NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार चुनाव: नीतीश के गांव के महादलितों को विकास का इंतज़ार 
कल्याण बिगहा गाँव में एक बड़ी खाई नज़र आती है क्योंकि इलाक़े के विकसित हिस्से में कुर्मी समुदाय का दबदबा है। अप्रत्याशित रूप से, महादलितों वाला इलाक़ा काफ़ी हद तक अविकसित है।
मोहम्मद इमरान खान
30 Oct 2020
Translated by महेश कुमार
कल्याण बिगहा

कल्याण बिगहा (बिहार): “हम ख़ुश नहीं है; हमरा कोई विकास नहीं हुआ है, कल भी झोंपड़ी में रहते थे और आज भी वहीं रहते हैं। हमको कुछ नहीं मिला हैं।” उक्त बातें गंगू मांझी, एक बूढ़े महादलित ने कहीं। मांझी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा के निवासी हैं।

15 साल पहले सत्ता में आने के बाद नीतीश ने जिस गाँव के मॉडल को बहुत प्रचारित किया था और जिसे नितीश ने ’विकसित’ किया था उसके बारे में एक ग़रीबी से पीड़ित गाँव के गंगू के शब्दों में अलग ही कहानी बयान करते हैं। सीएम का गांव नालंदा जिले के हरनौत विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

गंगू अकेला नहीं है; इस गाँव के उस अविकसित हिस्से में दर्जनों ऐसे लोग हैं, जिन्हें स्थानीय तौर पर हरिजन टोला या महादलित बस्ती के नाम से जाना जाता है, जहाँ उनके समुदाय के अधिकांश सदस्य रहते हैं। उसका गाँव का इलाका इस सब से अलग कैसे है? इसके स्पष्ट संकेत इस बात से मिलते हैं- कि उनके इलाके में संकीर्ण गली हौं जो कीचड़ से भरी है और फूस की झोपड़ी और ईंट के छोटे-छोटे घर हैं, जो वहाँ की भयंकर गरीबी को दर्शाते हैं।

“आप ज़रा मेरे घर को देखो- प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमजीएवाई) के तहत न तो सरकार ने इसे बनाने में मदद की और न ही बहुप्रचारित स्वच्छ भारत अभियान के तहत इसमें शौचालय का निर्माण किया गया। गंगू ने कहा कि हम क्या कर सकते हैं, हम असहाय हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि विकास की वजह से गाँव के कुछ लोगों को मदद मिली, लेकिन “हमें राशन के अलावा कुछ नहीं मिला; विकास का मतलब हमारे लिए कुछ भी नहीं था।”

गंगू मांझी 

गंगू के घर से कुछ फुट की दूरी पर, उनका गरीब पड़ोसी दारोगी मांझी और उनकी पत्नी फुलवा देवी ने अपने दर्द और दुख को व्यक्त किया। दारोगी ने याद किया कि एक दशक पहले, उन्होंने नीतीश की पत्नी के नाम पर यज्ञ किया और अपनी भैंस का दस किलो दूध दान किया था, जिनका 2007 में निधन हो गया था। “मैंने नीतीश के लिए जो भी किया वह मेरा योगदान था, लेकिन उन्होंने कभी हमारी मदद नहीं की और हमें मझधार में छोड़ दिया। जैसे कि वह एक राजा है और हम उसकी शिकायत नहीं कर सकते। नीतीश के गाँव के विकास के बावजूद हमारी कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया है।

दारोगा मांझी और उनकी पत्नी फुलवा देवी अपनी गारे से बनी झोंपड़ी में 

फुलवा, जो अभी अपना दोपहर का भोजन खा कर हटी थी, जिसमें भात-चोखा (उबले हुए चावल और मैश किए हुए आलू) शामिल थे, ने पूछा कि इस तरह के 'विकास' का क्या मतलब है, जब इसका उन पर उसका कोई असर ही नहीं हुआ। 

युवा अनुज मांझी और उनकी पत्नी, सरस्वती देवी, भूमिहीन हैं और यहाँ के अधिकांश महादलितों की तरह खेत मजदूर के रूप में काम करते हैं। दो बच्चों के पिता अनुज ने न्यूज़क्लिक को बताया कि कोई भी सरकारी योजना अब तक उनके पास नहीं पहुंची है, उन्होने यह भी बताया कि गाँव में मनरेगा के तहत काम मिलना आसान नहीं है। 

