NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
उत्पीड़न
भारत
राजनीति
बिहार: सहरसा में पंचायत का फरमान बेतुका, पैसे देकर रेप मामले को रफा-दफा करने की कोशिश!
रेप की घटना को पंचायत ने रफा-दफा करने के लिए अजीबोगरीब फैसला सुनाते हुए आरोपी युवक को पीड़ित परिवार को 70 हजार रुपए देने को कहा। साथ ही समझौते के जरिए मामले को दबाने की बात भी सामने रखी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
05 Mar 2022
crimes against women
Image courtesy : TOI

बिहार के सहरसा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिले के बसनही थाना क्षेत्र के महुआ बाजार में एक महादलित लड़की के साथ रेप की घटना को पंचायत ने रफा-दफा करने के लिए अजीबोगरीब फैसला सुनाया। पंचायत ने आरोपी युवक को पीड़ित परिवार को 70 हजार रुपए देने को कहा। साथ ही समझौते के जरिए मामले को दबाने की बात कही। अब पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन इस पूरे मामले के सामने आने के बाद पंचायतों के गैरकानूनी फैसले एक बार फिर चर्चा का विषय बन गए हैं।

बता दें कि यह मामला काफी दिनों से चर्चा में था। पूरे वाक्ये के तूल पकड़ने के बाद सोनबरसा विधानसभा से जदयू विधायक रतनेश सादा ने इस मामले में पुलिस के खिलाफ आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा है। सामाजिक संगठनों के प्रयास के बाद ही महिला थाना में केस दर्ज हुआ और उसके बाद पीड़ित लड़की का बयान दर्ज करवाया गया।

खाप पंचायतें पंचायतीराज व्यवस्था का अंग नहीं

पंचायतों के इस तरह के विवादित फैसले अकसर सामने आते हैं और ज्यादातर ये हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में देखे जाते हैं। प्रेमी जोड़ों की हत्या कर देना या फिर उन्हें समाज से बहिष्कृत कर देना, अजीबोगरीब सजाएं सुनाना और ऐसे फैसलों को मानने के लिए बाध्य कर देना बहुत आम है। बावजूद इसके कि पंचायतों के इस तरह के फैसलों पर सुप्रीम कोर्ट न सिर्फ रोक लगा चुका है बल्कि एक गाइडलाइन भी बनाकर दे रखी है। लेकिन पंचायतों पर इनका असर कम ही दिखाई पड़ता है।

ध्यान रहे कि सजा सुनाने वाली ये पंचायतें उस पंचायती राज व्यवस्था का अंग नहीं हैं जिसका प्रावधान संविधान में है और जो निर्वाचित संस्था होती हैं। हालांकि इन पंचायतों को भी सिर्फ मध्यस्थता का अधिकार है, दंड देने या फिर किसी को दोषी ठहराने का नहीं। हालांकि खाप पंचायत का ज़िक्र अक्सर  गाँव, जाति, गोत्र, परिवार की 'इज़्ज़त' के नाम पर होने वाली हत्याओं के संदर्भ में बार-बार होता है। शादी के मामले में यदि खाप पंचायत को कोई आपत्ति हो तो वे युवक और युवती को अलग करने, शादी को रद्द करने, किसी परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने या गाँव से निकाल देने और कुछ मामलों में तो युवक या युवती की हत्या तक का फ़ैसला करती है।

पंचायतों के खौफनाक गैरकानूनी फैसले

वैसे  तो खाप पंचायत एक ग़ैर क़ानूनी पंचायती व्यवस्था है, जिसे सुप्रीम कोर्ट अवैध ठहरा चुकी है। यह प्राचीन समाज का वो रूढ़िवादी हिस्सा है, जो आधुनिक समाज से सामंजस्य नहीं बैठा पाता है। यह पंचायत व्यवस्था हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज भी सक्रिय है और समय-समय पर तुग़लकी फ़रमान जारी करती रहती है। चप्पलों से पीटने, थूक चटवाने, सिर मुंड़ाकर घुमाने, कोड़े लगवाने जैसे पंचायतों के फरमान न सिर्फ समाज के सामने एक बड़ी चुनौती हैं बल्कि विकास और सभ्य होने के तमाम दावों पर सवालिया निशान भी लगाते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर इन पंचायतों के खौफनाक गैरकानूनी फैसले लोग क्यों मानते ही क्यों हैं?

ट्रायल और सजा सुनाने का पंचायतों को कोई हक नहीं

कानूनी जानकारों के मुताबिक गैरकानूनी पंचायतों को कोई हक ही नहीं है कि वे आपराधिक घटनाओं का ट्रायल करें और अभियुक्तों को तालिबानी तर्ज पर सजा सुनाए। लेकिन इन पंचायतों को निश्चित तौर पर समाज के रूढ़िवादी ताकतों की शह प्राप्त है। दकियानूसी और पितृसत्तात्मक सोच रखने वाले समाज के तमाम लोग इन पंचायतों के समर्थन में रहते हैं।

