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भारत
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बिहार : लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के ख़िलाफ़ जन अभियान
केंद्र व बिहार सरकारों की उक्त अकर्मण्य और जन स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह रवैये के खिलाफ व्यापक जन दबाव बनाने के लिए 22 जून से भाकपा माले ने पूरे बिहार में जन स्वास्थ्य अभियान शुरू कर दिया है।
अनिल अंशुमन
24 Jun 2021
बिहार : लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के ख़िलाफ़ जन अभियान

यदि गांव, पंचायत से लेकर प्रखंड और जिला स्तर तक पर समुचित इलाज़, दवा, ऑक्सिजन, बेड, एम्बुलेंस के साथ साथ डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता होती तो कईयों की जानें बचायी जा सकती थी। लेकिन केंद्र और बिहार की सरकारें अपनी विफलताओं से कोई सबक लेकर सरकारी नियंत्रण में नीचे से लेकर ऊपर तक की लचर स्वास्थय व्यवस्था ठीक करने की बजाय मौतों के आंकड़े छुपाने और वैक्सीन फर्जीवाड़े में ही लिप्त दीख रही है।                                                 

केंद्र व बिहार सरकारों की उक्त अकर्मण्य और जन स्वास्थ्य के प्रति चालू लापरवाह रवैये के खिलाफ व्यापक जन दबाव खड़ा करने के लिए 22 जून से भाकपा माले ने पूरे बिहार में जन स्वास्थ्य अभियान शुरू कर दिया है। जिसके प्रथम चरण के तहत प्रदेश के सभी प्राथमिक जन स्वास्थ्य केन्द्रों तथा सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों के समक्ष धरना प्रदर्शन कर लोगों को जन स्वस्थ्य के मौलिक अधिकार के लिए सक्रीय बनाया जा रहा है। साथ ही आसन्न तीसरी लहर की आपदा के प्रति स्वास्थ्य तैयारियों को लेकर सतर्क किया जा रहा है।

बिहार के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व अस्पतालों के समक्ष प्रदर्शनकारियों ने क्षोभ जताते हुए सरकार पर आरोप लगाया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत दुनिया भर के तमाम स्वस्थ्य विशेषज्ञ लगातार कोरोना महामारी की तीसरी लहर के आने की चेतावनी देते हुए अभी से उसके मुकाबले की तैयारी करने पर जोर दे रहें हैं। लेकिन तब भी केंद्र और बिहार की सरकारें वैक्सिनेसन और महामारी से मुकाबले की आधी-अधूरी तैयारियों को लेकर जनता में लगातार झूठ का प्रचार जारी रखे हुए हैं। जबकि कोविड महामारी काल ने इन सभी सरकारों की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की सारी पोल खोल कर दिखला दिया है कि किस तरह से लाखों लोग कोविड महामारी के संक्रमण से भी अधिक लोग सिर्फ इसलिए तड़प तड़प कर मर गए क्योंकि उन्हें  समय पर आवश्यक इलाज, ऑक्सिजन, बेड, दवा और एम्बुलेंस नहीं मिल पाया। इन सभी मौतों के लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है जो अभी भी पंचायतों व प्रखंडों के बंद पड़े सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को नहीं चालू कर रही है। 

ऐसे में हर मौत को गिनने और गांव, पंचायत व प्रखंडों के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सभी ज़रूरी स्वस्थ्य उपकरणों, आवश्यक दवाओं और जांच सुविधाओं के साथ साथ इन सभी केन्द्रों में डॉक्टर, नर्स व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता की गारंटी के लिए सरकार पर व्यापक जनदबाव आवश्यक हो गया है। 

