NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बात बोलेगी: मोदी के भाषण में जमा नहीं रंग, राहुल की ज़मीनी पकड़ तेज़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज पहली चुनावी रैली में इस बात का आभास हो गया, कि एनडीए के लिए मामला इतना आसान नहीं है। उन्हें बिहार की जनता को नया देने के लिए कुछ नहीं है, वे बस 15 साल पहले का ख़ौफ़ दिखाकर मैदान मारना चाहते हैं।
भाषा सिंह
23 Oct 2020
bihar election
बिहार चुनाव में आज एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महागठबंधन की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की एंट्री हुई। दोनों ने अलग-अलग स्थानों पर चुनाव सभाएं कीं।

बिहार की धरती क्या गुल खिलाएगी, किसे जिताएगी, किसे हराएगी ये तो खैर बाद से सामने आ ही जाएगा, लेकिन लड़ाई तो बहुत दिलचस्प और तीखी हो गई है। ऐसा आकलन शायद केंद्र की मोदी सरकार और राज्य में 15 साल से सत्तासीन नीतीश सरकार का नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज पहली चुनावी रैली में इस बात का आभास हो गया, कि एनडीए के लिए मामला इतना आसान नहीं है। उन्हें बिहार की जनता को नया देने के लिए कुछ नहीं है, वे बस 15 साल पहले का खौफ दिखाकर मैदान मारना चाहते हैं।

सासाराम, गया और भागलपुर में शुक्रवार (23 अक्तूबर) को चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे की दिशा से ज्यादा खौफ दिखाया विपक्ष का। पिछले 15 सालों से ज्यादा उनका ध्यान, और 15 साल पहले के बिहार की तस्वीर को पेश करने पर गया। बार-बार वह राजद के चुनाव चिह्न लालटेन को गैर-जरूरी बता रहे थे और इस बहाने बिहार के विकास की बात कह रहे थे। उन्हें बिहार के शहीदों की याद आई, लेकिन बिहार के नौजवानों की नहीं।

आज के प्रधानमंत्री के भाषण से एक बात साफ हो गई कि बिहार को आगे बढ़ाने का कोई ठोस विजन इस समय मोदी-नीतीश के गठबंधन के पास नहीं है। हालांकि अभी जनता दल यू और भारतीय जनता पार्टी को इस बात पर पूरा भरोसा है कि आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के जलवे से हवा उनके पक्ष में हो जाएगी। अभी वैसे भी मतदान में समय है और कई पत्ते सत्ताधारी पार्टी के पास हो सकते हैं। लेकिन अभी तक जनता दल यू और भाजपा रक्षात्मक और नकारात्मक ग्राउंड पर खेल रही है। मिसाल के तौर पर प्रचार लाइन भी-  “क्यूँ करें विचार, ठीके तो हैं नीतीश कुमार”  बहुत कुछ कहती हैं। अभी तक एंटी इनकंबेंसी को पार पाने के लिए लालू यादव के दौर का जिक्र करने पर निर्भरता बनी हुई है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण भी इसी परिधि में रहे, जहां उन्होंने बिहार के पिछड़ेपन के लिए 90 के दशक की अव्यवस्था को दोषी दिखाया। आज सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा टेलिप्रॉप्टर से पढ़ते हुए भाषण पर भी खूब मजाक उड़ा—लोग पूछ रहे थे कि बिहार की धरती ने आखिर उन्हें वापस यहां पहुंचा दिया।   

उधर महागठबंधन की रैलियों में जिस तरह का जोश और उत्साह नजर आ रहा है, वह बिहार में राजनीतिक परिवर्तन की शुरुआती सुगबुगाहट का संकेत दे रहा है। राजद के तेजस्वी यादव की सभाओं में युवाओं की भारी पैमाने में शिरकत, बेरोजगारी की भीषण मार से त्रस्त नौजवानों की वेदना से जुड़ रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नवादा, भागलपुर में बिहार से जुड़े बुनियादी सवाल पूछते हुए, यह सवाल भी उछाल दिया कि लोगों को प्रधानमंत्री का भाषण कैसा लगा। बिहार से ही जवाब मिलेगा मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों का—इस तरह का हौसला राहुल गांधी ने अपने भाषण में जताया। एक बात जो साफ दिखाई दे रही थी, वह यह कि प्रधानमंत्री ने आज जिन बातों का जिक्र अपने भाषण में किया था, उनका तर्कसंगत जवाब राहुल गांधी दे रहे थे। ऐसा लगता है कि इस बार बिहार में रोजगार एक बड़े मुद्दे के तौर पर राजनीति को गर्मा रहा है।

दोनों ही तरफ से वादों की बारिश हो रही है। लेकिन मोदी और नीतीश के लिए मुश्किल यह है कि इतने सालों तक सत्ता में रहने के बावजूद नौकरी औऱ रोजगार देने के उनके तमाम वादे झूठे साबित हुए। अगर बुनियादी सवालों पर बिहार का चुनाव केंद्रित रहता है तो निश्चित तौर पर परिणाम चुनावी जुगलबंदियों और भविष्यवाणियों से इतर हो सकते हैं।

Bihar Elections 2020
Assembly elections
NDA Govt
Narendra modi
Nitish Kumar
mahagathbandhan
Grand Alliance
Rahul Gandhi
Tejashwi Yadav

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया


बाकी खबरें

  • भाषा
    बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की
    28 May 2022
    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 59,262 बच्चे लापता हुए थे, जबकि पिछले वर्षों में खोए 48,972 बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका था, जिससे देश…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: मैंने कोई (ऐसा) काम नहीं किया जिससे...
    28 May 2022
    नोटबंदी, जीएसटी, कोविड, लॉकडाउन से लेकर अब तक महंगाई, बेरोज़गारी, सांप्रदायिकता की मार झेल रहे देश के प्रधानमंत्री का दावा है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे सिर झुक जाए...तो इसे ऐसा पढ़ा…
  • सौरभ कुमार
    छत्तीसगढ़ के ज़िला अस्पताल में बेड, स्टाफ और पीने के पानी तक की किल्लत
    28 May 2022
    कांकेर अस्पताल का ओपीडी भारी तादाद में आने वाले मरीजों को संभालने में असमर्थ है, उनमें से अनेक तो बरामदे-गलियारों में ही लेट कर इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है।
  • सतीश भारतीय
    कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  
    28 May 2022
    मध्यप्रदेश में मजदूर वर्ग का "तेंदूपत्ता" एक मौसमी रोजगार है। जिसमें मजदूर दिन-रात कड़ी मेहनत करके दो वक्त पेट तो भर सकते हैं लेकिन मुनाफ़ा नहीं कमा सकते। क्योंकि सरकार की जिन तेंदुपत्ता रोजगार संबंधी…
  • अजय कुमार, रवि कौशल
    'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग
    28 May 2022
    नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलन करने की रणनीति पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सैकड़ों विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 27 मई को बैठक की।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License