NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार चुनाव: युवा निर्णायक भूमिका में, रोज़गार और शिक्षा जैसे मुद्दों पर होगा फ़ैसला!
बिहार चुनाव में कुल मतदाताओं का लगभग 50 प्रतिशत युवा है। यही कारण है कि सभी राजनैतिक दल इस वर्ग को साधने में लगे हैं क्योंकि ये सत्ता की एक निर्णायक कुंजी साबित हो सकता है।
अभिषेक पाठक
26 Oct 2020
बिहार चुनाव

लोकतंत्र में जनता, जनमानस से जुड़े मुद्दे और उनकी आवाज़ सर्वोपरि होती है। कोविड के दौर में होने जा रहा बिहार विधानसभा चुनाव जात-पात, मज़हब और तमाम अन्य खोखली बातों से ऊपर उठकर नौजवानों और उनकी ज़िंदगी से जुड़े अहम मुद्दों की ओर काफी हद तक केंद्रित हो चुका है।

बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार का अब तक का लेखा जोखा यही है कि प्रतिपक्ष से लेकर सत्ताधारी दल तक सभी इस युवा वर्ग को रिझाने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं। दरअसल इस चुनाव में युवा वर्ग एक निर्णायक भूमिका में खड़ा है।

चुनाव आयोग के मुताबिक कुल 7.29 करोड़ मतदाता इस चुनाव में बिहार की सत्ता का हक़दार तय करने जा रहे हैं जिसमें से अनुमानित 70 लाख से अधिक ऐसे मतदाता हैं जो पहली बार अपने वोट का इस्तेमाल करेंगें। 18-19 आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 7.14 लाख है।

20-29 आयु वर्ग के 1.60 करोड़ मतदाता हैं जबकि 30-39 आयु वर्ग के करीब 1.98 करोड़ मतदाता हैं। इस प्रकार 18-39 आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या तकरीबन 3.66 करोड़ है जोकि कुल मतदाताओं का लगभग 50 प्रतिशत है। यही कारण है कि सभी राजनैतिक दल इस वर्ग को साधने में लगे हैं क्योंकि ये सत्ता की एक निर्णायक कुंजी साबित हो सकता है।

तमाम मुद्दों से ऊपर रोज़गार का मुद्दा अहम क्यों?

कुल मतदाताओं में से एक बहुत बड़ा हिस्सा नौजवानों का है, चूंकि रोज़गार जैसे मुद्दे इस युवा वर्ग की प्राथमिकता है इसीलिए इस चुनाव में रोज़गार एक अहम मुद्दा बन चुका है। बिहार में रोज़गार की बद्तर स्थिति को समझने के लिए कुछ आंकड़ों पर नज़र डालते हैं। अप्रैल, 2020 में सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकॉनमी(CMIE) के सर्वे के अनुसार बिहार में बेरोज़गारी दर 46.6% तक पहुंच गई जोकि राष्ट्रीय दर (23.5%) से लगभग दो गुनी है।

2018-19 के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे(PLFS) के अनुसार भी देश मे बेरोज़गारी दर 5.8% दर्ज की गई जबकि बिहार में यह 10.2% पहुंच गई जोकि राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। यही नहीं, 2018-19 के PLFS के अनुसार भारत में 23.8% लोग वेतनभोगी हैं यानी उन्हें एक निश्चित मासिक वेतन प्राप्त होता है जबकि बिहार में महज़ 10.4 फीसदी लोग ही वेतनभोगी हैं।

महिला भागीदारी के दृष्टिकोण से रोज़गार के आयाम और सृजन को देखा जाए तो ये स्थिति और अधिक खराब है। लॉकडाउन के दौरान लाखों की संख्या में गरीब मज़दूरों का दर्दनाक पलायन आज भी लोगों के ज़ेहन में है। रोज़ कुआं खोदकर रोज़ पानी पीने वाले श्रमिकों का अपने घरों तक का सफर पैदल तय करना, आज भी सरकारी विफलताओं का स्मरण कराता है।

