NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार चुनाव: पहले दौर का मतदान तय कर देगा आगे की दिशा
बिहार को लेकर जो कहा जाता रहा है कि यहां की मिट्टी सत्ता–सियासत में हलचल पैदा करती है, ग़लत नहीं है और इस बार भी शायद ये सच साबित हो जाये....!
अनिल अंशुमन
27 Oct 2020
बिहार चुनाव
Image courtesy: Azhimukham

बिहार में मतदान की घड़ी आ गई है। पहले दौर में बुधवार, 28 अक्तूबर को 16 जिलों के 71 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।

हाल के समयों में संभवतः ऐसा पहली बार हुआ है जब बिहार में होनेवाले चुनाव का एजेंडा और उसकी बहसों का विषय बदल गया हो। ‘ बिहार शोज द वे’ को एकबार फिर जमीनी तौर पर चरितार्थ होते देखा जा सकता है। गोदी मीडिया की चुनाव पूर्व मतदाताओं को भ्रमित करने व सत्ताधारी दल व उसके नेताओं द्वारा थोपे जा रहे भटकाव के मुद्दों की तमाम कवायदों के बावजूद मतदान के पहले चरण के समय ही चुनावी मुद्दा बदल जा रहा है।

जबकि देश के प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्रियों से लेकर राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री – नेता और एनडीए प्रत्याशियों ने अपने भाषणों के द्वारा इस विधानसभा चुनाव को भी पुलवामा और 300 आतंकवादी घुसने जैसे छद्म मुद्दे के रंग में रंगने कोई कसर नहीं छोड़ी। 15 वर्षों में महज रोड – पुलिया निर्माण इत्यादि को ही सबसे बड़ा विकास बताने के साथ साथ फिर से ‘जंगलराज’ की वापसी का डर दिखाकर लोगों के वोट झटकने की कोशिशों में भी कोई कोताही नहीं की गयी।

लेकिन इससे परे हाशिये पर धकेल दिये गए रोजगार – पलायन और प्रवासी मजदूरों के सवाल जैसे बुनियादी मुद्दे चुनाव के केंद्र में आ ही गए हैं। ऐसा बहुत दिनों बाद हुआ है जब 15 वर्षों से प्रदेश तथा 6 वर्षों से केंद्र की सत्ता में काबिज एनडीए शासन के सत्ताधारी दल भाजपा– जदयू को विपक्षी महागठबंधन के सवालों के जवाब देने पड़ रहे हैं। इसका नज़ारा कुछेक विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं से मिलकर भी देखने – जानने को मिला ।

“....मैं भाजपा का कैडर हूँ लेकिन चाहता हूँ कि नीतीश कुमार सरकार हटे! 15 साल से इन्होंने बिहार के युवाओं को रोजगार के नाम पर सिर्फ ठगने का काम किया है। मोदी जी भी आकर सिर्फ रोड–पुलिया निर्माण को ही विकास बताकर अपनी सरकार के लिए वोट मांग रहें हैं, जिसे अब सुनने का मन नहीं कर रहा है...।” राजधानी पटना से सटे दीघा विधानसभा क्षेत्र के एक युवा ने काफी व्यथित अंदाज़ में बताया।

इसी विधानसभा सीट से सटे फुलवारी क्षेत्र के सबसे व्यस्त इलाके के ब्लॉक मोड़ की चाय दुकान में बैठे बुजुर्ग ने देसी लहजे में तल्खी के साथ कहा– “इंजीनियरिंग पास करके बेटा घर में बेरोजगार बैठा हुआ है, लॉकडाउन बंदी ने सब काम धंधा चौपट कर दिया है। आपलोग क्या समझते हैं कि हमलोग बंधुवा वोटर हैं, ई नीतीश सरकार सरकार निकम्मा है!” 

ऐसी कई कई बाते यहाँ–वहाँ की चुनावी चर्चाओं में अब होने लगीं हैं, जहां सरकार समर्थक मतदाता चुप ही मिलेंगे।

निस्संदेह इसे चुनावी माहौल का निर्णायक संकेत नहीं माना जा सकता लेकिन नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता। एक चर्चा ज़ोरों पर है कि 28 अक्तूबर के प्रथम चरण का मतदान ही अन्य चरण के मतदान की दिशा तय कर देगा।

