज़ान जैसे पर्व को बदनाम करने के लिए अराजक तत्व अपनी पूरी ताक़त झोंक रहे हैं, सियासत के शह में पल रहे कुछ लोग गंगा-जमुनी तहज़ीब को पूरी तरह से ध्वस्त करने में लगे हैं।
  • सुबोध वर्मा
    अमृत काल: बेरोज़गारी और कम भत्ते से परेशान जनता
    11 Apr 2022
    सीएमआईए के मुताबिक़, श्रम भागीदारी में तेज़ गिरावट आई है, बेरोज़गारी दर भी 7 फ़ीसदी या इससे ज़्यादा ही बनी हुई है। साथ ही 2020-21 में औसत वार्षिक आय भी एक लाख सत्तर हजार रुपये के बेहद निचले स्तर पर…
  • JNU
    न्यूज़क्लिक टीम
    JNU: मांस परोसने को लेकर बवाल, ABVP कठघरे में !
    11 Apr 2022
    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दो साल बाद फिर हिंसा देखने को मिली जब कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से संबद्ध छात्रों ने राम नवमी के अवसर कैम्पस में मांसाहार परोसे जाने का विरोध किया. जब…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License