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भारत
राजनीति
बिहारः "सबसे पहले सरकारी आवासों में प्रीपेड मीटर लगाने का काम शुरू हो'
स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य किए जाने के विद्युत मंत्रालय के आदेश के बाद बिहार एक्टू के सचिव रणविजय ने कहा,'सरकार ने ग़रीब-विरोधी अपना चेहरा दिखाया है। जनता कह रही है कि सबसे पहले सचिवालय, मुख्यमंत्री आवास, प्रधानमंत्री आवास, राष्ट्रपति आवास में ये मीटर लगाया जाए।'
एम.ओबैद
11 Dec 2021
meter

बिहार अकेला राज्य है, जहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने का काम चल रहा है। नीतीश सरकार के फैसले के बाद मार्च 2025 तक बिजली कंपनी ने प्रदेश भर में उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत पटना में करीब एक लाख 70 हजार मीटर लगाए जा चुके हैं। प्रदेशभर में राजधानी पटना को मिलाकर अब तक करीब साढ़े तीन लाख मीटर लग चुके हैं।

बता दें कि बिहार में करीब 1 करोड़ 70 लाख उपभोक्ता हैं। स्मार्ट मीटर लगने के बाद से राज्य में कुछ जगहों से उपभोक्ताओं ने गड़बड़ी की शिकायत की थी जिसके बाद कहीं-कहीं इसको लेकर विरोध भी हुआ था। लेकिन अब भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय की ओर से आदेश दिया गया है कि स्मार्ट मीटर न लगाने वाले उपभोक्ताओं की बिजली काट दी जाएगी।

बिजली विभाग ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई बोर्ड के अनुसार उपभोक्ता द्वारा बिजली के काम में बाधा पहुंचाए जाने पर उनका बिजली कनेक्शन काटा जा सकता है। स्मार्ट मीटर लगाने के लिए बिजली कंपनी पूरी तरह स्वतंत्र है। नए मीटर लगाने के लिए बिजली कंपनी को उपभोक्ताओं से सहमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। ये कंपनी अपने अनुसार हर घर में स्मार्ट मीटर लगा सकती है। बिजली कंपनी पुराने मीटर हटा सकती है, इसके लिए उपभोक्ताओं से सहमति लेने की आवश्यकता नहीं है।

पहले सरकारी आवासों में प्रीपेड मीटर लगे

विद्युत मंत्रालय द्वारा प्रीपेड मीटर अनिवार्य किए जाने के आदेश पर ऐक्टू के बिहार के सचिव रणविजय कुमार ने कहा कि 'सरकार ने गरीब-विरोधी अपना चेहरा दिखाया है। जनता कह रही है कि सबसे पहले सरकारी आवासों में प्रीपेड मीटर लगाने का काम शुरू हो, सरकार सबसे पहले सचिवालय, मुख्यमंत्री आवास, प्रधानमंत्री आवास, राष्ट्रपति आवास में मीटर लगाए। कंपनियों की सेवा के लिए ये तानाशाहीपूर्ण निर्णय है।

कहीं से भी इस निर्णय का समर्थन नहीं किया जा सकता है। इस व्यवस्था में लचीलापन खत्म हो जाएगा। उन गरीबों का क्या होगा जिनकी मौत लॉकडाउन के समय घर लौटते हुए सड़कों पर हो गई थी। ऐसे परिवार के लिए अगर प्रीपेड मीटर लगाए जाने को अनिवार्य बनाया जाएगा तो उनके बच्चों का भरण-पोषण, पढ़ाई-लिखाई, इलाज वगैरह कैसे होगा ? इस परिवार का कमाने वाला व्यक्ति काम कर के आने के बाद जो पैसा लाएगा वह सबसे पहले प्रीपेड मीटर का रिचार्ज कराएगा उसके बाद बीवी-बच्चों के खाने-पीने का इंतेजाम करेगा। ऐसे में तो यह सरकार दलित, गरीब और मजदूर-विरोधी है।'

रणविजय ने कहा कि 'बिहार में करीब 70 से 80 फीसदी गरीब उपभोक्ता है जिनके जीवन मे प्रीपेड बिजली मीटर एक नए संकट और आफत का जिंदगी भर के लिए सबब बन जाएगा। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में जनता की शिकायत आई थी कि पुराने पोस्ट पेड मीटर की तुलना में नया प्रीपेड बिजली मीटर ज्यादा यूनिट रीडिंग करता है, जिससे लोगों का बिल ज्यादा हो रहा है। रोज कमाने–खाने वाले लोग अपने परिवार का भोजन, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, इलाज जैसे जरूरी काम निपटाने के बाद बकाया बिजली बिल का भुगतान किसी तरह एक-दो माह बाद 2 प्रतिशत प्रति माह ब्याज की दर से चुका दिया करते थे, जिससे उनको सहूलत होती थी, लेकिन अब इस तरह के लोग नई प्रीपेड बिजली मीटर लगने से ऐसा नहीं कर पाएंगे।'

उन्होंने कहा कि 'जिस तरह प्रीपेड मोबाइल में बात करने के दौरान बैलेंस समाप्त होते ही बात करना किसी समय अचानक बंद हो जाता है ठीक उसी तरह प्रीपेड बिजली मीटर में गर्मी के समय, आधी रात को कभी भी पैसा समाप्त होते ही बिजली कट जाएगी। फिर गर्मी के मौसम में लोगों के सामने समस्या पैदा हो जाएगी। इस तरह गरीब को बिजली बिल के लिए किसी से कर्ज लेकर मीटर रिचार्ज कराना होगा। यह परिवार के लिए खाना-पीना, बच्चों के स्कूल की फीस जमा करने और इलाज वगैरह कराने से ज्यादा जरूरी और पहली जरूरत बन जाएगा और इस तरह जीवन भर गरीबों के सामने एक नया संकट खड़ा हो जाएगा।'