“हमारे पास कोई राशन कार्ड नहीं है, शौचालय भी नहीं है और मेरी झोंपड़ी गारे और फूस की है मेरे लिए ईंट का घर होना अभी भी एक सपना है। हमें हमारी बस्ती के लिए पैसा नहीं मिला (ग्रामीण का पीएमजीएवाई पर तंज़)। हमें खुले में शौच के लिए जाने के लिए मजबूर किया जाता है। हमारे जैसे कई लोग हैं। कागज पर, हालांकि, हमारा गाँव खुले में शौच के मामले में मुक्त है, ”उन्होंने कहा।

अनुज माझी और सरस्वती देवी अपने गारे के बने घर के सामने 

सरस्वती जो अपनी गोद में लिए बच्चे लिए खडी थी ने कहा कि वे बहुत गुरबत में जीवन जीते हैं। "क्या करें नीतीश जी पेट थोड़े भरेंगे, हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।" उन्होंने कहा कि सीएम आमतौर पर साल में एक बार अपने गांव आते हैं, वह भी आमतौर पर केवल एक समारोह के लिए, और यह जाने बिना कि गरीब कैसे रहते हैं वे चले जाते हैं। उन्होंने कहा, 'अगर वे चाहते तो हमें आजीविका मुहैया करा सकते थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हम अभी भी धान की कटाई करने के लिए खेत मजदूर के रूप में काम करते हैं; हमारी आजीविका अनिश्चित है।

एक अधेड़ आयु वर्ग के महादलित ग्रामीण, जो अपना नाम गुमनाम रखना चाहते थे, ने आरोप लगाया कि नीतीश के पैतृक घर, सीताराम- को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत दो बार धनराशि मिली, जिसे पहले इंदिरा आवास योजना के रूप में जाना जाता था। उन्होंने दावा किया कि कोई भी देख सकता है कि सीताराम इस मदद से दो मंजिला इमारत बनाने में कामयाब रहे हैं।

सीताराम का काफी बड़ा घर हरिजन टोला के पास के एक कोने पर स्थित है। कुर्मी (नीतीश की जाति, एक ओबीसी समुदाय) बहुमत वाले गाँव के एक हिस्से में बड़ी खाई मौजूद है। कुर्मी  मालिक अधिकांश उपजाऊ कृषि भूमि के मालिक हैं। दूसरी तरफ 200 से अधिक महादलित के परिवार हैं जो अभी भी अविकसित इलाके में रहते है। सिपाही मांझी ने बताया कि, "कल्याण बिगहा के दो चेहरे हैं- एक अच्छा और विकसित हिस्सा और दूसरा, गरीब, अनपढ़ और विकास के नाम पर धोखे वाला हिस्सा।"

कुर्मी समुदाय के अधिकांश लोगों ने अपनी व्यक्तिगत शिकायतों को दरकिनार करते हुए, नीतीश के विकास की प्रशंसा की। गाँव के "चेहरे" को बदलने के लिए नीतीश की प्रशंसा करते हुए, एक कुर्मी सुनील कुमार ने गाँव में महादलित इलाके की खराब हालत की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इसे अगले पाँच वर्षों में विकसित किया जाएगा।

जब एक गरीब महादलित महिला इस रिपोर्टर को बता रही थी कि क्यों उसे अपने घर के निर्माण के लिए पीएमजीएवाई के तहत धन आवंटित नहीं किया गया तो एक स्थानीय जदयु समर्थक ने उसे जबरन बोलने से रोका, यहाँ तक कि उसे धमकी भी दे डाली। उस कुर्मी व्यक्ति ने कहा कि उसके इस तरह के बयान देने से गाँव की प्रतिष्ठा और उसके ''आइकन'', के बारे में गलत संदेश जाएगा'', और उस महिला को गुस्से में न बोलने की नसीहत दी।

एक महादलित महिला अपने गारे के बने घर के सामने खड़ी हैं और जिसे एक स्थानीय सत्तारूढ़ जद-यू कार्यकर्ता ने बोलने से रोक दिया था। 

