NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार: चोटी के जरिये पितृसत्ता की बेड़ियों में नहीं बंधना चाहतीं भागलपुर कॉलेज की लड़कियां
नए ड्रेस कोड के हर नियम पर छात्राओं की पूरी सहमति है लेकिन बालों में चोटी बांधने वाले फरमान पर उनमें भारी नाराजगी है। उनका मानना है कि यहां मामला मानसिकता का है, जो अब धीरे-धीरे मनुवाद की ओर ले जाने की कोशिश की जा रही है।
सोनिया यादव
23 Aug 2021
सुंदरवती महिला महाविद्यालय

बिहार के भागलपुर का सुंदरवती महिला महाविद्यालय एका-एक सुर्खियों में आ गया है। वजह महाविद्यालय के नए ड्रेस कोड का एक नियम है, जिसका छात्राएं और छात्र संगठन विरोध कर रहे हैं। इस नियम के मुताबिक खुले बाल यानी बिना चोटी वाली छात्राओं को अब कॉलेज परिसर में एंट्री नहीं मिलेगी। ये नियम नए सत्र 2021-23 तक के लिए लागू होगा। जो अभी तक अनिवार्य नहीं था। एक ओर प्रशासन इस नियम के सख्ती से लागू करने के पक्ष में है तो वहीं छात्राएं खुले बालों पर प्रतिबंध के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवा रही हैं।

यहां गौर करने वाली बात ये है कि अब तक इस महाविद्यालय में ऐसा कोई नियम नहीं था। जानकारी के मुताबिक लड़कियां अपनी सुविधानुसार अपने बालों को बांध कर या खुले छोड़कर परिसर में आ सकती थी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अचानक इस फरमान की क्या आवश्यकता पड़ गई। इस नए नियम का छात्र संगठन राजद और एनएसयूआई ने विरोध किया है तो वहीं एबीवीपी इसके पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है।

क्या है पूरा मामला?

सुंदरवती महिला महाविद्यालय यानी एसएम कॉलेज भागलपुर का एक प्रतिष्ठित कॉलेज है और जैसा कि नाम में ही महिला लिखा है तो यहां सिर्फ लड़कियां पढ़ती हैं। विश्वविद्यालय के अधिकारियों की निगरानी के अलावा यहां पुलिस प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के इंतजाम हैं। कुछेक घटनाओं को छोड़ दें तो अमूमन ये महाविद्यालय खबरों में न के बराबर ही रहता है। हालांकि इस बार प्रशासन की ओर से गुरुवार, 19 अगस्त को जारी एक नोटिस से कुछ ही घंटों में महाविद्यालय को सुर्खियों में ला दिया।

कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. रमन सिन्हा के हस्ताक्षर से जारी हुए इस नोटिस में बारहवीं कक्षा की छात्राओं के लिए ड्रेस कोड के नियम लिखे थे। यहां बारहवीं के तीनों स्ट्रीम यानी विज्ञान, वाणिज्य और कला में तकरीबन 1500 छात्राएं फिलहाल नामांकित हैं और इन छात्राओं का नया ड्रेस कोड तय करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था, जिस पर अंतिम मोहर महाविद्यालय के प्रचार्य ने लगाई है। इस नियम में लड़कियों के पहनावे से लेकर उनके बालों तक पर विस्तार से ध्यान दिया गया है।

क्या है नए ड्रेस कोड में?

- छात्राओं को सख्त निर्देश है कि वो खुले लहराते बालों के साथ कॉलेज नहीं आ सकतीं।

- छात्राओं को एक या दो चोटी बांधकर ही कॉलेज आना होगा।

- नए सेशन में रॉयल ब्लू कुर्ती, सफेद सलवार, सफेद दुपट्टा, सफेद मौजा, काला जूता और बालों में दो या एक चोटी जबकि सर्दियों में रॉयल ब्लू ब्लेजर और कार्डिगन पहनना अब अनिवार्य कर दिया है।

- बिना ड्रेस कोड के महाविद्यालय में प्रवेश वर्जित रहेगा।

मालूम हो कि ड्रेस कोड के हर नियम पर छात्राओं की पूरी सहमति है लेकिन बालों में चोटी बांधने वाले फरमान पर उनमें भारी नाराजगी है।

महाविद्यालय प्रशासन का क्या कहना है?

