NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहारः डॉक्टरों की लापरवाही से 26 लोगों की गई आंखों की रोशनी, आंख निकालने की नौबत
मुज़फ़्फ़रपुर आंखों के हॉस्पिटल में 60 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था, जिनमें 26 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। संक्रमण इतना बढ़ गया है कि कुछ लोगों की आंख निकालनी पड़ सकती है।
एम.ओबैद
30 Nov 2021
muzaffarpur Motiabind Operation
Image courtesy : Medklinn

बिहार के मुजफ्फरपुर में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते उन 26 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई जिन्होंने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था। घटना मुजफ्फरपुर स्थित आई हॉस्पिटल की है जहां 22 नवंबर को इन लोगों ने आंख का ऑपरेशन कराया था। जब ये घटना सामने आई तो पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। इस दिन करीब 60 मरीजों का मोतियाबिंद का ऑफरेशन कराया गया था। अस्पताल के सचिव दिलीप जालान ने कहा कि कुछ मरीजों की आंख निकालनी पड़ सकती है।

हिंदुस्तान अखबार की रिपोर्ट को मुताबिक ये आई हॉस्पिटल एक ट्रस्ट द्वारा संचालित है, जहां गत 22 नवंबर को इन पीड़ितों की मोतियाबिंद का मुफ्त ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के अगले दिन आंख की पट्टी खुलने के बाद पीड़ितों के जिन आंखों का ऑपरेशन हुआ था उससे उन्हें दिखाई नहीं दे रही थी। जिसके बाद परिजन मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे। परिजन मरीज को लेकर पिछले एक हफ्ते से डॉक्टरों का चक्कर काट रहे थे। जब सोमवार को सिविल सर्जन तक इस बाबत शिकायत पहुंची तो मामला प्रकाश में आया। रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर संक्रमण के शिकार 15 मरीजों को पटना भेजा गया था। उनकी आंख की रोशनी फिर से आ पाएगी या नहीं इसको लेकर डॉक्टर कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं। वहीं छह मरीजों को मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच भेजा गया है।

सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा ने बताया कि घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। ग्रामीणों ने ऐसे 26 मरीजों में परेशानी आने की शिकायत की है। उक्त हॉस्पिटल में कुल 60 मरीजों की आंखों का ऑपरेशन एक तिथि को हुआ था। आधा दर्जन मरीजों को एसकेएमसीएच में रेफर कराकर इलाज शुरू कराया गया है। कई मरीजों का पटना में इलाज चल रहा है। आई हॉस्पिटल में भी अभी चार-पांच मरीज इलाजरत हैं।

आंखों की रोशनी जाने से पीड़ितों के परिजनों में भारी नाराजगी है। वे सिविल सर्जन से मुआवजा दिलाने की मांग कर रहे हैं। लिखित शिकायत में मरीजों के परिजन कौशल्या देवी, राममूर्ति सिंह, पन्ना देवी, सावित्री देवी और प्रेमा देवी ने कहा कि 22 नवंबर को मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद से उनकी आंखों में दर्द व परेशानी बढ़ गई। कई मरीजों को डॉक्टरों ने आंख निकालने तक का सुझाव दे दिया। इसका विरोध करने पर मरीजों व परिजनों को अस्पताल से भगा दिया गया। वहीं अस्पताल से नहीं जाने वालों पर अस्पताल से निकलने का दबाव बनाया जा रहा है। परिजनों ने सिविल सर्जन से आंखों का इलाज व मुआवजा दिलाने की बात कही है।

उधर, इस घटना के संबंध में आई हॉस्पिटल के सचिव दिलीप जालान ने अखबार को बताया कि ऑपरेशन के बाद पांच-छह मरीजों की ऑपरेशन वाली आंखों की रोशनी जाने का मामला सामने आया है। इनकी संख्या घट-बढ़ सकती है। घटना के संबंध में अस्पताल स्तर से जांच कराई जा रही है। संक्रमण से रोशनी जाने की बात सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि 22 नवंबर को 60 लोगों का ऑपरेशन किया गया था।

आंखों में गंभीर संक्रमण

पटना स्थित दृष्टिपुंज अस्पताल के निदेशक डॉ.सत्यप्रकाश तिवारी ने अखबार को बताया कि आंख का इलाज कराने के लिए मुजफ्फपुर से 15 मरीज यहां आए थे। उन सबकी स्थिति काफी बिगड़ी हुई थी। उन सभी की आंखों में गंभीर संक्रमण हुआ था। कुछ मरीजों का ऑपरेशन किया गया है और कुछ मरीजों को दवा और इंजेक्शन दिया गया है। उन्हें जांच व इलाज के लिए दोबारा बुलाया गया था, लेकिन सोमवार तक मरीज यहां नहीं आए थे। अब यह कहना मुश्किल है कि उनकी आंख की रोशनी दोबारा आ पाएगी या नहीं।

निकालनी पड़ सकती है आंख

आई हॉस्पिटल के सचिव दिलीप जालान ने कहा कि गंभीर संक्रमण होने के चलते छह लोगों की ऑपरेशन वाली आंख निकालनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि बेहतर इलाज के लिए लोग पटना गए थे। उनमें से कई मरीज लौटकर आ गए। उनकी आंख में गंभीर संक्रमण है। उनका इलाज चल रहा है।

ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का पता नहीं

मरीजों को जो प्रिसक्रीप्शन मिला है उस पर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का नाम एनडीएस लिखा है। छपे हुए प्रिसक्रीप्शन पर किसी का नाम काटकर एनडीएस लिखा गया है। इस संबंध में अस्पताल के सचिव दिलीप जालान ने कहा कि डॉ.एनडी साहू ने ऑपरेशन किया था। उन्हें आग्रह कर बुलाया गया था। इस संबंध में डॉ. साहू ने कहा कि वे 2015 में ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल छोड़ चुके हैं। न उन्होंने ऑपरेशन किया है और न उनका उस अस्पताल से कोई संबंध है।