इधर जो गोदी मीडिया एकतरफा ढंग से एक्ज़िट पोल के रंग बिरंगे अनुमानों के बहाने सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन की ही बढ़त और कोई विरोधी लहर नहीं होने का दावा परोस रही थी, प्रधानमंत्री जी की महत्वाकांक्षी चुनावी सभाओं के प्रति लोगों के ठंडे रिस्पांस के बाद से सुर बदलने लगी है। महागठबंधन के चुनावी अभियानों में मतदाताओं की उत्साहजनक भागीदारी की खबरें जो हाशिये पर ही नज़र आती थी, उसमें बदलाव दीखने लगा है। क्योंकि जैसे जैसे सभी चरणों के मतदान का दिन नजदीक आ रहा है, महागठबंधन की चुनावी सभा– रैलियों  में ‘ बदलो सरकार’ चाहने वालों बढ़ती सक्रियता साफ दीख रही है। जिसके केंद्र में हैं बिहार के युवा जो अब अपने अंधेरे भविष्य और रोजगार के सवालों पर नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार और उनकी सरकारों के किसी भी वादा– आश्वासन सुनने के मूड में नहीं दीख रहे। यही वजह है कि कल तक उनके कार्यक्रमों में उमड़नेवाली युवाओं की भीड़ अब तेजस्वी यादव और महागठबंधन के युवा उम्मीदवारों की रैली-सभाओं में जुटने लगी है। इसका प्रत्यक्ष नज़ारा प्रथम चरण के चुनाव के महागठबंधन - माले प्रत्याशी ( पालीगंज ) जेएनयू छात्र संघ पूर्व अध्यक्ष व आइसा के राष्ट्रीय माहासचिव डॉ. संदीप सौरभ, भोजपुर के अंगिआँव सीट प्रत्याशी व इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंज़िल तथा आरा सीट से कयामुद्दीन अंसारी की चुनावी सभाओं में तेजस्वी यादव और प्रत्यशियों को सुनने आई युवाओं की विशाल भीड़ दिखला रही है। चुनावी सभाओं में वक्ताओं द्वारा रोजगार का मुद्दा उठाए जाने पर ‘युवा बिहार, बदलो सरकार’ जैसे नारे खूब लग रहें हैं ।

लगभग ऐसा ही दृश्य बेगूसराय के उन इलाकों में भी देखा जा सकता है जहां चर्चित छात्र नेता कन्हैया महागठबंधन समर्थित सीपीआई उम्मीदवारों के पक्ष में चुनावी अभियान चला रहें हैं।

इस दौरान सोशल मीडिया में एक दिलचस्प वाकया हुआ जब अपने चुनावी प्रचार विज्ञापन में भाजपा ने मोदी जी की तस्वीर सहित–लॉकडाउन में सबको सुरक्षित पहुंचाया घर... जारी किया तो इसके खिलाफ युवाओं ने इस कदर तीखी प्रतिक्रिया दी कि अंततः उस विज्ञापन को साइलेंट करना पड़ गया।

कई कमेंट्स में यह भी कहा गया कि – भाजपा / एनडीए जितनी गाड़ियां – हेलीकॉप्टर इस बिहार विधानसभा चुनाव में उड़ा रहें हैं, यही खर्चा यदि लॉकडाउन के दौरान होता तो इतने मजदूर सड़कों पर नहीं मरते। एक कमेंट में कहा गया कि – कोरोना संकट ने मोदी– नीतीश जी के विकास–रोजगार की पोल खोलकर रख दी है। 15 साल से केवल सड़क – पुल और पानी की बकवास सुनकर आजिज़ आ गए हैं। शराबबंदी का मुद्दा भंजाए जाने के खिलाफ कहा जा रहा है कि इसने बेरोजगार युवाओं के अच्छे खासे हिस्से को शराब के ब्लैक मार्केटिंग के धंधे में धकेल दिया है।

बिहार चुनाव कैम्पेन में पहुंचे जेएनयू व दिल्ली के छात्र नेताओं के ‘ रोजगार – शिक्षा के हथियार से करेंगे सांप्रदायिकता को ध्वस्त’ जैसे बयानों और मोदी शासन द्वारा छात्र – युवाओं से किए जा रहे विश्वासघात की बातों पर को भी युवाओं द्वारा काफी महत्व दिया जा रहा है।

देश के विभिन्न हिस्सों से बिहार चुनाव का कवरेज करने आई युवा एक्टिविस्ट मीडियाकर्मियों की टीमें भी बिहार के युवाओं को ही फोकस कर रहीं हैं। खबर यह भी आ रही है कि कई स्थानों पर भाजपा – जदयू सरकार के मंत्री – नेताओं लोगों के अपमानजनक विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बहरहाल, गोदी मीडिया जितना भी चिल्लाये कि इस चुनाव में किसीके पक्ष में कोई बड़ी लहर नहीं दिखती अथवा मतदाताओं की खामोशी टूटती नहीं दिखती ... बात बेमानी हो गयी है। कोरोना महामारी से संक्रमित होने व मरनेवालों वालों की जारी रफ्तार के बीच भाजपा द्वारा बिहार के लोगों को मुफ्त वैक्सीन देने की घोषणा भी बेअसर रही। बिहार को लेकर जो कहा जाता रहा है कि यहां की मिट्टी सत्ता–सियासत में हलचल पैदा करती है, गलत नहीं है और इस बार भी शायद ये सच साबित हो जाये....!

(अनिल अंशुमन स्वतंत्र लेखक और संस्कृतिकर्मी हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Bihar Elections 2020
Bihar Election Update
BJP
RJD
jdu
NDA Govt
Narendra modi
Tejashwi Yadav
Nitish Kumar

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License