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक एसएम कॉलेज के प्राचार्य प्रो. रमन सिन्हा फिलहाल ड्रेस कोड के फैसले को बदलने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि आप जो चाहें लिख सकते हैं लेकिन ड्रेस कोड लागू हो चुका है, इसके सम्बंध में नोटिस भी चिपके हैं। इसलिए छात्राओं को ये नियम तो मानने ही होंगे। हालांकि प्रिंसिपल साहब की सख्ती के बावजूद कॉलेज के इस नए नियम को लेकर अब हंगामा शुरू हो गया है।

सूबे की प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी से जुड़े छात्र संगठन ने इसे तुगलकी फरमान बताया तो वहीं कई छात्रों ने इसकी तुलना कट्टरपंथियों और शरिया कानून तक से कर डाली। हालांकि महालविद्यालय की कुछ छात्राएं इस फैसले को अपना समर्थन भी दे रही हैं लेकिन ज्यादातर इससे इत्तेफाक नहीं रखती।

नए नियमों का विरोध

इस नए नियम पर छात्र राजद के विश्वविद्यालय अध्यक्ष दिलीप कुमार यादव ने कहा कि नए ड्रेस कोड वाले फैसलों का वह स्वागत करते हैं लेकिन बेटियों के खुले बालों पर प्रतिबंध कॉलेज प्रशासन की घटिया मानसिकता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि प्राचार्य जल्द इस बेतुके फैसले को वापस लें नहीं तो कुलपति से मिलकर वह इसकी शिकायत करेंगे। दिलीप यादव ने कहा कि यह सौभाग्य है कि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की कुलपति भी महिला हैं। लेकिन छात्राओं के खुले बालों पर जिस प्रकार प्रतिबंध लगाया जा रहा है और कुलपति की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है यह समझ से परे है।

कांग्रेस स्टूडेंट विंग एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रशांत बनर्जी ने भी कॉलेज प्रशासन के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि छुट्टी समाप्त होने के बाद एनएसयूआई के लोग कुलपति से मिलकर इस फैसले को वापस लेने के लिए और प्राचार्य को पदमुक्त करने की मांग करेंगे। वहीं अगर कुलपति यह फैसला वापस नहीं लेतीं तो एनएसयूआई जोरदार आंदोलन करेगी।

हालांकि एस मामले में एबीवीपी का रुख अलग नज़र आ रहा है। टीएनबी लॉ कॉलेज की प्रमुख अमृता सिंह ने कॉलेज प्रशासन के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक रूप से भी पढ़ाई के समय बाल खुले होने से परेशानी होती है। मन अशांत होता है पढ़ाई में भी दिलचस्पी नहीं रहती। हालांकि उन्होंने अपने इस ‘वैज्ञानिक’ दावे का वैज्ञानिक आधार नहीं बताया।

उन्होंने कहा कि कॉलेज में पढ़ाई के बाद सभी स्वतंत्र हैं जिन्हें जैसा पोशाक पहनना है या जैसा बाल रखना है वो रखे। अमृता सिंह ने इस फैसले के लिए प्राचार्य और कॉलेज प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया है।

नए नियम इंटर की पढ़ाई समाप्त कराने का पैंतरा है?

गौरतलब है कि कई लोग प्रशासन के इस फैसले को एसएम कॉलेज में इंटर की पढ़ाई समाप्त करने से जोड़कर भी देख रहे हैं। कई मीडिया खबरों के मुताबिक इंटर की पढ़ाई समाप्त करने के लिए प्रबंधन ने कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र दिया है। पिछली बार इंटरमीडिएट की परीक्षा के दौरान कॉलेज प्रशासन और जिला शिक्षा विभाग में ठन गई थी।

कालेज प्रशासन ने परीक्षा नहीं लेने को लेकर बिहार बोर्ड के सचिव तक को पत्राचार कर दिया था। इस कारण कॉलेज में केंद्राधीक्षक भी अन्य कॉलेज के शिक्षक को बनाया गया था। इस विवाद को लेकर परीक्षा के दौरान काफी गहमागहमी रही थी। कालेज प्रशासन का कहना था कि इंटर की पढ़ाई के कारण नैक टीम ने मूल्यांकन के समय सवाल उठा दिया था। इस कारण इंटर की पढ़ाई से उन लोगों को आपत्ति है।

मामला वाकई क्या है ये तो प्रशासन ही बता सकता हैं। न्यूज़क्लिक ने इस संबंध में फोन के माध्यम से महाविद्यालय के प्राचार्य से संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन खबर लिखे जाने तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है। यदि भविष्य में जवाब मिलता है तो खबर अपडेट की जाएगी।

पूरा मामला मानसिकता का है!

बहरहाल, मामला यहां महज़ नियम का नहीं लगता। क्योंकि छात्राओं को बाकि के नियमों से कोई आपत्ति नहीं है। छात्राओं का मानना है कि मामला यहां मानसिकता का है, जो अब धीरे-धीरे मनुवाद की ओर ले जाने की कोशिश की जा रही है। मामला यहां पितृसत्ता का भी है जो लड़कियों को एक तय नियम के अनुसार कंट्रोल करने में विश्वास करती है। लड़कियों की आपत्ति चोटी वाले बालों से कहीं ज्यादा इन बातों से है।

Bihar
Bhagalpur
SM College
Sunderwati Mahila College
Dress Code for Girls
patriarchal society
Gender Based Discrimination

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License