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बिहारः डॉक्टरों की लापरवाही से 26 लोगों की गई आंखों की रोशनी, आंख निकालने की नौबत
मुज़फ़्फ़रपुर आंखों के हॉस्पिटल में 60 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था, जिनमें 26 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। संक्रमण इतना बढ़ गया है कि कुछ लोगों की आंख निकालनी पड़ सकती है।
एम.ओबैद
30 Nov 2021
muzaffarpur Motiabind Operation
Image courtesy : Medklinn

बिहार के मुजफ्फरपुर में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते उन 26 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई जिन्होंने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था। घटना मुजफ्फरपुर स्थित आई हॉस्पिटल की है जहां 22 नवंबर को इन लोगों ने आंख का ऑपरेशन कराया था। जब ये घटना सामने आई तो पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। इस दिन करीब 60 मरीजों का मोतियाबिंद का ऑफरेशन कराया गया था। अस्पताल के सचिव दिलीप जालान ने कहा कि कुछ मरीजों की आंख निकालनी पड़ सकती है।

हिंदुस्तान अखबार की रिपोर्ट को मुताबिक ये आई हॉस्पिटल एक ट्रस्ट द्वारा संचालित है, जहां गत 22 नवंबर को इन पीड़ितों की मोतियाबिंद का मुफ्त ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के अगले दिन आंख की पट्टी खुलने के बाद पीड़ितों के जिन आंखों का ऑपरेशन हुआ था उससे उन्हें दिखाई नहीं दे रही थी। जिसके बाद परिजन मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे। परिजन मरीज को लेकर पिछले एक हफ्ते से डॉक्टरों का चक्कर काट रहे थे। जब सोमवार को सिविल सर्जन तक इस बाबत शिकायत पहुंची तो मामला प्रकाश में आया। रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर संक्रमण के शिकार 15 मरीजों को पटना भेजा गया था। उनकी आंख की रोशनी फिर से आ पाएगी या नहीं इसको लेकर डॉक्टर कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं। वहीं छह मरीजों को मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच भेजा गया है।

सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा ने बताया कि घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। ग्रामीणों ने ऐसे 26 मरीजों में परेशानी आने की शिकायत की है। उक्त हॉस्पिटल में कुल 60 मरीजों की आंखों का ऑपरेशन एक तिथि को हुआ था। आधा दर्जन मरीजों को एसकेएमसीएच में रेफर कराकर इलाज शुरू कराया गया है। कई मरीजों का पटना में इलाज चल रहा है। आई हॉस्पिटल में भी अभी चार-पांच मरीज इलाजरत हैं।

आंखों की रोशनी जाने से पीड़ितों के परिजनों में भारी नाराजगी है। वे सिविल सर्जन से मुआवजा दिलाने की मांग कर रहे हैं। लिखित शिकायत में मरीजों के परिजन कौशल्या देवी, राममूर्ति सिंह, पन्ना देवी, सावित्री देवी और प्रेमा देवी ने कहा कि 22 नवंबर को मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद से उनकी आंखों में दर्द व परेशानी बढ़ गई। कई मरीजों को डॉक्टरों ने आंख निकालने तक का सुझाव दे दिया। इसका विरोध करने पर मरीजों व परिजनों को अस्पताल से भगा दिया गया। वहीं अस्पताल से नहीं जाने वालों पर अस्पताल से निकलने का दबाव बनाया जा रहा है। परिजनों ने सिविल सर्जन से आंखों का इलाज व मुआवजा दिलाने की बात कही है।

उधर, इस घटना के संबंध में आई हॉस्पिटल के सचिव दिलीप जालान ने अखबार को बताया कि ऑपरेशन के बाद पांच-छह मरीजों की ऑपरेशन वाली आंखों की रोशनी जाने का मामला सामने आया है। इनकी संख्या घट-बढ़ सकती है। घटना के संबंध में अस्पताल स्तर से जांच कराई जा रही है। संक्रमण से रोशनी जाने की बात सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि 22 नवंबर को 60 लोगों का ऑपरेशन किया गया था।

आंखों में गंभीर संक्रमण

पटना स्थित दृष्टिपुंज अस्पताल के निदेशक डॉ.सत्यप्रकाश तिवारी ने अखबार को बताया कि आंख का इलाज कराने के लिए मुजफ्फपुर से 15 मरीज यहां आए थे। उन सबकी स्थिति काफी बिगड़ी हुई थी। उन सभी की आंखों में गंभीर संक्रमण हुआ था। कुछ मरीजों का ऑपरेशन किया गया है और कुछ मरीजों को दवा और इंजेक्शन दिया गया है। उन्हें जांच व इलाज के लिए दोबारा बुलाया गया था, लेकिन सोमवार तक मरीज यहां नहीं आए थे। अब यह कहना मुश्किल है कि उनकी आंख की रोशनी दोबारा आ पाएगी या नहीं।

निकालनी पड़ सकती है आंख

आई हॉस्पिटल के सचिव दिलीप जालान ने कहा कि गंभीर संक्रमण होने के चलते छह लोगों की ऑपरेशन वाली आंख निकालनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि बेहतर इलाज के लिए लोग पटना गए थे। उनमें से कई मरीज लौटकर आ गए। उनकी आंख में गंभीर संक्रमण है। उनका इलाज चल रहा है।

ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का पता नहीं

मरीजों को जो प्रिसक्रीप्शन मिला है उस पर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का नाम एनडीएस लिखा है। छपे हुए प्रिसक्रीप्शन पर किसी का नाम काटकर एनडीएस लिखा गया है। इस संबंध में अस्पताल के सचिव दिलीप जालान ने कहा कि डॉ.एनडी साहू ने ऑपरेशन किया था। उन्हें आग्रह कर बुलाया गया था। इस संबंध में डॉ. साहू ने कहा कि वे 2015 में ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल छोड़ चुके हैं। न उन्होंने ऑपरेशन किया है और न उनका उस अस्पताल से कोई संबंध है।

