NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
वाह रे ओपिनियन पोल : जेडीयू के वोट घटेंगे, सीटें बढ़ेंगी और आरजेडी-कांग्रेस के वोट बढ़ेंगे सीटें घटेंगी!
सर्वे में वोट शेयर और सीटों के साथ-साथ मुद्दे और सरकार से नाराज़गी जैसे तमाम पहलुओं को देखें तो यह विरोधाभास का पुलिंदा लगता है। 2015 में इसी सी-वोटर के सर्वे ने एनडीए को कांटे की टक्कर में दिखाया था जबकि नतीजे बिल्कुल उलट आए थे और महागठबंधन को दो तिहाई सीटें हासिल हुई थीं।
प्रेम कुमार
15 Oct 2020
Bihar election

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले ओपिनियन पोल का खेल भी जारी है। सितंबर और अक्टूबर में सी-वोटर के दो अलग-अलग ओपिनियन पोल सामने आए हैं। दोनों में एनडीए की सरकार बनती दिख रही है। ऐसा इसी सर्वे की एक और परस्पर विरोधी सच्चाई के बावजूद है कि एनडीए की वर्तमान सरकार से ज्यादातर लोग नाखुश हैं। सवाल ये है कि जब एनडीए सरकार से खुश नहीं हैं तो उसे दोबारा लाना ही क्यों चाहते हैं? इस सवाल का जवाब ‘विकल्प नहीं है’ बोलकर दिया जा रहा है। अगर ऐसा है तो जेडीयू का वोट शेयर गिरना नहीं चाहिए।

अक्टूबर में हुए ताजा सी वोटर के सर्वे में एनडीए के भीतर ही बीजेपी का वोट शेयर बढ़ता हुआ और जेडीयू का घटता हुआ दिखाया जा रहा है। यह मुमकिन है मगर फासला इतना बड़ा है और उस हिसाब से सीटों का आकलन इतना जुदा है कि यकीन नहीं होता। ताजा सर्वे में बीजेपी को 33.8 फीसदी समर्थन दिखाया गया है जो 2015 में उसे हासिल समर्थन 24.8 फीसदी से 9 फीसदी ज्यादा है। वहीं, जेडीयू को 14.4 फीसदी वोट दिखाया गया है जो 2015 में उसे मिले 16.7 फीसदी से 2.3 फीसदी कम है।

एनडीए में बीजेपी को जेडीयू से दुगुने से भी ज्यादा वोट शेयर!

एनडीए के भीतर बीजेपी को 33.8 फीसदी और जेडीयू को उसके आधे से भी कम 14.4 फीसदी वोट मिलने के क्या मायने हो सकते हैं? एक मतलब ये होगा कि बीजेपी को जितनी सीट मिल रही है उसकी आधी से भी कम जेडीयू को मिले। इस हिसाब से देखें तो सी वोटर का सर्वे कहता है कि बीजेपी को 85 सीटें मिलने जा रही है। इसका आधा 43 होता है। मगर, यही सर्वे जेडीयू को 70 सीटें दे रहा है। है न आश्चर्य की बात!

सी वोटर-टाइम्स नाऊ का सर्वे कहता है कि जेडीयू के वोट तो घटेंगे, लेकिन सीटें नहीं घटेंगी। विगत चुनाव में 71 सीटें पाने वाली जेडीयू को एक बार फिर 70 सीटें मिलती दिखाई जा रही हैं। गठबंधन में बीजेपी 110 सीटों पर जेडीयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। अगर 115 सीटों पर जेडीयू के कारण एनडीए को एंटी इनकंबेंसी झेलनी पड़ रही है तो यह सीटों में नुकसान के तौर पर व्यक्त नहीं होगा- यह इस सर्वे का विरोधाभास है। विरोधाभास यह भी है कि 9 फीसदी अधिक वोट हासिल करने के बावजूद बीजेपी की सीटों में केवल 32 सीटों का ही फायदा होगा।

क्या कहता है एनडीए से बाहर होकर एलजेपी का प्रदर्शन?

