NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
उत्पीड़न
भारत
राजनीति
बिहार: आख़िर ‘सुशासन’ में कब सुरक्षित होंगी महिलाएं और बच्चियां?
बीते सप्ताह ही मोतीहारी में हाथरस जैसी घटना के सुर्खियों में आने के बाद अब फिर वैशाली में एक नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Feb 2021
बिहार: आख़िर ‘सुशासन’ में कब सुरक्षित होंगी महिलाएं और बच्चियां?
Image Credit: Aasawari Kulkarni/Feminism In India

बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर बिहार एक बार फिर सुर्खियों में है। महज़ कुछ दिन पहले ही मोतीहारी में हाथरस जैसी घटना रिपोर्ट होने के बाद अब वैशाली जिले में एक नाबालिग लड़की के कथित अपहरण, रेप और फिर हत्या किए जाने का मामला सामने आया है। फिलहाल मासूम का शव मिले हुए 24 घंटें से ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक घटना कटहरा थाना क्षेत्र की है। गुरुवार, 11 फरवरी की सुबह आरोपियों के घर के पास तालाब में नाबालिग लड़की का शव जब लोगों ने देखा तो घटना की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंच कर शव को अपने कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। शव की पहचान होते ही परिजनों में मातम का माहौल छा गया।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक परिजनों का कहना है कि बीते शनिवार यानी 6 फरवरी की रात को ही लड़की को अगवा कर लिया गया और 5 दिन बाद पोखर से शव बरामद किया गया है। परिजनों का आरोप है कि आरोपियों ने पहले भी धमकी दी थी और इसी के तहत लड़की को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर साक्ष्य छुपाने के लिए आरोपियों ने हत्या कर उसका शव तालाब में फेंक दिया।

लड़की के पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह कोलकाता में रहते हैं और महीने भर के लिए यहां आते हैं। उनके मुताबिक उनकी बेटी के अपहरण और हत्या के पीछे किसी पुरानी रंजिश का उन्हें पता नहीं है लेकिन उन्होंने आरोपियों पर रेप कर हत्या का आरोप लगाया है।

पुलिस का क्या कहना है?

इस संबंध में पुलिस का कहना है कि पूरे मामले की छानबीन की जा रही है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। घटना के बाद से आरोपियों के फरार हो जाने के कारण अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

गौरतलब है कि भारत में हर दिन करीब 109 बच्चे यौन शोषण का सामना करते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB  के मुताबिक देश भर में साल 2017 में 32,608 बच्चे और साल 2018 में 39,827 बच्चों ने यौन शोषण का सामना किया। ऐसे में बिहार से लगातार नाबालिगों के साथ दुष्कर्म की खबरें कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करती हैं।

अभी बाते सप्ताह ही बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले में 12 साल की एक नेपाली मूल की बच्ची के साथ पहले कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म और फिर हत्या कर उसके शव को जबरन देने का मामला सामने आया था। इस पूरी घटना को लेकर स्थानीय थाने के थानाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगे थे। घटना के 12 दिन बाद एफ़आईआर दर्ज हुई तो वहीं मामले के तूल पकड़ने के बाद थानेदार को सस्पेंड कर दिया गया था।

इसे भी पढ़ें: आख़िर और कितनी घटनाओं को ‘दूसरा हाथरस’ लिखने की नौबत आएगी?

‘सुशासन’ में महिलाएं बच्चियां सुरक्षित नहीं

चौथी दफा सत्तासीन होने के बाद भी नीतीश सरकार में नाबालिग बच्चियों, महिलाओं के साथ लगातार बर्बर हिंसा बढ़ती जा रही है लेकिन मुख्यमंत्री साहब सुशासन बाबू का तमगा लेकर खुश हैं। बिहार पुलिस के आंकड़े देखें तो साल 2011 में दुष्कर्म के 934 मामले सामने आए थे जो साल 2019 में 1450 हो गए। नवंबर 2020 तक बिहार पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक 1330 मामले दुष्कर्म के दर्ज हुए थे।

इसे भी पढ़ें : बिहार में हर महीने 100 से अधिक बलात्कार, क्या यही है सुशासन?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB द्वारा जारी आंकड़े भी बिहार में क़ानून व्यवस्था की बदहाली की कहानी ही बयां करते हैं। NCRB की साल 2018 के लिये जारी रिपोर्ट में देश भर के 19 मेट्रोपॉलिटन शहरों में होने वाली हत्याओं में पटना पहले स्थान पर था, तो वहीं अपराध के मामले में बिहार का पांचवा स्थान रहा।

Bihar
rape case
murder case
crimes against women
violence against women
bihar police
women safety
Good Governance

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

पिता के यौन शोषण का शिकार हुई बिटिया, शुरुआत में पुलिस ने नहीं की कोई मदद, ख़ुद बनाना पड़ा वीडियो

चंदौली: कोतवाल पर युवती का क़त्ल कर सुसाइड केस बनाने का आरोप

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

यूपी: अयोध्या में चरमराई क़ानून व्यवस्था, कहीं मासूम से बलात्कार तो कहीं युवक की पीट-पीट कर हत्या


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License