प्रीपेड लगाने जाने के विरोध में वाम पार्टियां लगातार प्रदर्शन करती रही हैं। अक्टूबर में भाकपा-माले ने इसके विरोध में बिहार की राजधानी पटना में विद्युत भवन के सामने प्रदर्शन कर इस निर्णय को रद्द करने की मांग की थी। माले का कहना था कि नीतीश-मोदी सरकार कोरोना काल को बिजली कंपनियों के मुनाफा के अवसर में बदल रही और कम्पनियों के मुनाफा की गारंटी के लिए प्रीपेड बिजली मीटर का निर्णय लिया गया।

तीन दिनों में खाते से निकल गए 3300 रुपए

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टर रत्नेश चौधरी ने प्रीपेड मीटर खाते से बैलेंस अधिक कटौती की बाबत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कार्रवाई की मांग की थी। उनका कहना थी कि 15 अक्टूबर काे उनके स्मार्ट मीटर खाते में 5142 रुपया बैलेंस था और 18 अक्टूबर को यह बैलेंस घटकर 1841 रुपया हो गया। डॉक्टर का कहना था कि तीन दिनों में करीब 3300 रुपए कैसे कटे? इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं है। डॉक्टर का कहना है कि इतना ही नहीं एप में मंथली कंजम्पशन भी ग़लत दिखाया जा रहा है।

डॉ रत्नेश का कहना है कि जो पुराना स्मार्ट मीटर लगा था, उसे भी यही कहकर करीब 5 साल पहले लगाया गया था कि ये सही रीडिंग देगा। तब महीने में 200 से 300 यूनिट ही बिल उठता था। लेकिन अब 461 यूनिट कैसे आ रहा है। यह बड़ा सवाल है। डॉक्टर का कहना है कि जब एक में मंथली एवरेज 317.30 यूनिट है तो 3 दिनों बाद 322.32 यूनिट कैसे हो सकता है।

रिचार्ज न कराने पर 2263 घरों की कटी बिजली

पटना के गर्दनीबाग विद्युत आपूर्ति डिवीजन में 18सितंबर को 2263 घरों की बिजली एक साथ काट दी गई थी जिससे सभी उपभोक्ता परेशान हो गए थें। ये सभी स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ता थें। इन्होंने समय पर अपना मीटर रिचार्ज नहीं कराया था इसलिए कनेक्शन काट दिया गया था। इनमें वैसे उपभोक्ता भी शामिल थे जिन्हें मीटर रिचार्ज करना ही नहीं आता था। बिजली गुल होने पर वे बिजली ऑफिस गए और बिजलीकर्मियों ने उन्हें रिचार्ज करने के तरीका बताया।

प्रीपेड मीटर में पैसा होने पर भी बिजली गायब

प्रीपेड बिजली मीटर में नेटवर्क की समस्या सामने आने लगी है। दूरदराज इलाकों या अपार्टमेंट के बेसमेंट में मीटर लगने पर नेटवर्क काम नहीं कर रहा है। इस कारण मीटर में पैसा होने पर भी बिजली कट जा रही है। बिजली कंपनी की हालिया समीक्षा बैठक में इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं। स्मार्ट मीटर में एक सिम होता है जो प्रीपेड मोबाइल की तरह बिजली की खपत का गणना करता है लेकिन इसके लिए मोबाइल नेटवर्क का होना जरूरी है। कंपनी के स्थानीय कार्यालयों में आए दिन इस तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं कि स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर में पैसा होने के बावजूद बिजली गायब हो जा रही है। जब कंपनी के कर्मचारी इसकी जांच करते हैं तो पता चलता है कि मीटर का नेटवर्क काम नहीं कर रहा।

अगले साल जुलाई तक 23.5 लाख मीटर लगाने का लक्ष्य

साल 2025 तक सभी उपभोक्ताओं के नि:शुल्क स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना पर राज्य सरकार काम कर रही है। इस मद में सरकार द्वारा 11,100 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य है। बिहार में साल 2019 से ही बिजली उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। अक्टूबर की 12 तारीख तक2.80 लाख मीटर लग चुके थे। अगले साल जुलाई तक 23.5 लाख मीटर लगाने का लक्ष्य तय है। राज्य सरकार की इस योजना के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाली कंपनी को लागत की लगभग 45 प्रतिशत राशि दे दी जाएगी। शेष 55 प्रतिशत राशि योजना अवधि में मासिक किस्तों के रूप में अदा की जाएगी।

फ्रांस की कंपनी ईडीएफ लगा रही प्रीपेड मीटर

बिहार विधानसभा में ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा था कि 'केंद्रीय एजेंसी इनर्जी इफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) फ्रांस की कंपनी ईडीएफ से मीटर लगवा रही है। इस मीटर को सुविधा मोबाइल एप या बिजली कंपनी के काउंटर से रिचार्ज कराया जा सकता है। तीन एसएमएस भेजकर उपभोक्ताओं को पैसा खत्म होने की जानकारी दी जाएगी। मीटर में पैसा खत्म होने पर भी एक दिन का समय मिलेगा। इसके बाद खुद-ब-खुद सुबह 10 से दोपहर एक बजे के बीच बिजली कट जाएगी।' इस मीटर को लगा रही एजेंसी छह साल तक इसका देखभाल भी करेगी।

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Nitish Kumar
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