NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार चुनाव: ज़मीनी युवा नेताओं से ख़ौफ़ज़दा सरकार! नामांकन के तुरंत बाद भाकपा माले प्रत्याशी गिरफ़्तार 
बिहार की अगीयांव विधानसभा सीट से विपक्षी गठबधंन समर्थित भाकपा माले उम्मीदवार मनोज मंज़िल चुनाव का पर्चा दाखिल करने के बाद जैसे ही निर्वाचन कार्यालय से बाहर निकले उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पहले 2015 के विधानसभा चुनाव में भी नामांकन के दौरान पुलिस ने भाकपा-माले उम्मीदवार मंजिल को गिरफ्तार किया था।
अनिल अंशुमन
09 Oct 2020
बिहार चुनाव: ज़मीनी युवा नेताओं से ख़ौफ़ज़दा सरकार! नामांकन के तुरंत बाद भाकपा माले प्रत्याशी गिरफ़्तार 

ये इस दौर की सबसे बड़ी विडम्बना है कि लोकतन्त्र की दिन रात दुहाई देकर सत्ता में क़ाबिज़ होने वाले दलों की ये स्थायी आदत बन गयी है कि जो कोई भी ज़मीनी नेता उनके राजनीतिक-सामाजिक और चुनावी वर्चस्व को चुनौती दे, उसे फर्जी मुकदमे थोपकर जेल में बंद दें। यह खेल एक बार फिर से उजागर हुआ 7 अक्तूबर को, जब बिहार के जनान्दोलनों के गढ़ भोजपुर के खेत–खलिहानों से दलित गरीबों की मजबूत आवाज़ बनकर उभरने वाले लोकप्रिय नेता मनोज मंज़िल को कथित तौर पर सड़क जाम करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के एक केस में गिरफ्तार कर लिया गया।

वे महागठबंधन समर्थित भाकपा माले के अगीयांव विधानसभा क्षेत्र (सुरक्षित) के प्रत्याशी के रूप में पीरो अनुमंडल कार्यालय में चुनाव नामांकन करने गए थे। इसके पहले भी 2015 के विधान सभा चुनाव के ऐन मौके पर भी उन्हें इसी तरह नामांकन के समय गिरफ्तार किया गया था। उस समय जेल से ही वे चुनाव लड़े और सत्ताधारी दल प्रत्याशी से बहुत कम मतों से हारे थे।

अगिआँव क्षेत्र कपूरडीहरा गाँव के गरीब दलित परिवार में जन्मे और आरा से एमए की पढ़ाई पूरी कर सिविल सर्विस में जाने की तमन्ना रखनेवाले मनोज मंज़िल आरा स्थित हरिजन छात्र आवास की जर्जर स्थिति के खिलाफ आवाज़ उठाने के क्रम में माले के छात्र संगठन आइसा से जुड़कर जुझारू छात्र नेता और भाकपा माले के चर्चित युवा कार्यकर्ता बन गए।

manzil 7.jpg

वामपंथी युवा संगठन इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर शिक्षा–रोजगार और दलित – वंचितों के हक़ – हकूक़ के सवालों पर दिल्ली के जंतर–मंतर तक के प्रतिवाद अभियानों में सक्रिय रहे। तो भाकपा माले केंद्रीय कमेटी सदस्य की अहम जवाबदेही निभाते हुए अपने इलाके में सामंती वर्चस्व की ताकतों के ज़ोर-ज़ुल्म के खिलाफ तथा वहाँ के किसानों की खेती–किसानी, गरीबों के राशन–किरासन जैसे सवालों तथा दलितों-महिलाओं के मान सम्मान के लिए सड़कों के जन प्रतिवाद का नेतृत्व भी करते दीखे। नतीजतन जितने आंदोलन उतने ही फर्जी मुक़दमे सरकार–प्रशासन और सामंती वर्चस्व के गँठजोड़ ने इनपर कर रखे हैं।

सनद हो कि दशकों से भोजपुर क्षेत्र सामंती वर्चस्व की ताकतों के शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ दबी कुचली जनता के प्रतिरोध संघर्ष के मजबूत इलाके के रूप में काफी चर्चित रहा है। मनोज मंजिल उसी धारा के उभरते हुए एक जुझारू और युवा आंदोलनकारी वामपंथी नेता के रूप में जाने जाते हैं।

इसी लॉकडाउन बंदी के बीच क्षेत्र में सामंती वर्चस्व की ताकतों द्वारा दलित महिला दुष्कर्म व उत्पीड़न कांडों के खिलाफ व्यापक जनाक्रोश आंदोलनों का नेतृत्व करने के कारण वे इन ताकतों और इनके संरक्षक सत्ता–प्रशासन के निशाने पर लगातार बने हुए हैं। इसी सितंबर माह में दलित नाबालिग किशोरी के साथ सामंती दबंगों द्वारा किए गए दुष्कर्म कांड के खिलाफ भीम आर्मी नेता रावण के साथ जोरदार आंदोलन किया था।

इसके पहले भी 2017 में उनके द्वारा दलित और गरीब किसानों के बच्चों को शिक्षा का अधिकार के लिए ‘सड़क पर स्कूल’ आंदोलन काफी चर्चित हुआ था। क्षेत्र के सरकारी स्कूली व्यवस्था की लचर स्थिति के खिलाफ कई दिनों तक अगीयांव क्षेत्र के गड़हनी–पवना–चरपोखरी इत्यादि जगहों पर सड़क और ब्लॉक परिसर तक में स्कूल अभियान चलाकर सैकड़ों की तादाद में दलित, गरीब और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों का पाठन-पाठन कार्य कराया।

