NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार: तीन विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद भी साहनी ने रखा संयम, बोले- निषाद कोटा के लिए करेंगे संघर्ष
अब वीआईपी में कोई भी विधायक शेष नहीं बचा है। मुकेश साहनी ने बीजेपी पर अपनी पार्टी में फूट करवाने का आरोप लगाया है। साहनी ने कहा कि चूंकि उन्होंने निषाद जाति के लिए एससी-एसटी कोटे में आरक्षण और जातीय जनगणना की मांग का समर्थन किया है, इसलिए ही बीजेपी ने यह विभाजन करवाया है। 
मोहम्मद इमरान खान
26 Mar 2022
mukesh sahni

पटना: बीजेपी पर गठबंधन में अपनी सहयोगी "विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी)" में विभाजन कराने के आरोप लगने के एक दिन बाद, वीआईपी प्रमुख और नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश साहनी ने बीजेपी पर अपने सहयोगियों से धोखा करने का आरोप लगाया है। साहनी ने आगे गरीब़ों और अति पिछड़ों के लिए संघर्ष जारी रखने की बात कही है और कहा है कि वे अपनी जाति- निषाद को आरक्षण देने के लिए संघर्ष करते रहेंगे। साहनी ने यह साफ़ कहा कि जब उन्होंने अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाती वर्ग में निषाद जाति के लिए आरक्षण की अपील की और जातिगत जनगणना को समर्थन दिया, तो बीजेपी इससे नाखुश और गुस्से में थी। 

साहनी ने कहा कि वे बीजेपी का दोहरा चरित्र लोगों, खासतौर पर गरीब़ों और अति पिछड़ा वर्ग के सामने बेनकाब करेंगे। साहनी ने गुरुवार को कहा, "मैं मल्लाह का बेटा हूं, मैं किसी के सामने नहीं झुकूंगा और अपने समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करता रहूंगा। मैंने निषादों के लिए आरक्षण की मांग रखकर कोई गलती या गलत बात नहीं कही है।"

बीजेपी द्वारा "प्रबंधित" एक राजनीतिक ड्रामा में वीआईपी के सभी तीनों विधायक बुधवार की रात बीजेपी में शामिल हो गए और उन्होंने अपना समर्थन पत्र बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा को भी सौंप दिया है। इसे वीआईपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जिसके पास अब एक भी विधायक नहीं है। विधान परिषद के सदस्य के तौर पर साहनी का खुद का कार्यकाल इस साल जुलाई में खत्म हो रहा है। 

अब जब संघर्ष के अलावा साहनी के पास कोई विकल्प नहीं बचा है, तो साहनी ने कहा कि उनकी भविष्य की राजनीति अपनी जाति में आधार बढ़ाने के लिए, निषाद और साहनी जाति को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाएगी। बता दें इस जाति की बिहार, खासतौर पर बाढ़ प्रभावित मिथिलांचल, कोशी और सीमांचल के इलाकों में बड़ी आबादी है। 

साहनी ने कहा, "मैं अपनी आखिरी सांस तक उनके लिए लड़ूंगा। मैं दूसरों की तरह रीढ़विहीन नहीं हूं, जो दूसरों के आदेशों का पालन करता रहूं। जब मैंने निषाद आरक्षण का मुद्दा उठाया था, तब से मुझे इस नतीज़े के बारे में जानकारी थी, मुझे पता था कि यह लोग मुझे निशाना बनाएंगे और कमज़ोर करेंगे, लेकिन वे लोग यह भूल चुके हैं कि मैं किसी से नहीं डरता।"

साहनी ने कहा कि अगर उन्होंने आरक्षण और जातिगत गणना की बात ना उठाए जाने की बीजेपी की बात मान ली होती, तो बुधवार को उनकी पार्टी में विभाजन नहीं हुआ होता। 2020 में बिहार विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी के साथ आने के मुद्दे पर साहनी ने कहा कि अगर वे उस समय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हुए समझौते की बातों का खुलासा कर देते हैं, तो यह "बड़ा झटका देने वाला होगा और देश के लिए अच्छा नहीं रहेगा।"

मुखर साहनी ने कहा कि उनकी पार्टी, बीजेपी के खिलाफ़ संघर्ष करने वाली और अपने जैसा सोचने वाली पार्टियों के साथ हाथ मिलाने से नहीं हिचकेगी, जैसा हाल में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में साहनी की पार्टी ने किया भी।

वीआईपी चीफ ने यह भी साफ़ किया कि वे मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगें और उन्हें हटाने का फ़ैसला मुख्यमंत्री अपने विवेक से करेंगे। "मैं इस्तीफा नहीं दूंगा और गरीबों व वंचित तबके के लोगों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए काम करता रहूंगा। यह मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है और मैं उनके आदेश का पालन करूंगा।"

साहनी ने उनका इस्तीफ़ा मागंने को लेकर बीजेपी नेताओं पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा, "वे किस नैतिक आधार की बात कर रहे हैं? दूसरी पार्टी के विधायकों को हथियाकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। उनके पास मेरा इस्तीफ़ा मांगने का कोई अधिकार नहीं है।" 

बता दें एनडीए का हिस्सा रहते हुए, 2020 में पहली बार साहनी की पार्टी वीआईपी ने चार सीटें जीती थीं। इन्हें बोचाहा भी शामिल थी। दिलचस्प यह रहा था कि मुकेश साहनी खुद चुनाव हार गए थे, लेकिन उन्हें मंत्री बनाया गया और बाद में वे विधान परिषद के सदस्य बने। पिछले साल वीआईपी विधायक मुसाफ़िर पासवान की मृत्यु के बाद बोचाहा सीट खाली हो गई थी। 12 अप्रैल को इस पर उपचुनाव होने थे। यहां बीजेपी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया, जिसका साहनी ने विरोध किया था, उन्होंने भी वीआईपी से प्रत्याशी उतारा है।