यह भी एक तथ्य है कि गाँव के कई महादलितों ने पीएमजीएसवाई के तहत धन हासिल कर ईंट के मकानों का निर्माण किया है। लेकिन सभी इतने खुशकिस्मत नहीं थे।

मुख्यमंत्री का गाँव एक विकसित गाँव के रूप में व्यापक रूप से प्रचारित है। इसमें कुछ सच्चाई है। कल्याण बिगहा से लगभग एक किलोमीटर दूर, चिकनी और चौड़ी सड़कें सरकारी अस्पताल तक ले जाती हैं। एक स्कूल जो 12 वीं कक्षा तक है, एक स्टेडियम, शूटिंग रेंज और एक पावर सब-स्टेशन दिखाई देता है। यह राज्य के किसी भी गाँव के लिए बड़ी बात है।

गाँव के प्रवेश द्वार पर नीतीश के माता-पिता और उनकी पत्नी को समर्पित एक सुव्यवस्थित स्मारक पार्क है जो बाहर से आए लोगों का स्वागत करता है। यह नीतीश के परिवार से संबंधित भूमि पर बनाया गया था। यह गाँव फोर-लेन एनएच-30 से भी जुड़ा हुआ है और इसके पास पेड़ों से अटी सड़क है।

प्रचार के अंतिम चरण में प्रवेश करने के बाद, या इलाका 3 नवंबर को दूसरे चरण में मतदान करेगा। जेडी-यू के मौजूदा विधायक हरिनारायण सिंह, जो फिर से मैदान में हैं, लोगों के बीच अलोकप्रिय हैं, लेकिन जैसा कि वे यहां नीतीश का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके पास विपक्ष के कमजोर कांग्रेस उम्मीदवार कुंदन गुप्ता पर बढ़त है, जिन्हें विपक्षी महागठबंधन के सामाजिक समीकरण का समर्थन है। 

सभी फ़ोटो मौ॰ इमरान ख़ान द्वारा ली गई हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Bihar Elections: Mahadalits of CM Nitish's Village – a Model of Development – Still await Vikas

Nitish Kumar
Bihar Elections
Bihar Polls
Kalyan Bigha
Nitish Kumar Village
Mahadalits
Grand Alliance
PMGAY

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : सरकारी प्राइमरी स्कूलों के 1.10 करोड़ बच्चों के पास किताबें नहीं

बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर

बिहारः मुज़फ़्फ़रपुर में अब डायरिया से 300 से अधिक बच्चे बीमार, शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती

कहीं 'खुल' तो नहीं गया बिहार का डबल इंजन...

बिहार: नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने समान नागरिक संहिता का किया विरोध

बिहार में 1573 करोड़ रुपये का धान घोटाला, जिसके पास मिल नहीं उसे भी दिया धान


बाकी खबरें

  • बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    18 May 2022
    ज़िला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए स्वीकृत पद 1872 हैं, जिनमें 1204 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं, जबकि 668 पद खाली हैं। अनुमंडल अस्पतालों में 1595 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 547 ही पदस्थापित हैं, जबकि 1048…
  • heat
    मोहम्मद इमरान खान
    लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार
    18 May 2022
    उत्तर भारत के कई-कई शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पारा चढ़ने के दो दिन बाद, विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के चलते पड़ रही प्रचंड गर्मी की मार से आम लोगों के बचाव के लिए सरकार पर जोर दे रहे हैं।
  • hardik
    रवि शंकर दुबे
    हार्दिक पटेल का अगला राजनीतिक ठिकाना... भाजपा या AAP?
    18 May 2022
    गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हार्दिक पटेल ने पार्टी पर तमाम आरोप मढ़ते हुए इस्तीफा दे दिया है।
  • masjid
    अजय कुमार
    समझिये पूजा स्थल अधिनियम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां
    18 May 2022
    पूजा स्थल अधिनयम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां तब खुलकर सामने आती हैं जब इसके ख़िलाफ़ दायर की गयी याचिका से जुड़े सवालों का भी इस क़ानून के आधार पर जवाब दिया जाता है।  
  • PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा
    18 May 2022
    पंजाब के किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद वे मंगलवार से ही चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License