NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
बिहार: आशाकर्मी व स्कीम वर्कर्स का राज्यव्यापी हड़ताल
केंद्र की नरेंद्र मोदी और बिहार की नीतीश कुमार सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ राज्य की आशाकर्मी व अन्य स्कीम वर्कर्स 6 से 9 जुलाई तक चार दिवसीय हड़ताल पर हैं।
अनिल अंशुमन
07 Aug 2020
आशाकर्मी

कोरोना आपदा में भी जान जोखिम में डालकर काम कर रहीं बिहार की आशाकर्मी व अन्य स्कीम वर्कर्स केंद्र व बिहार सरकार की उपेक्षा और वादाखिलाफी के खिलाफ 6 से 9 जुलाई तक हड़ताल पर हैं। बिहार आशाकर्मी संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर राजधानी पटना समेत राज्य के लगभग सभी जिलों– प्रखंडों के स्वस्थ्य केन्द्रों में कार्यरत एक लाख से भी अधिक अधिकांश आशाकर्मी हड़ताल पर चली गयी हैं। ख़बरों के अनुसार 7 व 8 अगस्त को आशाकर्मियों व अन्य स्कीम वर्करों के भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने की सूचना हैं।

बिहार आशाकर्मियों के घोषित चार दिवसीय हड़ताल के तहत कोरोना ड्यूटी की अनिवार्य सेवा कार्यों को छोड़ अन्य सभी कार्यों में लगभग तालाबंदी की होने की सूचना है। इस हड़ताल के कारण पूरे राज्य में टीकाकरण कार्य बुरी तरह प्रभावित हो गया है।

हड़ताल के पहले दिन 6 अगस्त को प्रदेश के सभी अनुमंडल, जिला व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के समक्ष धरना–प्रदर्शन कर मोदी–नीतीश सरकार की वादाखिलाफी और उपेक्षापूर्ण रवैये के खिलाफ नारेबाजी किया गया।

asha hadtal 5.jpg

6 अगस्त को ही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों और हड़ताली आशाकर्मियों की ओर से  बिहार राज्य आशा कार्यकर्त्ता संघ (गोपगुट), आशा संघर्ष समिति और आशा संघ इत्यादि संगठनों के संयुक्त संघर्ष मंच प्रतिनिधियों की एक स्तर की वार्ता होने की भी बात कही जा रही है। जिसमें हमेशा की भांति अधिकारियों ने हड़ताल वापस लेने और आशाकर्मियों की मांगों पर उचित ढंग से गौर करने का थोथा आश्वासन दिया।

वार्ता प्रतिनिधिमंडल में शामिल एक्टू की राष्ट्रीय सचिव मंडल सदस्य व बिहार आशाकर्मियों के आन्दोलन की नेतृत्वकर्त्ता शशि यादव ने बताया कि हमलोगों ने साफ़ तौर पर कह दिया है कि यह हड़ताल मोदी व नीतीश कुमार सरकारों की वादाखिलाफी के खिलाफ सभी आशाकर्मियों व स्कीम वर्करों के ज़बरदस्त आक्रोश का ही नतीजा है। बिहार सरकार के वार्ताकार आला अधिकारियों को साफ़ तौर पर यह भी कह दिया गया है कि आशाकर्मियों का कमाया हुआ पैसा तक नहीं दिया जाना केंद्र व बिहार सरकारों की भयावह उपेक्षा व संवेदनहीनता को ही दर्शाता है।

आन्दोलनकारियों की ओर से जारी वीडियो और प्रेस बयानों में केंद्र व बिहार सरकारों की असंवेदनशील और घोर उपेक्षापूर्ण रवैये का विरोध करते हुए कहा गया है कि आज देश व प्रदेश की हजारों हज़ार आशाकर्मी व अन्य स्कीम वर्कर्स कोरोना आपदा को हारने में दिनरात ड्यूटी करके जान की बाजी लगा रहीं हैं। कोरोनारोधी मेडिकल किट समेत कई अन्य उपयुक्त स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में कईयों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ रहा है। मोदी जी और उनकी सरकार करोड़ों करोड़ रुपये फूंक कर मंदिर निर्माण में पूरी ताक़त झोंक दे रही है लेकिन आशाकर्मी – स्कीम वर्करों को उनका कमाया हुआ पैसा तक नहीं दे रही है।

asha hadtal 3.jpg

2019 में हुई हड़ताल के बाद हुए समझौते के तहत डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी 1000 रुपया मासिक पारितोषिक स्कीम लागू नहीं किया जा रहा है। नियमित मासिक वेतन भुगतान जैसे सवालों पर केंद्र व राज्य सरकारें पूरी तरह मौन हैं। जिससे आज इस लॉकडाउन–अनलॉक की आपद स्थिति में हजारों के घरों में चूल्हे नहीं जलने की नौबत आ गयी है।

