NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार चुनाव: गरीबों का सीना तन जाये तो क्यों दुखी होते हैं बाबू साहेब?
बाबू साहेब वाले बयान के लिए राजद को डिफेंसिव होने की कोई जरूरत नहीं थी। बिहार को जानने-समझने वाले प्रगतिशील लोगों का यही मानना है।
पुष्यमित्र
28 Oct 2020
बिहार चुनाव
Image courtesy: Ampinity

“तेजस्वी ने जो कहा उसमें कोई गलती नहीं, बाबू साहेब वाले बयान के लिए राजद को डिफेंसिव होने की कोई जरूरत नहीं थी। हां, वे बाबू साहेब के बदले सामंती ताकत कहते तो अधिक उचित रहता। तेजस्वी या राजद लालू जी के दौर के भ्रष्टाचार या अपराध को लेकर भले डिफेंसिव हो जायें, मगर उन्होंने सामाजिक बदलाव को लेकर जो काम किये हैं, उनके लिए तो वे हमेशा याद किये जायेंगे। यह सच है कि एक दौर था, जब गरीब लोग समाज के सामंती मिजाज के लोगों के सामने सिर झुकाकर चलते थे, लालूजी की कोशिशों से उसमें बदलाव आया। समाज में समानता का बोध बढ़ा।” ये बातें एएन सिंहा इंस्टीच्यूट के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ने इस संवाददाता से कही, जब उनसे रोहतास में एक चुनावी रैली में तेजस्वी द्वारा दिये गये बयान और उसको लेकर मचे बवाल पर टिप्पणी मांगी गयी।

दरअसल इस सोमवार, 26 अक्तूबर को पूरे दिन मीडिया में राजद नेता तेजस्वी यादव का वह वीडियो चलता रहा, जिसमें उन्होंने कहा था कि लालू जी के राज में बाबू साहेब के सामने गरीब भी सीना तान कर चलता था। इस बयान को लगातार मीडिया में चलाकर यह बताया गया कि तेजस्वी यहां इस बयान के जरिये बाबू साहेब यानी राजपूतों का अपमान कर रहे हैं।

तेजस्वी यादव के इस बयान का वीडियो बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट करते हुए लिखा कि तेजस्वी ने रोहतास की सभा में सवर्ण जातियों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा कि पहले भी राजद ने गरीब सवर्णों को दिये जाने वाले दस फीसदी आरक्षण का विरोध किया था। खुद वरिष्ठ राजनेता रघुवंश प्रसाद सिंह को भी सवर्ण होने के कारण अपने आखिरी दिनों में अपमानित होकर राजद छोड़ना पड़ा था। राजद की राजनीति भूराबाल यानी भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला को खत्म करने की रही है।

इसके बाद करणी सेना ने भी तेजस्वी के इस बयान को राजपूतों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी माना औऱ उनसे माफी मांगने को कहा। कई क्षत्रिय संगठनों ने तेजस्वी का विरोध किया। यह विरोध इतना उग्र हो गया कि आखिरकार शाम होते-होते राजद के मुख्य प्रवक्ता मनोज झा को सफाई पेश करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि तेजस्वी ने यह टिप्पणी किसी जाति के लिए नहीं बल्कि दफ्तर के बाबुओं के लिए की थी। वे अपने हर भाषण में नीतीश काल में बेलगाम हुए भ्रष्ट बाबू तंत्र पर प्रहार करते हैं। इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।

हालांकि यह बहुत स्पष्ट था कि राजद डिफेंसिव हो चुकी है। मतदान से ठीक पहले चरण के ठीक पहले हुए इस विवाद से उसे नुकसान का अंदेशा है। इसलिए वे शब्दों का खेल-खेल कर बात को बदल रहे हैं।

मगर ऐसे में यह सवाल जरूर उठता है कि हमेशा से सामाजिक न्याय की पक्षधर पार्टी

रही राजद अब सामाजिक न्याय के असल सवालों से क्यों सकुचाने लगी है। बिहार में पिछले 50 साल से तो जातीय समानता की यही लड़ाई चल रही है। वह भी काफी हद तक अधूरी है। ऐसे में राज्य में सामाजिक न्याय की पक्षधर पार्टियां क्यों इन सवालों से मुंह मोड़ रही हैं। किसी गरीब व्यक्ति के सामंतों के सामने सीना तान कर चलने में क्या बुराई है? इससे सामंतों या सवर्णों का कैसे अपमान हो जाता है?