एक राजनीतिक विशेषज्ञ ने बताया कि साहनी के संबंध पिछले साल तबसे ही बीजेपी से खराब होने शुरू हो गए थे, जबसे साहनी ने बीजेपी को कई मौकों पर निशाने पर लेना शुरू कर दिया था। बीजेपी साहनी को सबक सिखाने के लिए सही वक़्त का इंतज़ार कर रही थी और अब बीजेपी ने वीआईपी पर हमला किया और उसे दो हिस्सों में बांट दिया। 

एक राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं, "बीजेपी ने साहनी से उत्तर प्रदेश चुनाव ना लड़ने की अपील की थी, लेकिन साहनी ने यह अपील नहीं मानी। अब बीजेपी ने इसका बदला लिया है। साहनी ने बीजेपी के खिलाफ़ 55 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिससे बीजेपी नेता नाराज़ थे। बीजेपी इससे भी ज़्यादा नाराज़ हुई कि साहनी ने स्थानीय अख़बार में अपने विज्ञापनों में लोगों से बीजेपी को वोट ना देने की अपील की थी।"

एक और दूसरे राजनीतिक विश्लेषक ने बताया कि पिछले साल से ही बीजेपी साहनी को पसंद नहीं कर रही थी। जब वे पूर्व लोकसभा सांसद, दिवंगत फूलन देवी की मूर्ति का उद्घाटन करने जा रहे थे, तब वाराणसी हवाई अड्डे पर उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने रोक दिया था। इससे साहनी नाराज़ हुए थे। साहनी का कदम, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उनके "अपमान" का बदला था। साहनी ने योगी पर फूलन देवी की मूर्ति लगाए जाने का विरोधी होने का आरोप लगाया था, फूलन देवी को निषाद समुदाय में "प्रतीक" माना जाता है।

लेकिन वीआईपी में हुए बंटवारे और उसके तीनों विधायकों के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी का बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने का सपना पूरा हो गया। 23 मार्च तक बीजेपी सत्ताधारी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी थी, उसके 74 विधायक थे। तीन वीआईपी विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद, 243 विधानसभा सीटों वाली बिहार विधानसभा में 77 विधायकों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। बीजेपी की मुख्य सहयोगी पार्टी जनता दल (यूनाईटेड) के सिर्फ़ 45 विधायक हैं और वे विधानसभी में तीसरी बड़ी पार्टी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले तक जेडीयू के बिहार विधानसभा में बीजेपी से ज़्यादा विधायक हुआ करते थे।  

जबसे बीजेपी गठबंधन में बड़ी सहयोगी बनी है, तबसे बीजेपी नेता अलग व्यवहार कर रहे हैं और नीतीश कुमार को गठबंधन में दूसरे स्थान के सहयोगी बनने के लिए मजबूर कर रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल के 75 विधायक चुने गए थे और आरजेडी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी थी। लेकिन अब बीजेपी ने पहला पायदान हथिया लिया है। इससे आरजेडी नेता और लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव की वीआईपी और एक और छोटी सहयोगी पार्टी, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा की मदद से एनडीए सरकार को गिराने के सपनों पर भी पानी फिर गया है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें। 

Bihar: Mukesh Sahni ‘Unruffled’ After 3 MLAs Join BJP, Vows to Fight for Nishad Quota

Bihar Defections
Bihar Assembly
VIP
Mukesh Sahni
BJP
RJD
Nitish Kumar
Nishad Reservation

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • bharat ek mauj
    न्यूज़क्लिक टीम
    भारत एक मौज: क्यों नहीं हैं भारत के लोग Happy?
    28 Mar 2022
    'भारत एक मौज' के आज के एपिसोड में संजय Happiness Report पर चर्चा करेंगे के आखिर क्यों भारत का नंबर खुश रहने वाले देशों में आखिरी 10 देशों में आता है। उसके साथ ही वह फिल्म 'The Kashmir Files ' पर भी…
  • विजय विनीत
    पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर
    28 Mar 2022
    मोदी सरकार लगातार मेहनतकश तबके पर हमला कर रही है। ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती इसका ताजा उदाहरण है। इस कटौती से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सर्वाधिक नुकसान होगा। इससे पहले सरकार ने 44 श्रम कानूनों…
  • एपी
    रूस-यूक्रेन अपडेट:जेलेंस्की के तेवर नरम, बातचीत में ‘विलंब किए बिना’ शांति की बात
    28 Mar 2022
    रूस लंबे समय से मांग कर रहा है कि यूक्रेन पश्चिम के नाटो गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद छोड़ दे क्योंकि मॉस्को इसे अपने लिए खतरा मानता है।
  • मुकुंद झा
    देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन दिल्ली-एनसीआर में दिखा व्यापक असर
    28 Mar 2022
    सुबह से ही मज़दूर नेताओं और यूनियनों ने औद्योगिक क्षेत्र में जाकर मज़दूरों से काम का बहिष्कार करने की अपील की और उसके बाद मज़दूरों ने एकत्रित होकर औद्योगिक क्षेत्रों में रैली भी की। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    माले का 11वां राज्य सम्मेलन संपन्न, महिलाओं-नौजवानों और अल्पसंख्यकों को तरजीह
    28 Mar 2022
    "इस सम्मेलन में महिला प्रतिनिधियों ने जिस बेबाक तरीक़े से अपनी बातें रखीं, वह सम्मेलन के लिए अच्छा संकेत है।"
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License