गौरतलब है कि लॉकडाउन के वक़्त 20 लाख से अधिक मज़दूर बिहार वापस आए थे जो रोज़ी-रोटी की तलाश में बिहार से बाहर गए थे। ये आंकड़ा राज्य में रोज़गार की स्थिति को बखूबी बयां करता है। प्रदेश के लोगों को रोज़गार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने में सरकार नाकाम रही है जिसके कारण हर साल बिहार से हज़ारों-लाखों की संख्या में पलायन होता है। सिर्फ रोज़गार नहीं, स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी कारणों से भी लोग बाहर जाने को विवश हैं।

images (8).jpeg
प्रदेश में रोज़गार के इन बद-से-बदतर होते हालातों से युवा वर्ग में भारी रोष है। और चुनावी कैंपेन में इस मुद्दे पर बात करना चुनावी दलों के लिए अनिवार्य-सा बन चुका है। राष्ट्रीय जनता दल(आरजेडी) के नेता तथा महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने बड़े पैमाने पर इस पर आवाज़ उठाते हुए इसे एक चुनावी मुद्दा बनाया और सत्ता में उनकी वापसी के साथ ही 10 लाख नौकरी देने का वायदा किया है।

आरजेडी के घोषणापत्र में पहली कैबिनेट में 10 लाख नौकरियों की घोषणा के साथ, सरकारी नौकरियों में बिहार वालों के लिए 85% आरक्षण, नौकरियों के लिए आवेदन शुक्ल माफ, शिक्षा का बजट 22%, स्थायी नियुक्ति और किसानों की कर्जमाफी जैसे मुद्दे शामिल हैं।

ध्यान देने वाली बात ये है कि तेजस्वी के 10 लाख जॉब्स के वायदे के बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के शीर्ष नेता और एनडीए के सीएम फेस नीतीश ने तंज कसते हुए कहा कि ये बिल्कुल असंभव और इंप्रैक्टिकल है। हालांकि उनके इस बयान का मज़ाक तब बन गया जब खुद उनके गठबंधन के सहयोगी भाजपा ने 10 लाख के जवाब में 19 लाख रोज़गार देने का वायदा किया।

नौजवानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करती भाजपा

चुनावी काल मे जब भारतीय जनता पार्टी 19 लाख रोज़गार का चुनावी वायदा करती है तो कर्मचारी चयन आयोग और रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की परीक्षाओं तथा अन्य राज्यस्तरीय परीक्षाओं की तैयारी करने वाले लाखों छात्र खुद को ठगा-सा महसूस करते हैं।

रोज़गार के लिहाज़ से सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों की स्थिति दयनीय है। देश में रिकॉर्ड बेरोज़गारी दर के बीच सरकारी क्षेत्रों में लगातार कम होती वेकैंसी नौजवान प्रतिभागियों के लिए एक चिंता का विषय बन चुकी है। इन सब के बावजूद यूपी, बिहार और अन्य राज्यों के छोटे-छोटे गावों से शहरों में आकर हर साल लाखों युवा छात्र एक बेहतर जीवन की उम्मीद में इन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।

इन सभी छात्रों के लिए महज़ रोज़गार ही एक चुनौती नहीं है बल्कि वेकैंसी में प्रतिवर्ष गिरावट, वेकैंसी और आवेदकों की संख्या के बीच बढ़ता अनुपात, परीक्षा-प्रोसेस में होने वाला सालों-साल का विलंब, परिणाम और जॉइनिंग के लिए आंदोलन करना और न जाने कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है इस युवा वर्ग को आज के दौर में एक स्थायी रोज़गार के लिए। ऐसे में देश और प्रदेश की सत्ता पर आसीन एनडीए सरकार जब लाखों नयी नौकरियों या रोज़गार की बात करता है तो युवा वर्ग के लिए ये बेमानी सा लगता है।

वास्तविकता यही है कि ना सिर्फ प्रदेश बल्कि देशभर में युवा नाराज़ हैं। पिछले कुछ महीनों में छात्रों और युवाओं का 'डिजिटल आक्रोश' देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि सत्तारूढ़ दल के लिए नौजवानों का विश्वास जीतने की राह आसान नहीं।

images (6).jpeg
केवल रोज़गार नहीं, अनेकों क्षेत्रों में बिहार की दयनीय स्थिति, एक नज़र-