जांच टीम गठित

इस मामले में मुजफ्फरपुर के डीएम प्रणव कुमार ने कहा कि सिविल सर्जन को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। जांच कमेटी में विशेषज्ञ भी शामिल किए गए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

ड्रॉप डालने के बाद आंखों में सूजन

मीनापुर के रामपुर हरि के रहने वाले राजेश रंजन सिंह ने कहा कि 22 नवंबर को आई हॉस्पीटल में मेरी मां प्रेमा देवी का ऑपरेशन हुआ था। अगले दिन ऑरेशन वाले बायीं आंख की पट्टी खुली तो वह उस आंख से नहीं देख पा रही थी। जब 24 नवंबर को डॉक्टर से इसकी शिकायत की तो उन्होंने एक ड्रॉप दिया लेकिन ड्रॉप डालते ही आंख में सूजन होने लगी। दर्द बढ़ने पर हमलोग घबरा गए और आई हास्पिटल के प्रबंधन से इसकी शिकायत की। वहां पर आंख हटाकर पत्थर लगाने का सुझाव दिया गया। साथ ही पटना के एक अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया।

आंख में बढ़ रही तकलीफ़

मुजफ्फरपुर के मुशहरी की रहने वाली खुशबू ने कहा कि डॉक्टरों के सुझाव पर कैंप में सास मीना देवी का ऑपरेशन करवाई थी। ऑपरेशन के अगले दिन डॉक्टर के सुझाव पर हमलोगों ने जब आंख की पटटी खोली तो ऑपरेशन वाली आंख से उन्हें कुछ दिखायी नहीं दिया। आंख में संक्रमण होने के चलते तकलीफ बढ़ती जा रही है।

ज्ञात हो कि देश भर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में अक्सर डॉक्टरों की लापरवाही का मामला सामने आता है। इस लापरवाही के चलते मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है और मरीज पूरी जिंदगी बेबसी की गुजारते हैं। पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी ऐसी कई घटनाएं सामने आईं हैं जिनमें आंखों के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई।

उत्तर प्रदेश

एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 के जून महीने में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित एक अस्‍पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद एक साथ छह मरीजों के आंखों की रोशनी चली गई थी। इन सभी लोगों ने12 जून को अस्पताल में ऑपरेशन कराया था जिसके 72 घंटे बाद भी इनके आंखों की रोशनी नहीं आई।

शहर के गोदौलिया चौराहे के पास स्थित मारवाड़ी अस्‍पताल में 12 जून को त्रिवेणी प्रसाद वर्मा, यज्ञ नारायण चौबे, पार्वती देवी, अख्‍तरी, मालती देवी और वंदना का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था। इन लोगों का जब निजी अस्पताल जांच हुआ तो पाया गया इनकी आंखों में संक्रमण था।

उधर वर्ष 2015 के जनवरी महीने में मथुरा में कच्चे मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए एक एनजीओ की ओर से कैंप लगाया गया था जिसमें ग्यारह लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी।

वर्ष 2009 के फरवरी महीने में लखनऊ में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद 22 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। ये मामला लखनऊ के सरोजनी नगर इलाके का है जहां मेडिकल कॉलेज की देखरेख में मोतियाबिंद के मुफ्त ऑपरेश को लेकर कैंप चलाया जाता है। इसी कैंप में इन लोगों ने ऑपरेशन कराया था जिसके बाद इनकी आंखों की रोशनी चली गई।

मध्यप्रदेश

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 के दिसंबर में मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में लगे नेत्र शिविर में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही के कारण मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाले 52 लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई। इन लोगों की आंखों की रोशनी आंख की रेटिना में गंभीर संक्रमण और मवाद आ जाने के कारण चली गई। इस शिविर में कुल 86 लोगों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया था, जिनमें से 60 लोगों की आंखों में संक्रमण हो गया।

महाराष्ट्र

वर्ष 2015 में ही महाराष्ट्र के वाशीम में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में हुई लापरवाही के चलते 14 लोगों की आंखों की रोशनी चली गयी। ऑपरेशन के कई दिन बाद जब मरीजों को दिखाई नहीं दिया तो वे वापस अस्पताल गए। वहां उन्हें अकोला जाने के लिए कहा गया जहां पता चला कि उन्हें इन्फेक्शन हो गया और दोबारा ऑपरेशन करना पड़ेगा। लेकिन इस ऑपरेशन के कई दिन बाद भी इन मरीज़ों को दिखाई नहीं दिया।

छत्तीसगढ़

वर्ष 2018 में मार्च महीने में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में मोतियाबिंद के आपरेशन के बाद 11 लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई। जिला मुख्यालय में स्थित क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में 45 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद इनमें से 11 लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई।

झारखंड

इसी साल अक्टूबर महीने में झारखंड के साहिबगंज के बरहरवा स्थित एक निजी अस्पताल में मरीजों की आंखों का ऑपरेशन किया गया था, लेकिन उनके आंखों की रोशनी नहीं लौटी। ऑपरेशन के बाद 12 लोगों की आंख की रोशनी चली गई। रिपोर्ट के मुताबिक आयुष्मान भारत योजना के तहत पीड़ितों का इलाज किया जा रहा था। यहां 5 और 7 अक्टूबर को करीब 12 लोगों की आंखों का ऑपरेशन किया गया था।

Bihar
muzaffarpur
Motiabind Operation
Cataracts operation

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License