NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
बिहारः खेग्रामस व मनरेगा मज़दूर सभा का मांगों को लेकर पटना में प्रदर्शन
"बिहार में मनरेगा मजदूरी मार्केट दर से काफी कम है। मनरेगा में सौ दिनों के काम की बात है और सम्मानजनक पैसा भी नहीं मिलता है।"
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Mar 2022
bihar

अखिल भारतीय खेत और ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) व मनरेगा मजदूर सभा के संयुक्त तत्वाधान में सोमवार 14 मार्च को मनरेगा में काम की मजदूरी और काम के दिनों को बढ़ाने समेत अन्य मांगों को लेकर बिहार की राजधानी पटना में प्रदर्शन किया गया। इसमें भारी संख्या में राज्य भर से आए इन संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। उधर बिहार विधानसभा परिसर में भी लेफ्ट पार्टी भाकपा-माले के विधायकों संदीप सौरभ तथा मनोज मंजिल समेत अन्य विधायकों ने खेग्रामस व मनरेगा मजदूर सभा की मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। वाम पार्टियों के नेता सदन में इन मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं। ज्ञात हो कि विधानमंडल में बजट सत्र चल रहा है।

प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं ने दैनिक भास्कर को बताया कि बिहार में मनरेगा मजदूरी मार्केट दर से काफी कम है जो कि गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में सौ दिनों के काम की बात है और सम्मानजनक पैसा भी नहीं मिलता है। साथ ही यह कहा कि कार्य स्थल पर ही हमलोगों को पैसा दिया जाए जिससे फर्जी जॉब कार्डधारक पैसा न उठा सकें। उन्होंने कहा कि फर्जी जॉब कार्डधारक पैसा उठा लेते हैं और जो लोग मनरेगा में काम करते हैं उनको पैसा नहीं मिल पाता है। उन्होंने सरकार को मजदूरी 600 रुपये करने के साथ-साथ 200 दिन काम देने और कार्यस्थल पर भुगतान की गारंटी करने की मांग की है।

कार्यकर्ताओं ने कहा कि नीतीश सरकार जिस तरह से जल-जीवन हरियाली के नाम पर तालाब के किनारे, नदी के किनारे और अन्य सरकारी जमीनों पर बसे दलितों-गरीबों को उजाड़ने का काम कर रही है उनके आवास के लिए 5डिस्मिल जमीन की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि इन गरीबों को उजाड़ने के लिए सरकार बड़े पैमाने पर बुलडोजर खरीदने का आदेश जिलों को जारी कर रही है। ऐसे में सरकार के गरीब उजाड़ो अभियान के खिलाफ डटकर जनप्रतिरोध होगा। इन लोगों का कहना है कि जो लोग जहां बसे हैं उन्हें सरकार बासगीत पर्चा दे। भूमिहीनों-गृहविहीनों का समग्र सर्वे के आधार पर नया वास-आवास कानून बने और किसी भी स्थिति में बिना वैकल्पिक आवास के गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगे।'

साथ ही कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि दलित-गरीबों को 200 यूनिट फ्री बिजली देने को लेकर अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनवितरण की दुकानों में चावल-गेहूं के अतिरिक्त दाल, तेल और मसाले अन्य राज्यों की तरह देने की मांग उठायी जाएगी। इन मांगों में 60 साल और उससे ऊपर के सभी महिला-पुरुषों को 3000 रुपए पेंशन देने का मुद्दा भी शामिल है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि इस आशय का मांग पत्र संगठन की ओर से मुख्यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री को भेजा गया है।

संदीप सौरभ, मनोज मंजिल और सत्यदेव राम समेत भाकपा माले के अन्य विधायकों ने विधानसभा परिसर में पोस्टर के साथ खेग्रामस और मनरेगा मजूदर सभा की मांगों को उठाया। इन पोस्टरों में नया बटाईदार कानून लाने, भूमिहीनों-आवासहीनों का समग्र सर्वे करने, मनरेगा में 600 रुपये दैनिक मजदूरी करने, मनरेगा में 200 दिनों का काम देने, दलित-गरीबों पर बुलडोजर चलाना बंद करने, वृद्ध-विकलांगजनों का मासिक पेंशन 3000 रुपये करने समेत अन्य मांगें लिखी हुई थीं। बता दें कि खेग्रामस व मनरेगा मजूदर सभा की मांगों को बार बार वाम दलों के नेताओं ने सड़क से सदन तक उठाया है।

इन सबके अलावा इन संगठनों द्वारा विभिन्न मांगों को अक्सर उठाया गया है। उनकी मांगों में सभी प्रखंडों में स्वयं सहायता समूह-जीविका समूह को माइक्रोफाइनेंस कम्पनी एवं बंधन बैंक द्वारा महिलाओं को दी गई लोन को जबरन वसूली करने पर रोक लगाने, स्वयं सहायता समूह-जीविका समूह केसीसी सहित सभी छोटे लोन माफ करने, बिना ब्याज, बिना गारंटर का लोन देने समेत अन्य मांगें शामिल रही हैं।

बीते साल दिसंबर महीने में पटना के आईएमए हाल में खेत व ग्रामीण मजदूरों के संयुक्त राज्यस्तरीय कन्वेंशन के दौरान केरल से राज्य सभा सदस्य बी. शिवदासन ने कहा था कि, "केरल की तरक्की का बड़ा कारण खेत मज़दूरों की जीवन स्थिति में सुधार है।" उन्होंने कहा था कि, "केरल मजदूरी, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, पेंशन आदि मोर्चे पर देश में अग्रणी पंक्ति में है और आज जरूरत है कि बिहार में भी केरल की तर्ज पर एक व्यापक कानून बनाया जाए, तभी बिहार में खेत व ग्रामीण मजदूरों की जीवन दशा में सुधार संभव है।"

बिहार में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी की बात करें तो अभी 200 रुपये को पार नहीं कर पाया है जबकि केरल में इन मजदूरों की मजदूरी करीब 300 रुपये हैं।

पिछले साल की सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा के तहत बिहार सरकार का रोजगार देने का वादा खोखला साबित हुआ है। राज्य में भूमिहीन मजदूरों की संख्या करीब 88.61 लाख है, लेकिन रोजगार मांगने के इच्छुक 90 हजार लोगों में 3.34% के पास ही जॉब कार्ड है। इनमें भी केवल 1% लोगों को ही 100 दिनों तक काम मिला। मनरेगा के तहत 100 दिन काम देने की गारंटी है लेकिन इनमें अधिकतर लोगों को 34 से 45 दिनों का ही रोजगार दिया गया।

Bihar
KHEGRAMAS
MNREGA
patna protest
Nitish Kumar

Related Stories

हिमाचल : मनरेगा के श्रमिकों को छह महीने से नहीं मिला वेतन

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर

मनरेगा: ग्रामीण विकास मंत्रालय की उदासीनता का दंश झेलते मज़दूर, रुकी 4060 करोड़ की मज़दूरी

छत्तीसगढ़ :दो सूत्रीय मांगों को लेकर 17 दिनों से हड़ताल पर मनरेगा कर्मी

ग्राउंड रिपोर्ट: कम हो रहे पैदावार के बावजूद कैसे बढ़ रही है कतरनी चावल का बिक्री?

विशेषज्ञों के हिसाब से मनरेगा के लिए बजट का आवंटन पर्याप्त नहीं

सड़क पर अस्पताल: बिहार में शुरू हुआ अनोखा जन अभियान, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जनता ने किया चक्का जाम


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License