NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
लॉकडाउन के दौरान कोरोना से अधिक भूख से लड़ रही है बिहार की बड़ी आबादी
-    15 दिन से ज़्यादा बीतने के बावजूद राज्य सरकार नहीं बंटवा पायी है मुफ़्त राशन

-    स्वयंसेवी संस्थाओं के भरोसे जल रहा है दिहाड़ी मजदूरों के घर का चूल्हा
पुष्यमित्र
08 Apr 2020
बिहार
बिहार के सहरसा जिले के चैनपुर गांव में ज़रूरतमंदों को भोजन कराते ग्रामीण

गुड़िया साह एक कॉलेज छात्रा हैं और इन दिनों लॉकडाउन के दौरान अपने गांव मधुबनी जिले के हरलाखी में घूम-घूमकर गरीबों के फूड पैकेट बांट रही हैं। जब उनसे फोन पर बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि मैं अभी एक क्विंटल चावल और कुछ अन्य खाने-पीने का सामान लेकर आयी हूं। इसके छोटे-छोटे पैकेट्स बनाकर कई लोगों तक पहुंचाना है। वे कहती हैं, दरअसल गांव में ऐसे कई परिवार हैं, जिनकी इस लॉकडाउन की अवधि में आजीविका खत्म हो गयी है, जैसे दिहाड़ी मज़दूर, रिक्शा चलाने वाले, नाई, राजमिस्त्री और निर्माण मजदूर आदि। ये लोग ऐसे हैं कि अगर रोज काम न करें तो शाम को उनके घर का चूल्हा नहीं जलेगा। इसलिए वे कुछ दिनों से अपनी संस्था के सहयोग से इन लोगों के बीच फूड पैकेट का वितरण कर रही हैं।

कुछ ऐसी ही कहानी सहरसा जिले के चैनपुर गांव की है, जहां के समाज ने गांव में एक सार्वजनिक चूल्हे की शुरुआत की है। वहां रोज 200 लोगों का खाना पकता है। इसके अलावा बेंगलुरू में रहने वाले गांव के एक बिजनेसमैन विकास ठाकुर ने स्थानीय युवकों से गांव के 81 निर्धनतम लोगों की सूची तैयार की है, जिन्हें एक महीने का राशन वे अपनी तरफ से उपलब्ध करा रहे हैं। ये सिर्फ दो मामले नहीं हैं, पूरे बिहार में ग्रामीण इलाकों में जगह-जगह ऐसे प्रयास हो रहे हैं, ताकि अब तक 15 दिन से अधिक खिंच गये लॉकडाउन की वजह से भुखमरी की कगार पर पहुंच गये लोगों के भोजन का इंतजाम हो सके। इसके अलावा कई ऐसे इलाके भी हैं, जहां इंतजाम नहीं हो पाया है। वहां ऐसे लोग भीख मांगने पर मजबूर हो गये हैं। दुर्भाग्यवश सरकारी घोषणा होने के बावजूद इन्हें अब तक सरकार से कोई मदद नहीं मिल पायी है।

बिहार में 22 मार्च से ही लॉकडाउन शुरू हो गया था। 22 मार्च को ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि राज्य के सभी राशनधारियों को एक महीने का राशन मुफ्त में मिलेगा। बाद में यह भी घोषणा हुई कि लोगों को एक नहीं तीन महीने का राशन मिलेगा। मगर लॉकडाउन घोषित हुए 15 दिन से ज़्यादा बीत चुके हैं, लोग अभी भी इस घोषणा के पालन का इंतजार कर रहे हैं। राज्य के किसी भी हिस्से में सरकार का मुफ्त राशन नहीं बंटा है। इसी वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही है।

बिहार जैसे राज्य के लिए यह स्थिति भीषण है, क्योंकि राज्य में सिर्फ 11.9 फीसदी लोग ही ऐसे हैं, जिन्हें नियमित तौर पर रोजगार उपलब्ध है। पिछले दिनों इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंस, मुंबई में हुए अध्ययन के मुताबिक राज्य के हर दो में से एक परिवार का कोई न कोई सदस्य रोजी रोटी के लिए पलायन करता है। इनमें से 90 फीसदी लोगों को अकुशल मजदूर के तौर पर ही दूसरे राज्यों में रोजगार मिलता है। पलायन करने वाले लोगों में से बड़ी संख्या में लोग घर लौट आये हैं और बेरोजगार हैं। राज्य सरकार की तरफ से इनकी संख्या 1.75 लाख बतायी जा रही है। जो लोग नहीं लौट पाये वे परदेस में बेरोजगार हैं। वे भी अपनी तरफ से परिवार की किसी किस्म की मदद करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में जनवितरण प्रणाली के राशन की यहां काफी जरूरत होती है। बेरोजगारी और भुखमरी की स्थिति में राशन वितरण के 15 दिन लेट हो जाने से स्थिति काफी ख़राब हो रही है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 11 करोड़ की आबादी वाले बिहार राज्य में 1.68 करोड़ राशनकार्ड धारी परिवार हैं और लाभुकों की कुल संख्या 8.65 लाख करोड़ है। इसके मुताबिक राज्य की 80 फीसदी से अधिक आबादी इस लॉकडाउन में बंटने वाले मुफ्त के राशन का इंतजार कर रही है।