इतना ही नहीं जिन आशाकर्मी–स्कीम वर्करों की मौत कोरोना ड्यूटी के दौरान हो गयी, उनके परिजनों को आज तक कोई सरकारी अथवा विभागीय सहायता नहीं मिली है। साथ ही केंद्र सरकार की 50 लाख कोरोना बीमा व राज्य की ओर से घोषित 4 लाख विशेष अनुग्रह राशि विशेष योजना का भी कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है जबकि ओड़िसा सरकार अपने राज्य की आशा व स्कीम वर्करों को पिछले कई महीनों से उन्हें विशेष कोरोना–भत्ता के साथ साथ मृतकों के परिवारों को नियमित आर्थिक राशि दे रही है।

आशाकर्मियों के संयुक्त संघर्ष मंच ने 2019 में हुए समझौते की 13 सूत्री मांगों में शामिल 7 सूत्री राज्यस्तरीय के साथ साथ 15 सूत्री केन्द्रीय स्तर की मांगों से जुड़ा विशेष ज्ञापन सरकार और सम्बंधित विभाग को फिर से भेजा है।

जिसके तहत सभी आशा व स्कीम वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्ज़ा देकर प्रतिमाह 21000 रु. न्यूनताम वेतन भुगतान करना, 10000 रु. विशेष कोरोना लॉकडाउन भत्ता, कोरोना चिकित्सा कार्यों में लगे कर्मियों को केंद्र सरकार स्तर पर 50 लाख जीवन बीमा व 10 लाख रु. राज्य स्वास्थय बीमा योजना लागू करना, कोरोना ड्यूटी में मृत कर्मियों के परिजनों को 50 लाख रु. विशेष भत्ता देने के साथ साथ ओड़िसा सरकार कि तर्ज़ पर हर मृतक के परिवार को प्रतिमाह नियमित मासिक भुगतान करना, कोरोना चिकित्सा में लगे सभी कर्मियों ज़रूरी मेडिकल किट की अविलम्ब उपलब्धता तथा संक्रमितकर्मियों की विशेष चिकित्सा सुविधा की गारंटी इत्यादि मांगें रखी गयी हैं।

इसके अलावा स्वास्थ्य (अस्पताल समेत) पोषण व शिक्षा जैसे बुनियादी सेवा क्षेत्रों के निजीकरण के प्रस्तावों को वापस लेने तथा सभी सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की गयी है।

एक्टू व आशाकर्मी – स्कीम वर्कर्स नेत्री शशि यादव ने बताया कि आज 7 व 8 को पूरे देश के स्कीम वर्करों की होनेवाली हड़ताल पहली बार एक व्यापक एकजुटता का परिचायक है। जिसका समापन 9 अगस्त को ‘अगस्त क्रांति दिवस’ के दिन देश के सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर मोदी शासन की मजदूर विरोधी नीतियों और सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में बेचे जाने के खिलाफ पूरे देश के मजदूर ‘देश बचाओ अभियान’ के तहत सत्याग्रह और जेल भरो के रूप में होगा।

सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे ने देश के मजदूरों के साथ साथ आम लोगों से भी अपील की है कि ‘आत्मनिर्भर भारत धोखा है, देश बेचने का नुस्खा है’। इसलिए 9 अगस्त , भारत छोड़ो आन्दोलन दिवस को भारत बचाओ–संविधान बचाओ दिवस के रूप में सफल बनाना समय की मांग है।

Bihar
asha wokers
Asha Workers Strike
Asha Workers Protest
Nitish Kumar
RJD
Narendra modi
BJP

Related Stories

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

पटना : जीएनएम विरोध को लेकर दो नर्सों का तबादला, हॉस्टल ख़ाली करने के आदेश

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License