जांच टीम गठित

इस मामले में मुजफ्फरपुर के डीएम प्रणव कुमार ने कहा कि सिविल सर्जन को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। जांच कमेटी में विशेषज्ञ भी शामिल किए गए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

ड्रॉप डालने के बाद आंखों में सूजन

मीनापुर के रामपुर हरि के रहने वाले राजेश रंजन सिंह ने कहा कि 22 नवंबर को आई हॉस्पीटल में मेरी मां प्रेमा देवी का ऑपरेशन हुआ था। अगले दिन ऑरेशन वाले बायीं आंख की पट्टी खुली तो वह उस आंख से नहीं देख पा रही थी। जब 24 नवंबर को डॉक्टर से इसकी शिकायत की तो उन्होंने एक ड्रॉप दिया लेकिन ड्रॉप डालते ही आंख में सूजन होने लगी। दर्द बढ़ने पर हमलोग घबरा गए और आई हास्पिटल के प्रबंधन से इसकी शिकायत की। वहां पर आंख हटाकर पत्थर लगाने का सुझाव दिया गया। साथ ही पटना के एक अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया।

आंख में बढ़ रही तकलीफ़

मुजफ्फरपुर के मुशहरी की रहने वाली खुशबू ने कहा कि डॉक्टरों के सुझाव पर कैंप में सास मीना देवी का ऑपरेशन करवाई थी। ऑपरेशन के अगले दिन डॉक्टर के सुझाव पर हमलोगों ने जब आंख की पटटी खोली तो ऑपरेशन वाली आंख से उन्हें कुछ दिखायी नहीं दिया। आंख में संक्रमण होने के चलते तकलीफ बढ़ती जा रही है।

ज्ञात हो कि देश भर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में अक्सर डॉक्टरों की लापरवाही का मामला सामने आता है। इस लापरवाही के चलते मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है और मरीज पूरी जिंदगी बेबसी की गुजारते हैं। पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी ऐसी कई घटनाएं सामने आईं हैं जिनमें आंखों के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई।

उत्तर प्रदेश

एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 के जून महीने में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित एक अस्‍पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद एक साथ छह मरीजों के आंखों की रोशनी चली गई थी। इन सभी लोगों ने12 जून को अस्पताल में ऑपरेशन कराया था जिसके 72 घंटे बाद भी इनके आंखों की रोशनी नहीं आई।

शहर के गोदौलिया चौराहे के पास स्थित मारवाड़ी अस्‍पताल में 12 जून को त्रिवेणी प्रसाद वर्मा, यज्ञ नारायण चौबे, पार्वती देवी, अख्‍तरी, मालती देवी और वंदना का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था। इन लोगों का जब निजी अस्पताल जांच हुआ तो पाया गया इनकी आंखों में संक्रमण था।

उधर वर्ष 2015 के जनवरी महीने में मथुरा में कच्चे मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए एक एनजीओ की ओर से कैंप लगाया गया था जिसमें ग्यारह लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी।

वर्ष 2009 के फरवरी महीने में लखनऊ में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद 22 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। ये मामला लखनऊ के सरोजनी नगर इलाके का है जहां मेडिकल कॉलेज की देखरेख में मोतियाबिंद के मुफ्त ऑपरेश को लेकर कैंप चलाया जाता है। इसी कैंप में इन लोगों ने ऑपरेशन कराया था जिसके बाद इनकी आंखों की रोशनी चली गई।

मध्यप्रदेश

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 के दिसंबर में मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में लगे नेत्र शिविर में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही के कारण मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाले 52 लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई। इन लोगों की आंखों की रोशनी आंख की रेटिना में गंभीर संक्रमण और मवाद आ जाने के कारण चली गई। इस शिविर में कुल 86 लोगों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया था, जिनमें से 60 लोगों की आंखों में संक्रमण हो गया।

महाराष्ट्र

वर्ष 2015 में ही महाराष्ट्र के वाशीम में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में हुई लापरवाही के चलते 14 लोगों की आंखों की रोशनी चली गयी। ऑपरेशन के कई दिन बाद जब मरीजों को दिखाई नहीं दिया तो वे वापस अस्पताल गए। वहां उन्हें अकोला जाने के लिए कहा गया जहां पता चला कि उन्हें इन्फेक्शन हो गया और दोबारा ऑपरेशन करना पड़ेगा। लेकिन इस ऑपरेशन के कई दिन बाद भी इन मरीज़ों को दिखाई नहीं दिया।

छत्तीसगढ़

वर्ष 2018 में मार्च महीने में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में मोतियाबिंद के आपरेशन के बाद 11 लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई। जिला मुख्यालय में स्थित क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में 45 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद इनमें से 11 लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई।

झारखंड

इसी साल अक्टूबर महीने में झारखंड के साहिबगंज के बरहरवा स्थित एक निजी अस्पताल में मरीजों की आंखों का ऑपरेशन किया गया था, लेकिन उनके आंखों की रोशनी नहीं लौटी। ऑपरेशन के बाद 12 लोगों की आंख की रोशनी चली गई। रिपोर्ट के मुताबिक आयुष्मान भारत योजना के तहत पीड़ितों का इलाज किया जा रहा था। यहां 5 और 7 अक्टूबर को करीब 12 लोगों की आंखों का ऑपरेशन किया गया था।

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