मजबूरन प्रशासन व शिक्षा विभाग को उस इलाके के सभी सरकारी स्कूलों की खस्ताहाल स्थिति को ठीक करने हेतु सक्रिय होना पड़ा। इस अभियान के लिए भी इनपर कई संगीन मुक़दमे थोप दिये गए। इलाके के गरीब किसानों के खेती–पटवन के एकमात्र साधन सोन नदी से जुड़ी नहर का पानी को जब विभागीय प्रशासन ने रोक दिया तो इसके खिलाफ नारायणपुर में आरा–सहार मुख्य मार्ग पर कई दिनों तक धरना–अनशन कर प्रशासन को नहर में पानी छोड़ने को विवश कर दिया। इसमें भी उन पर कई गैर जमानती केस थोप दिया गया।

गरीबों के राशनकार्ड और मुफ्त अनाज योजना से वंचित किए जाने तथा ब्लॉक – बैंक की धांधली-भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर घेराव आंदोलन चलाया। ऐसे अनगिनत मामले हैं जिनमें लाचार जनता के सवालों पर आंदोलन करने के कारण उनपर अब तक 30 से भी अधिक आपराधिक केस–मुकदमे लाद दिये गए हैं।

लॉकडाउन–बंदी और महामारी संक्रमण की संगीन स्थितियों में प्रवासी मजदूरों और बंदी–महामारी से त्रस्त और परेशान हाल लोगों के राहत–मुआवज़े के लिए लगातार सक्रिय रहे। चुनाव के समय अपनी गिरफ्तारी की आशंका देखकर ही उन्होंने कई गांवों में जाकर लोगों से आगे की लड़ाई जारी रखने की अपील कर आए।

manzil 4.jpg

क्षेत्र की जनता के नाम जारी वीडियो अपील में उन्होंने स्पष्ट कहा कि– मैं अगीयांव विधान सभा क्षेत्र से नामांकन के लिए जा रहा हूँ और मुझे लगता है कि मेरी गिरफ्तारी निश्चित है। लेकिन मौजूदा फासीवादी-जन विरोधी मोदी–नीतीश शासन को बता देना चाहता हूँ कि जनता के सवालों पर लड़नेवाले हम जैसे लोग तुम्हारे मुकदमों से खौफ नहीं खाते हैं। तुम्हारे सारे मुकदमे मेरे लिए सम्मान मेडल जैसे हैं। मुझ पर 30 तो क्या 30,000 मुकदमे कर दिये जाएँ तब भी सैकड़ों बार जेल जाने को तैयार हूँ लेकिन इस बार के विधान सभा चुनाव में जनता सबक सीखा कर रहेगी!                          

खबर है कि मनोज मंज़िल की गिरफ्तारी से महागठबंधन के सभी दलों और क्षेत्र की व्यापक जनता में काफी आक्रोश है। उनकी अनुपस्थिति में उनकी पत्नी ने भी चुनावी गोलबन्दी का मोर्चा संभाल रखा है। दूसरी खबरों के अनुसार लगभग ऐसे ही तेवर प्रदेश के उन सभी विधान सभा सीटों पर होने की बात कही जा रही है जहां महागठबंधन समर्थित वामपंथी दलों के अन्य प्रत्याशी खड़े हैं। जिसका एक प्रमाण, धनबल वाले सत्ताधारी दलों के गाड़ियों के काफिले व लाव–लश्कर के जवाब में लाल झंडे और महागठबंधन के झंडे लिए किसानों, महिलाओं, छात्र, युवाओं के जोशभरे जुलूसों के साथ हो रहे चुनाव नामांकनों में भी दीख रहा है। जिसे स्वर देते हुए सोशल मीडिया में भी कहा जा रहा है कि वामपंथ बिकाऊ नहीं, टिकाऊ होता है ... ! 

Bihar
bihar election
CPIM
Leftist youth organization
Migrant workers
Nitish Kumar
Narendra modi

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: मुझे गर्व करने से अधिक नफ़रत करना आता है
    01 May 2022
    जब गर्व खोखला हो तो नफ़रत ही परिणाम होता है। पर नफ़रत किस से? नफ़रत उन सब से जो हिन्दू नहीं हैं। ….मैं हिंदू से भी नफ़रत करता हूं, अपने से नीची जाति के हिन्दू से। और नफ़रत पाता भी हूं, अपने से ऊंची…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    मई दिवस ज़िंदाबाद : कविताएं मेहनतकशों के नाम
    01 May 2022
    मई दिवस की इंक़लाबी तारीख़ पर इतवार की कविता में पढ़िए मेहनतकशों के नाम लिखी कविताएं।
  • इंद्रजीत सिंह
    मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश
    01 May 2022
    इस बार इस दिन की दो विशेष बातें उल्लेखनीय हैं। पहली यह कि  इस बार मई दिवस किसान आंदोलन की उस बेमिसाल जीत की पृष्ठभूमि में आया है जो किसान संगठनों की व्यापक एकता और देश के मज़दूर वर्ग की एकजुटता की…
  • भाषा
    अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश
    30 Apr 2022
    प्रधान न्यायाधीश ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कहा न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के…
  • भाषा
    जनरल मनोज पांडे ने थलसेना प्रमुख के तौर पर पदभार संभाला
    30 Apr 2022
    उप थलसेना प्रमुख के तौर पर सेवाएं दे चुके जनरल पांडे बल की इंजीनियर कोर से सेना प्रमुख बनने वाले पहले अधिकारी बन गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License