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राजनीति
बिहार शराब कांडः वाम दलों ने विरोध में निकाली रैलियां, किया नीतीश का पुतला दहन
शराबबंदी क़ानून लागू होने के बावजूद पिछले दस दिनों में बिहार के तीन ज़िलों गोपालगंज, पश्चिम चंपारण और मुज़फ़्फ़रपुर में ज़हरीली शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई और आंखों की रौशनी चली गई।
एम.ओबैद
08 Nov 2021
Bihar Liquor Case

बिहार में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत के बाद वाम दल समेत विपक्ष के सभी दल सरकार पर हमलावर हो गए। सभी ने शराबबंदी को विफल बताया। बिहार में कई जगहों पर सीपीआई(एम) और सीपीआई(एमएल) की ओर से रैलियां निकाली गईं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन किया गया। रैली के दौरान सरकार विरोधी नारे लगाते हुए सीपीआई(एमएल) के कार्यकर्ताओं ने पीड़ित के परिजनों को मुआवजा देने और एक व्यक्ति को नौकरी देने की मांग की। ज्ञात हो कि पिछले दस दिनों में बिहार के तीन जिलों गोपालगंज, पश्चिम चंपारण और मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत का मामला सामने आया जिसके बाद से हड़कंप मच गया है।

सीपीआई(एम) के केंद्रीय समिति के सदस्य अरूण कुमार मिश्रा ने फोन से हुई बातचीत में कहा कि, "उत्तरी बिहार के पश्चिम चंपारण, सिवान, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर आदि जिलों में जहरीली शराब पीने से करीब 50 लोगों की मौत हो गई है। ये घटना तो सामने आ गई, लेकिन यह बिहार में समानांतर तरीके से एक अर्थव्यवस्था हो गई है। शराबबंदी कानून के बावजूद इसके माफिया अभी भी सक्रिय हैं और तस्करी करते रहते हैं। ये बड़े पैमाने पर एक कारोबार की तरह चल रहा है। इसमें बेरोजगार नौजवानों का इस्तेमाल एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए हो रहा है।"

उन्होंने आगे कहा कि, "अगर आप रोज बिहार के अखबार देखेंगे तो पाएंगे कि हर रोज कहीं न कहीं तस्करों के पकड़ाने का मामला सामने आता रहता है। बड़े-बड़े ट्रकों और गाड़ियों में शराब की तस्करी होती है। कई वीआईपी की गाड़ियों में शराब पकड़ी गई है। कानून तो बहुत सख्त है, लेकिन जमीन पर कुछ दिख नहीं रहा है। हाल के दिनों में सरकार ने इसको लेकर थोड़ी ढ़ील देते हुए कहा था कि किसी के घर में अगर शराब का बोतल पकड़ा गया तो पहले जैसी कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन देखा जाए तो ये कानून पूरी तरह से असफल रहा है। इसमें गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं क्योंकि वे महंगी शराब पी नहीं सकते और कम पैसे में जो शराब स्थानीय स्तर पर बनती है, वे पी लेते हैं, और उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। ऐसी शराब में जहर होता है जिसकी जांच नहीं हो पाती है क्योंकि इसको रेगुलेट करता नहीं है। इस तरह ये आमलोगों के जीवन के लिए खतरनाक हो गया है और आम तौर पर गरीब लोग इसमें प्रभावित होते हैं और जो अमीर लोग हैं उनको तो घर पर ही उपलब्ध हो जाता है।"

मिश्रा ने कहा कि, “अभी लोगों की मौत का जो मामला सामने आया है उसको लेकर बीजेपी वालों ने खुद इस पर सवाल उठाया है। हालांकि ये भी मन से इस कानून के साथ नहीं थे, लेकिन उसको एक मौका मिल गया है, इसलिए इसको लेकर सवाल उठा रहे हैं। हम लोगों ने सरकार से कहा है कि सिर्फ कानून से इसको समाप्त नहीं किया जा सकता है। इसके लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है और जो माफिया हैँ उन पर काबू पाने की आवश्यकता है।"

आगे उन्होंने कहा कि, "इन माफियाओं का सत्ताधारी दलों के साथ कनेक्शन है। पुलिस को इसमें फायदा है, वह इसमें बहुत पैसे कमा रही है। इन पैसों का हिस्सा सत्ताधारी दलों को भी मिलता है। सत्ताधारी दल के लोग और माफियाओं के लिए फायदे का सौदा है। इसमें आमलोगों की जान जा रही है। नीतीश कुमार ने शराब का ठेका तो पहले गांव-गांव तक पहुंचा दिया। हर जगह इन्होंने लाइसेंस दे दिया और एक बैठक में कुछ महिलाओं ने इस पर सवाल उठाया तो अचानक इन्होंने उसी समय शराबबंदी का निर्णय ले लिया। शराब का मामला इन महिलाओं की वास्तविक चिंताएं हैं क्योंकि शराब के चलते ये महिलाएं प्रताड़ित होती हैं। उनके पति शराब पीकर आते हैँ और उन्हें घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। हम लोगों ने भी सरकार से मांग की है कि इसके माफियाओं पर कार्रवाई की जाए और लोगों में जागरुकता पैदा की जाए।"

बीते रविवार को सीपी(एम) ने दरभंगा के बहादुरपुर के बिरनियां चौक पर बिहार के विभिन्न जिलों में जहरीली शराब से हो रही मौत को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन किया। 

इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए राज्य सचिवमंडल सदस्य ललन चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार की शराबबंदी पूरी तरह विफल हो गई है जो जहरीली शराब से विभिन्न जिलों में हुए दर्जनों मौत इस बात का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि अविलंब शराब तस्करी पर रोक लगाई जाए और शराब माफियाओं को गिरफ्तार की जाए। साथ ही मृतकों के परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। इस कार्यक्रम में सर्वसम्मति से शराब तस्करी पर रोक लगाने के लिए 26 नवंबर को समाहरणालय पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया।

उधर सीपीआई (एम) की पश्चिम चम्पारण जिला कमेटी ने तेल्हूआ जहरीली शराब कांड को लेकर बेतिया में मार्च निकालकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला जलाया और नीतीश कुमार से इस्तीफा देने की मांग की। यहां करीब 15 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं कई लोगों की आंखों की रौशनी चली गई।

सीपीआई (एमएल) ने भोजपुर में शराब कांड को लेकर दो दिनों के विरोध दिवस के दौरान रैली निकाली और सरकार से पीड़ितों के परिजनों के 20 लाख का मुआवजा देने और एक व्यक्ति को नौकरी देने की मांग की। सीपीआई(एमएल) ने जहरीली शराब से हुई मौत को लेकर 6 और 7 नवंबर को विरोध दिवस मनाने की घोषणा की थी। 

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