NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार शराब कांडः वाम दलों ने विरोध में निकाली रैलियां, किया नीतीश का पुतला दहन
शराबबंदी क़ानून लागू होने के बावजूद पिछले दस दिनों में बिहार के तीन ज़िलों गोपालगंज, पश्चिम चंपारण और मुज़फ़्फ़रपुर में ज़हरीली शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई और आंखों की रौशनी चली गई।
एम.ओबैद
08 Nov 2021
Bihar Liquor Case

बिहार में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत के बाद वाम दल समेत विपक्ष के सभी दल सरकार पर हमलावर हो गए। सभी ने शराबबंदी को विफल बताया। बिहार में कई जगहों पर सीपीआई(एम) और सीपीआई(एमएल) की ओर से रैलियां निकाली गईं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन किया गया। रैली के दौरान सरकार विरोधी नारे लगाते हुए सीपीआई(एमएल) के कार्यकर्ताओं ने पीड़ित के परिजनों को मुआवजा देने और एक व्यक्ति को नौकरी देने की मांग की। ज्ञात हो कि पिछले दस दिनों में बिहार के तीन जिलों गोपालगंज, पश्चिम चंपारण और मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत का मामला सामने आया जिसके बाद से हड़कंप मच गया है।

सीपीआई(एम) के केंद्रीय समिति के सदस्य अरूण कुमार मिश्रा ने फोन से हुई बातचीत में कहा कि, "उत्तरी बिहार के पश्चिम चंपारण, सिवान, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर आदि जिलों में जहरीली शराब पीने से करीब 50 लोगों की मौत हो गई है। ये घटना तो सामने आ गई, लेकिन यह बिहार में समानांतर तरीके से एक अर्थव्यवस्था हो गई है। शराबबंदी कानून के बावजूद इसके माफिया अभी भी सक्रिय हैं और तस्करी करते रहते हैं। ये बड़े पैमाने पर एक कारोबार की तरह चल रहा है। इसमें बेरोजगार नौजवानों का इस्तेमाल एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए हो रहा है।"

उन्होंने आगे कहा कि, "अगर आप रोज बिहार के अखबार देखेंगे तो पाएंगे कि हर रोज कहीं न कहीं तस्करों के पकड़ाने का मामला सामने आता रहता है। बड़े-बड़े ट्रकों और गाड़ियों में शराब की तस्करी होती है। कई वीआईपी की गाड़ियों में शराब पकड़ी गई है। कानून तो बहुत सख्त है, लेकिन जमीन पर कुछ दिख नहीं रहा है। हाल के दिनों में सरकार ने इसको लेकर थोड़ी ढ़ील देते हुए कहा था कि किसी के घर में अगर शराब का बोतल पकड़ा गया तो पहले जैसी कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन देखा जाए तो ये कानून पूरी तरह से असफल रहा है। इसमें गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं क्योंकि वे महंगी शराब पी नहीं सकते और कम पैसे में जो शराब स्थानीय स्तर पर बनती है, वे पी लेते हैं, और उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। ऐसी शराब में जहर होता है जिसकी जांच नहीं हो पाती है क्योंकि इसको रेगुलेट करता नहीं है। इस तरह ये आमलोगों के जीवन के लिए खतरनाक हो गया है और आम तौर पर गरीब लोग इसमें प्रभावित होते हैं और जो अमीर लोग हैं उनको तो घर पर ही उपलब्ध हो जाता है।"

मिश्रा ने कहा कि, “अभी लोगों की मौत का जो मामला सामने आया है उसको लेकर बीजेपी वालों ने खुद इस पर सवाल उठाया है। हालांकि ये भी मन से इस कानून के साथ नहीं थे, लेकिन उसको एक मौका मिल गया है, इसलिए इसको लेकर सवाल उठा रहे हैं। हम लोगों ने सरकार से कहा है कि सिर्फ कानून से इसको समाप्त नहीं किया जा सकता है। इसके लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है और जो माफिया हैँ उन पर काबू पाने की आवश्यकता है।"