हरियाणा के भिवानी में रहने वाले एक खाप पंचायत के पूर्व प्रमुख चौधरी शमशेर सिंह खाप पंचायतों के विस्तार को समझाते हुए न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताते हैं कि ये पंचायतें गाँवों में बहुत पुरानी हैं। जैसे-जैसे गांव बसते गए वैसे-वैसे ऐसी रिवायतें भी बढ़ती गईं। वैसे पारंपरिक तौर पर तो एक गोत्र या फिर बिरादरी के सभी गोत्र मिलकर खाप पंचायत बनाते हैं। ये फिर पाँच गाँवों की हो सकती है या 20-25 गाँवों की भी हो सकती है। जो गोत्र जिस इलाक़े में ज़्यादा प्रभावशाली होता है, उसी का उस खाप पंचायत में ज़्यादा दबदबा होता है। कम जनसंख्या वाले गोत्र भी पंचायत में शामिल होते हैं लेकिन प्रभावशाली गोत्र की ही खाप पंचायत में चलती है।

चौधरी शमशेर के मुताबिक जब भी खाप की बैठकें होती हैं, सभी गाँव निवासियों को बैठक में बुलाया जाता है, चाहे वे आएँ या न आएँ और जो भी फ़ैसला लिया जाता है उसे सर्वसम्मति से लिया गया फ़ैसला बताया जाता है। पंचायतें कई ऐसे सामाजिक कार्य करती हैं जो आमतौर पर सरकारें नहीं करती हैं और चूंकि पंचायतों में शामिल लोग और उनके काम स्थानीय स्तर पर और उन्हीं के हित में होते हैं इसीलिए लोग उन्हें मानते भी हैं  और ये सभी पर बाध्य होता है। बाध्य से ज्यादा लोग इसे खुद ही पत्थर की लकीर मान लेते हैं।

गौरतलब है कि शासन और सरकार भी अप्रत्यक्ष रूप कहीं न कहीं खाप को समर्थन देते ही नज़र आती हैं। इसकी एक प्रमुख वजह वोट की राजनीति भी है। सत्ता में ज्यादातर वही लोग बैठे हैं जो इसी समाज में पैदा और पले-बढ़े हैं और इसी को आगे बढ़ाने  में अपना फायदा समझते हैं। औरतों, वंचितों के अधिकारों से ज्यादा उन्हें अपने सामाजिक और तथाकथित सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ाकर सत्ता हासिल करना है।  

Bihar
Saharsa
crimes against women
violence against women
exploitation of women
Saharsa Panchayat
Women Rights
male dominant society
patriarchal society

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

पिता के यौन शोषण का शिकार हुई बिटिया, शुरुआत में पुलिस ने नहीं की कोई मदद, ख़ुद बनाना पड़ा वीडियो

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

यूपी से लेकर बिहार तक महिलाओं के शोषण-उत्पीड़न की एक सी कहानी

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

सोनी सोरी और बेला भाटिया: संघर्ष-ग्रस्त बस्तर में आदिवासियों-महिलाओं के लिए मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली योद्धा

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर कांड से लेकर गायघाट शेल्टर होम तक दिखती सिस्टम की 'लापरवाही'

बिहार शेल्टर होम कांड-2’: मामले को रफ़ा-दफ़ा करता प्रशासन, हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान


बाकी खबरें

  • Himachal Pradesh Anganwadi workers
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिमाचल प्रदेश: नियमित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरीं आंगनबाड़ी कर्मी
    24 Feb 2022
    प्रदर्शन के दौरान यूनियन का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिला व उन्हें बारह सूत्रीय मांग-पत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने आगामी बजट में कर्मियों की मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिया। यूनियन…
  • Sulaikha Beevi
    अभिवाद
    केरल : वीज़िंजम में 320 मछुआरे परिवारों का पुनर्वास किया गया
    24 Feb 2022
    एलडीएफ़ सरकार ने मठीपुरम में मछुआरा समुदाय के लोगों के लिए 1,032 घर बनाने की योजना तैयार की है।
  • Chandigarh
    सोनिया यादव
    चंडीगढ़ के अभूतपूर्व बिजली संकट का जिम्मेदार कौन है?
    24 Feb 2022
    बिजली बोर्ड के निजीकरण का विरोध कर रहे बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान लगभग 36 से 42 घंटों तक शहर की बत्ती गुल रही। लोग अलग-अलग माध्यम से मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन प्रशासन पूरी तरह से लाचार…
  • Russia targets Ukraine
    एपी
    रूस ने यूक्रेन के वायुसेना अड्डे, वायु रक्षा परिसम्पत्तियों, सैन्य आधारभूत ढांचे को बनाया निशाना, अमेरिका-नाटो को चेताया
    24 Feb 2022
    रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि सेना ने घातक हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन के वायुसेना अड्डे, वायु रक्षा परिसम्पत्तियों एवं अन्य सैन्य आधारभूत ढांचे को निशाना बनाने के लिये किया है। उसने आगे दावा…
  • Hijab controversy
    भाषा
    हिजाब विवाद: बेंगलुरु के कॉलेज ने सिख लड़की को पगड़ी हटाने को कहा
    24 Feb 2022
    सूत्रों के अनुसार, लड़की के परिवार का कहना है कि उनकी बेटी पगड़ी नहीं हटायेगी और वे कानूनी राय ले रहे हैं, क्योंकि उच्च न्यायालय और सरकार के आदेश में सिख पगड़ी का उल्लेख नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License