सी वोटर-टाइम्स नाऊ का सर्वे कह रहा है कि एलजेपी को 5 सीटें मिलेंगी और वोट 6.7 फीसदी हासिल होगा। ऐसा तब है जब वह एनडीए से बाहर निकलकर चुनाव लड़ रही है। एनडीए में रहकर एलजेपी को 2015 में एक भी सीट नहीं मिली थी जबकि 4.8 फीसदी वोट मिले थे। यह तथ्य एनडीए सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की पुष्टि करता है।

महागठबंधन के घटक दलों के वोट बढ़ेंगे, सीटें घटेंगी!

महागठबंधन के सभी घटक दलों को अधिक वोट मिलता बता रहा है सर्वे, लेकिन सीटें घटती दिखा रहा है। यह भी बहुत बड़ी विडंबना है। आरजेडी को 2015 में 18.5 फीसदी वोट मिले थे। इस बार ताजा सर्वे के मुताबिक उसे 24.3 प्रतिशत वोट मिलने जा रहा है। यानी 5.8 फीसदी वोटों का इजाफा। मगर, सीटें 80 से घटकर 56 होती दिखाई जा रही है!

कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही है। कांग्रेस को 2015 में 6.7 फीसदी वोट मिले थे और ताजा सर्वे में यह प्रतिशत बढ़कर 11 हो चला है। मगर 2015 में मिली 27 सीटों के मुकाबले कांग्रेस को महज 15 सीटें मिलती बतायी जा रही हैं। यह बात इसलिए भी चौंकाने वाली है कि जेडीयू के वोटों में भारी गिरावट के बावजूद सर्वे के मुताबिक उसकी सीटें कम नहीं होंगी और महागठबंधन के वोटों में भारी बढ़ोतरी के बावजूद सीटें घट जाएंगी!

ज्यादातर लोग न एनडीए सरकार से खुश, न सीएम से!

सी वोटर-टाइम्स नाऊ का ताजा सर्वे यह भी कहता है कि ज्यादातर लोग न एनडीए सरकार से खुश हैं और न मुख्यमंत्री से। एनडीए सरकार से संतुष्ट केवल 25.46 फीसदी वोटर हैं और नीतीश कुमार को सीएम देखने वाले लोगों की तादाद भी महज 32 फीसदी रह गयी है। ऐसे में ये तथ्य एनडीए सरकार के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी का प्रमाण हैं।

पहले सर्वे में सी वोटर ने एनडीए के लिए 44.8 फीसदी और यूपीए के लिए 33.4 फीसदी वोट दिखाया था। दूसरे सर्वे में वह गठबंधन के बजाए दलीय आधार पर समर्थन दिखाने लगा। यह चालाकी क्यों की गयी, ये वही बता सकते हैं।

सितंबर के सर्वे में 56.7 फीसदी लोगों में एनडीए सरकार को लेकर गुस्सा था और वे बदलाव चाहते थे। यह गुस्सा अक्टूबर के सर्वे में और भी अधिक नज़र आता है अगर आप ये देखेंगे कि सितंबर के सर्वे में 25.1 फीसदी लोगों के लिए चुनाव का मुद्दा बेरोजगारी और प्रवासी मजदूर थे, तो अक्टूबर आते-आते 49 प्रतिशत लोग सर्वे में मानने लगे कि बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है।

सर्वे में वोट शेयर और सीटों के साथ-साथ मुद्दे और सरकार से नाराज़गी जैसे तमाम पहलुओं को देखें तो यह विरोधाभास का पुलिंदा लगता है। 2015 में इसी सी-वोटर के सर्वे ने एनडीए को कांटे की टक्कर में दिखाया था जबकि नतीजे बिल्कुल उलट आए थे और महागठबंधन को दो तिहाई सीटें हासिल हुई थीं। ऐसे में इस ओपिनियन पोल से कोई भी ओपिनियन बनाना उचित नहीं लगता।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Bihar Elections 2020
Opinion Poll
jdu
RJD
Congress
Bihar Assembly Elections
NDA

Related Stories

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

केरल उप-चुनाव: एलडीएफ़ की नज़र 100वीं सीट पर, यूडीएफ़ के लिए चुनौती 

कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ

‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप

15 राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा चुनाव; कैसे चुने जाते हैं सांसद, यहां समझिए...


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License