आगे उन्होंने कहा कि, "इन माफियाओं का सत्ताधारी दलों के साथ कनेक्शन है। पुलिस को इसमें फायदा है, वह इसमें बहुत पैसे कमा रही है। इन पैसों का हिस्सा सत्ताधारी दलों को भी मिलता है। सत्ताधारी दल के लोग और माफियाओं के लिए फायदे का सौदा है। इसमें आमलोगों की जान जा रही है। नीतीश कुमार ने शराब का ठेका तो पहले गांव-गांव तक पहुंचा दिया। हर जगह इन्होंने लाइसेंस दे दिया और एक बैठक में कुछ महिलाओं ने इस पर सवाल उठाया तो अचानक इन्होंने उसी समय शराबबंदी का निर्णय ले लिया। शराब का मामला इन महिलाओं की वास्तविक चिंताएं हैं क्योंकि शराब के चलते ये महिलाएं प्रताड़ित होती हैं। उनके पति शराब पीकर आते हैँ और उन्हें घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। हम लोगों ने भी सरकार से मांग की है कि इसके माफियाओं पर कार्रवाई की जाए और लोगों में जागरुकता पैदा की जाए।"

बीते रविवार को सीपी(एम) ने दरभंगा के बहादुरपुर के बिरनियां चौक पर बिहार के विभिन्न जिलों में जहरीली शराब से हो रही मौत को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन किया। 

इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए राज्य सचिवमंडल सदस्य ललन चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार की शराबबंदी पूरी तरह विफल हो गई है जो जहरीली शराब से विभिन्न जिलों में हुए दर्जनों मौत इस बात का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि अविलंब शराब तस्करी पर रोक लगाई जाए और शराब माफियाओं को गिरफ्तार की जाए। साथ ही मृतकों के परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। इस कार्यक्रम में सर्वसम्मति से शराब तस्करी पर रोक लगाने के लिए 26 नवंबर को समाहरणालय पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया।

उधर सीपीआई (एम) की पश्चिम चम्पारण जिला कमेटी ने तेल्हूआ जहरीली शराब कांड को लेकर बेतिया में मार्च निकालकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला जलाया और नीतीश कुमार से इस्तीफा देने की मांग की। यहां करीब 15 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं कई लोगों की आंखों की रौशनी चली गई।

सीपीआई (एमएल) ने भोजपुर में शराब कांड को लेकर दो दिनों के विरोध दिवस के दौरान रैली निकाली और सरकार से पीड़ितों के परिजनों के 20 लाख का मुआवजा देने और एक व्यक्ति को नौकरी देने की मांग की। सीपीआई(एमएल) ने जहरीली शराब से हुई मौत को लेकर 6 और 7 नवंबर को विरोध दिवस मनाने की घोषणा की थी। 

Bihar
Nitish Kumar
liquor ban
SPURIOUS LIQUOR
CPI
CPIM
CPIML

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान


बाकी खबरें

  • अनिल अंशुमन
    झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 
    12 May 2022
    दो दिवसीय सम्मलेन के विभिन्न सत्रों में आयोजित हुए विमर्शों के माध्यम से कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध जन संस्कृति के हस्तक्षेप को कारगर व धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति व “अखड़ा-…
  • विजय विनीत
    अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद की शक्ल अख़्तियार करेगा बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा?
    12 May 2022
    वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने लगातार दो दिनों की बहस के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर नहीं बदले जाएंगे। उत्तर प्रदेश के…
  • राज वाल्मीकि
    #Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान
    12 May 2022
    सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन पिछले 35 सालों से मैला प्रथा उन्मूलन और सफ़ाई कर्मचारियों की सीवर-सेप्टिक टैंको में हो रही मौतों को रोकने और सफ़ाई कर्मचारियों की मुक्ति तथा पुनर्वास के मुहिम में लगा है। एक्शन-…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की
    12 May 2022
    अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी, जब वे क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक स्थित जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सेना द्वारा की जा रही छापेमारी की…
  • बी. सिवरामन
    श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?
    12 May 2022
    श्रीलंका में सेना की तैनाती के बावजूद 10 मई को कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 11 मई की सुबह भी संसद के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License