बिहार में सामाजिक न्याय के सवालों पर लगातार मुखर रहने वाले लेखक, विचारक एवं राजनेता प्रेमकुमार मणि इन सवालों का जवाब देते हुए कहते हैं कि राजद के प्रवक्ताओं को तेजस्वी की इस टिप्पणी पर डिफेंसिव होने की बिल्कुल जरूरत नहीं थी। वे कहते हैं, हालांकि बाबू शब्द बंगाल से आया है और वहां का बाबू मोशाय यहां बाबू साहेब हो गया है। यहां एक खास जाति के बड़े नेताओं ने अपने नाम के आगे बाबू लिखना शुरू कर दिया, इसलिए बाबू साहेब धीरे-धीरे एक खास जाति की पहचान के साथ जुड़ गया।

वे कहते हैं, इस विवाद को बेवजह तूल देने में मीडिया की भूमिका को भी रेखांकित करने की जरूरत है। आखिर इस बयान में गलत क्या है? अगर एक गरीब व्यक्ति में समाज के ताकतवर लोगों के सामने सीना तान कर चलने का साहस आ जाता है तो यह तो अच्छी बात है। हमारा संविधान ठीक से लागू हो रहा है। लालू जी ने या सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले दूसरे किसी नेता ने तो यही काम किया।

वे कहते हैं कि हालांकि लालू जी पूरी तरह सामाजिक न्याय के एजेंडे को लागू नहीं करा पाये। भूमि-सुधार का काम बाकी रह गया। बाद में नीतीश जी अनौपचारिक बातचीत में कहते थे कि उस बचे काम को वे पूरा करेंगे। उन्होंने बंद्योपाध्याय कमिटी का गठन किया, ताकि बिहार में जमीन के सवालों का हल निकल सके। मगर बाद में उन्होंने खुद उस कमिटी की सिफारिश को लागू नहीं कराया। सवर्ण सामंतों की सभा में जाकर कहते रहे कि हम हैं न, आपलोग काहे परेशान होते हैं।

जगदेव प्रसाद और कर्पूरी ठाकुर के वक्त से बिहार में शुरू हुई सामाजिक न्याय की प्रक्रिया हाल के वर्षों में कहां खो गयी है। इस सवाल के जवाब में डीएम दिवाकर कहते हैं कि नीतीश जी जब सत्ता में आये तो उनकी सहयोगी पार्टी सवर्णों की पक्षधर थी, धीरे-धीरे सवर्ण जातियां फिर से मजबूत होती चली गयीं। ऐसे में नीतीश जी खुद ही इन सवालों को इग्नोर करने लगे। फिर सत्ता हासिल करने का एक नया फार्मूला सामने आ गया, सबका साथ, सबका विकास। इसमें राजनीतिक दलों ने सबका, मतलब शोषक का भी और शोषित का भी। साथ लेने का प्रयास शुरू कर दिया। ऐसे में न तो सबका साथ मिला और विकास तो किसी का भी नहीं हुआ। 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Bihar
Bihar election 2020
RJD
Tejashwi Yadav
jdu
Nitish Kumar
Narendra modi
NDA Govt

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं
    17 May 2022
    निर्मला सीतारमण ने कहा कि महंगाई की मार उच्च आय वर्ग पर ज्यादा पड़ रही है और निम्न आय वर्ग पर कम। यानी महंगाई की मार अमीरों पर ज्यादा पड़ रही है और गरीबों पर कम। यह ऐसी बात है, जिसे सामान्य समझ से भी…
  • अब्दुल रहमान
    न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध
    17 May 2022
    फिलिस्तीनियों ने इजरायल द्वारा अपने ही देश से विस्थापित किए जाने, बेदखल किए जाने और भगा दिए जाने की उसकी लगातार कोशिशों का विरोध जारी रखा है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: चीन हां जी….चीन ना जी
    17 May 2022
    पूछने वाले पूछ रहे हैं कि जब मोदी जी ने अपने गृह राज्य गुजरात में ही देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति चीन की मदद से स्थापित कराई है। देश की शान मेट्रो…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजद्रोह मामला : शरजील इमाम की अंतरिम ज़मानत पर 26 मई को होगी सुनवाई
    17 May 2022
    शरजील ने सुप्रीम कोर्ट के राजद्रोह क़ानून पर आदेश के आधार पर ज़मानत याचिका दायर की थी जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 मई को 26 मई तक के लिए टाल दिया है।
  • राजेंद्र शर्मा
    ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!
    17 May 2022
    सत्तर साल हुआ सो हुआ, कम से कम आजादी के अमृतकाल में इसे मछली मिलने की उम्मीद में कांटा डालकर बैठने का मामला नहीं माना जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License