उत्तर बिहार के प्रमुख नगर केंद्र दरभंगा स्थित दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बदहाली तथा वहां सरकार घोषित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के नहीं चालू किये जाने के खिलाफ विगत कई महीनों से नागरिक अभियान जारी है। 22 जून को भी डीएमसीएच की जर्जर स्थिति के प्रति बिहार सरकार और स्थानीय भाजपा सांसदों और विधायकों के जारी उपेक्षापूर्ण रवैये के खिलाफ एक बार फिर प्रतिवाद किया गया। जिसके माध्यम से केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे व भाजपा सांसदों द्वारा यहां दिखावे का कुछ निर्माण कार्य किये जाने और वहां फोटो खिंचाकर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया गया। सनद हो कि 16 जून को भी दरभंगा शहर के नागरिक समाज और भाकपा माले ने पूरे नगर में नागरिक आक्रोश मार्च निकाल कर बिहार सरकार को इस स्वास्थ्य संस्थान को अविलम्ब शुरू करने के लिए एक महीने का अल्टीमेटम दिया है। सरकार की पूर्व घोषणा के तहत डीएमसीएच स्थित इस सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल को 2018 में ही चालू हो जाना था लेकिन 2021 में भी यह तैयार नहीं किया जा सका है। 

डीएमसीएच बचाओ तथा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ज़ल्द चालू करो नागरिक अभियान का नेतृत्व कर रहे भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य व उत्तर बिहार प्रभारी धीरेन्द्र झा ने सरकार पर आरोप लगाया है कि महामारी की दूसरी लहर के समय यदि यह अस्पताल चालू स्थिति में रहता तो समय पर सही इलाज के अभाव में इस इलाके के लोगों की जानें नहीं जातीं। यहां के बदहाल हालात केंद्र की  मोदी और बिहार की डबल इंजन वाली नितीश कुमार सरकार की जनता के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनहीन नज़रिए को दिखलाने के लिए काफी है। 

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की चुनौतियों के मद्दे नज़र बिहार सरकार द्वारा दिखावे की तैयारी और इस मामले को लेकर जनता से लगातार झूठ बोलने के खिलाफ 21 जून को बिहार भाकपा माले विधायकों ने  पटना में बैठक कर एक स्वर से सरकार की फिर से संवेदनहीन आचरण की तीखी निंदा की है। माले विधायकों ने मोदी सरकार द्वारा कोविड काल में असमय मौत के शिकार लोगों के परिजनों को मुआवजा देने से इन्कार करने को अमानवीय बताते हुए प्रति परिवार 4 लाख मुआवजा देकर उनके भविष्य के जीवन यापन की गारंटी की मांग की है। समय रहते ज़ल्द से ज़ल्द नीचे से ऊपर तक की ध्वस्त स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करे। साथ ही जन स्वास्थय से जुड़े सभी कार्यों को निजी एजेंसियों को देने की बजाय सरकारी नियंत्रण में करने की गारंटी हो। क्योंकि सरकार विधायक मद के पैसों से ख़रीदे गए सभी एम्बुलेंसों को वह एनजीओ के हवाले कर विधायकों के क्षेत्र से जैसे तैसे बाहर चलवा रही है। उन्होंने इस बाबत सरकार से पूछा भी है कि वह क्यों इन एम्बुलेंसों नहीं को चलाना चाहती है। 

सनद यह भी रहे कि कोवड संक्रमितों कि मौत के आंकड़ों और वैक्सीनेशन में हो रही गड़बड़ियों को लेकर सरकार के दावों की मीडिया भंडाफोड़ से बिहार सरकार की काफी किरकिरी हुई और इस मामले पर विपक्ष ने भी सरकार को काफी घेरा। लेकिन कोरोना की संभावित तीसरी लहर आपदा को देखते हुए निचले स्तर पर स्वास्थय व्यवस्था को समय रहते चुस्त दुरुस्त करने के मामले में यह सवाल उठना बिलकुल ही मौजू है। बिहार सरकार की जन स्वास्थय को लेकर कोई गंभीरता अभी तक नज़र नहीं आ रही है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण राज्य में जारी कोविड वैक्सीनेशन प्रक्रिया की अराजक स्थिति को देखकर ही समझा जा सकता है। ऐसे में जन स्वास्थय को लेकर ज़मीनी अभियान का होना महत्व रखता है।     

Bihar
Bihar Health Care Facilities
COVID-19
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Nitish Kumar Government
CPIML

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