* शिक्षा-दुनिया को नालंदा और विक्रमशिला जैसी शैक्षणिक धरोहर देने वाले बिहार की शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान स्थिति बेहद खराब है। नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस(NSO) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार साक्षरता दर के दृष्टिकोण से बिहार नीचे से तीसरे स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में महिला साक्षरता दर शहरी इलाकों में 75.9% जबकि ग्रामीण इलाकों में महज़ 58.7 फीसदी है।

* बात शिक्षा में गुणवत्ता की करें तो नीति आयोग के द्वारा जारी किए गए स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स(SEQI) में बिहार का नाम बॉटम 5 में आता है।

* नीति आयोग की एक्सपोर्ट प्रीपेयर्डनेस इंडेक्स में भी बिहार का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है।

* नीति आयोग द्वारा जारी किए गए सस्टेनेबल डेवेलपमेंट गोल इंडेक्स में केरल टॉप पोजीशन पर रहा जबकि बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब है और उसे सूची में निम्नतम स्थान प्राप्त है।

* पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स(PAI), 2018 में भी बिहार का स्थान बॉटम में रहा।

* बात कानून व्यवस्था की की जाए तो बिहार स्थिति बेहद खराब है। टाटा ट्रस्ट्स के द्वारा 'इंडिया जस्टिस रिपोर्ट' जारी की गयी। चार मानदंडों के मध्यनज़र किये गए इस अध्ययन में यूपी और बिहार को 18 बड़े राज्यों की सूची में अंतिम 2 का स्थान प्राप्त है।

* अच्छी चिकित्सा सुविधाओं के लिए भी बिहारवासियों दिल्ली जैसे राज्यों का रुख करना पड़ता है। नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स में बिहार को बॉटम-5 में स्थान प्राप्त है।

* इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश के लिहाज़ से भी बिहार दयनीय स्थिति में है।

* बिहार की पर कैपिटा इनकम भी राष्ट्रीय औसत से बेहद कम है।

गरीबी, बेरोज़गारी, शिक्षा, चिकित्सा, कानून व्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कई क्षेत्र हैं जहां बिहार बेहद चरमराती स्थिति में हैं। प्रदेश में राजनैतिक अक्षमता के कारण दंश झेल रहे नौजवान, छात्र, किसान, महिलाएं और अन्य सभी वर्ग इन सभी मुद्दों को मद्देनजर रखते हुए चुनाव में राजनैतिक दलों का भविष्य तय करेंगें और बिहार की सत्ता को उसका हकदार मिलेगा।

अबतक के चुनाव कैंपेन से ये बात स्पष्ट हो गयी कि महागठबंधन द्वारा युवाओं की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाले मुद्दों को जिस प्रमुखता से बड़े पैमाने पर उठाया गया उससे रोज़गार जैसे मुद्दे बिहार में चुनावी चर्चा और कैंपेन का महत्वपूर्ण विषय बन चुके हैं। इस चुनाव में जात-पात, मज़हब, मंदिर-मस्ज़िद, हिंदुस्तान-पाकिस्तान जैसे हवाई मुद्दों से ऊपर रोज़गार जैसे मुद्दों को काफी हद तक प्रमुखता प्राप्त हुई है और इस चुनाव में एक निर्णायक भूमिका में खड़ा युवा वर्ग भी इन्ही मुद्दों पर उत्साहित प्रतीत हो रहा है।

शायद यही कारण है कि सभी राजनैतिक दल इस वर्ग को अपने पाले में करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। खैर बिहार की जनता किसे सत्ता की ज़िम्मेदारी सौंपती है और कौन इस सत्ता पर काबिज़ होगा ये तो आने वाले परिणाम ही बताएंगे।

Bihar election 2020
Bihar Youth
education
unemployment
Nitish Kumar
jdu
NDA Govt
Narendra modi
Tejashwi Yadav
RJD
COVID-19
Bihar Election Update
Bihar Grand Alliance

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License