सोमवार को जारी अपने बयान में राज्य के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने कहा कि राज्य के सभी जिलाधिकारियों को राशन बंटवाने से संबंधित पत्र जारी कर दिया गया है। इस पत्र में जिलाधिकारियों से कहा गया है कि हर गांव में ढोल बजवाकर लोगों को सूचना दें कि सरकार की तरफ से तीन माह का राशन मुफ्त में दिया जा रहा है। इस बार राशन के साथ एक किलो दाल भी बंटेगा। मगर लॉकडाउन के वक्त में 22 मार्च को हुई घोषणा को लागू कराने में 15 दिन क्यों लग गये और जरूरतमंदों तक कब तक राशन पहुंचेगा इसका कोई जवाब उन्होंने नहीं दिया। मंगलवार को फोन पर उनसे दिन भर संपर्क करने की कोशिश की गयी पर बैठक की व्यस्तता बताते हुए उनसे बातचीत नहीं हो पायी।

इस बीच बेरोजगारी और भुखमरी से परेशान राज्य के ग्रामीण इलाके के लोग इस घोषणा का नाम लेकर बार-बार राशन डीलर पर दबाव बना रहे हैं। राशन डीलर हर किसी को यही कह कर लौटा देता है कि अभी इस संबंध में उन्हें कोई पत्र नहीं मिला है। मधेपुरा से मुकेश बताते हैं कि लोग परेशान हैं और राशन वाला जान बचाकर भाग रहा है। अभी तक उसके पास आवंटन की सूचना नहीं है।

अभिषेक चौधरी कहते हैं कि अररिया में अभी मार्च वाला ही बंटा है, पैसे लेकर। खबर यह है कि गरीबों को मुफ्त राशन देने से संबंधित पत्र सोमवार को राजधानी पटना से जारी हुआ है और यह अभी किसी को मिला है, किसी को नहीं मिला है। इस बीच कुछ राशन डीलरों ने मार्च के आवंटन का राशन वितरित किया है, जो फ्री नहीं था। जाहिर सी बात है कि जिन लोगों के पास बचत नहीं थी, वे इस राशन का लाभ उठा नहीं पाये।

गुड़िया कहती हैं कि उनके राशन डीलर ने सूचित किया कि अब राशन उठाने की इजाजत मिल गयी है। मगर अब भी वितरण शुरू होने में कम से कम दो-तीन दिन तो लग ही जायेगा। मगर तब तक शायद लॉकडाउन की समाप्ति भी हो जाये। जब असली संकट का वक्त था, तब घोषणा के बावजूद सरकार इनका समाधान नहीं कर पायी।

(लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Coronavirus
COVID-19
Lockdown
Bihar
Hunger Crisis
poverty
Poor People's
Nitish Kumar

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग


बाकी खबरें

  • Ahmed Hasan passes away
    भाषा
    उप्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन का निधन; योगी, अखिलेश ने दुख जताया
    19 Feb 2022
    वह पूर्व पुलिस अधिकारी थे। बाद में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव उन्हें राजनीति में ले आये थे। हसन सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। वर्तमान में वह विधान परिषद सदस्य और नेता…
  • Ravish Tiwari passes away
    भाषा
    वरिष्ठ पत्रकार रवीश तिवारी का निधन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक
    19 Feb 2022
    इंडियन एक्सप्रेस के राष्ट्रीय ब्यूरो के प्रमुख रवीश तिवारी कैंसर से पीड़ित थे और पिछले करीब दो वर्षों से इस बीमारी से जूझ रहे थे।
  • police
    नाइश हसन
    योगी की पुलिस कैसे कर रही चुनाव में ग़रीबों से वसूली: एक पड़ताल
    19 Feb 2022
    सवाल यह है कि क्या मात्र विज्ञापन या भाषण स्थितियों की असलियत बयान कर सकते हैं? हमने हालिया पुलिसिया दमन की पड़ताल करनी चाही, तो ‘अमृतकाल’ में ग़रीब बस्तियों का हाल कुछ और ही दिखा।
  • Protest in Myanmar
    लव पुरी
    कैसे सैन्य शासन के विरोध ने म्यांमार को 2021 के तख़्तापलट के बाद से बदल दिया है
    19 Feb 2022
    म्यांमार में सैन्य शासन नया नहीं है, लेकिन कुछ टिप्पणीकार बाइनरी लेंस से परे म्यांमार की स्थिति को समझने का प्रयास करते हैं।
  • AFGHAN
    क्रिस्टीन लेहनेन
    तालिबान के आने के बाद अफ़ग़ान सिनेमा का भविष्य क्या है?
    19 Feb 2022
    तीन पुरस्कार विजेता महिला निर्देशकों ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उद्योग से अफ़ग़ान सिनेमा को बचाने की अपील की है। आज के दौर में इन महिला फिल्मकारों का समर्थन पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।  
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License