NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
CAA-NPR-NRC : मोदी के 'झूठ' पर अरुंधति रॉय की घेराबंदी!
संसद के अंदर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने किस तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नाम पर झूठ बोला, उसे पूरे देश ने देखा। ताज़ा मामला मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय का है। अरुधंति रॉय के एक भाषण को लेकर मुख्यधारा की मीडिया ने हाय-तौबा मचा दिया।
प्रदीप सिंह
28 Dec 2019
arundhati roy

सत्तापक्ष द्वारा संसद और संसद के बाहर झूठ बोलने का सिलसिला चल निकला है। इस काम में न केवल छोटे पदाधिकारी बल्कि सासंद, मंत्री और स्वयं प्रधानमंत्री तक शामिल हैं। सरकार के इस झूठ में जहां मुख्यधारा की मीडिया पूरा साथ दे रही है, वहीं विपक्षी नेताओं और बुद्धिजीवियों द्वारा जो बात नहीं कही गई है, उसे भी उनके मुंह में डालकर देशविरोधी, वामपंथी और मोदी विरोधी साबित किया जा रहा।

संसद के अंदर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने किस तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नाम पर झूठ बोला, उसे पूरे देश ने देखा। ताज़ा मामला मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय का है। अरुधंति रॉय के एक भाषण को लेकर मुख्यधारा की मीडिया ने हायतौबा मचा दिया। लेकिन उस भाषण का पूरा वीडियो फुटेज उपलब्ध होने के कारण मामला टाय-टाय फिस्स हो गया और गोदी मीडिया को मुंह की खानी पड़ी।

लेकिन अरुंधति रॉय के खिलाफ संघ-बीजेपी के कार्यकर्ता लग गए हैं। उनके ख़िलाफ़ दिल्ली के तिलकनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गयी है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार रंजन ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि अरुंधति रॉय ने दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित एक सभा में एनपीआर के ख़िलाफ लोगों को भड़काया। उन्होंने लोगों से कहा कि वे सरकारी अफ़सरों को अपने बारे में ग़लत जानकारी दें। पुलिस ने उनके खिलाफ़ धारा 295A, 504, 153और 120 B के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

संशोधित नागरिकता कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और अब इसमें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) भी जुड़ गया है, का देशव्यापी विरोध हो रहा है। केन्द्र और भाजपा शासित राज्य सरकारें जहां विरोध-प्रदर्शनों का बर्बरतापूर्वक दमन कर रही हैं, वहीं प्रदर्शनकारियों को एक षडयंत्र के तहत फंसाने का सिलसिला भी चल निकला है। दरअसल, NRC और डिटेंशन सेंटर पर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री के बयानों में विरोधाभास ने जनता में भय और भ्रम को बढ़ा दिया है। दिल्ली के रामलीला मैदान में 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश में एक भी डिटेंशन कैंप का अस्तित्व नहीं है। यह विरोधियों की साजिश है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में कहा था, “जो हिंदुस्तान की मिट्टी के मुसलमान हैं, जिनके पुरखे मां भारती की संतान हैं… उन पर नागरिकता कानून और एनआरसी, दोनों का कोई लेना देना नहीं है। कोई देश के मुसलमानों को न डिटेंशन सेंटर भेजा जा रहा है, न हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेंटर है, यह सफेद झूठ है। ये बद इरादे वाला खेल, ये नापाक खेल है।”

जबकि बाद में मीडिया के हवाले से खबरें आईं कि असम, महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में डिटेंशन कैंप हैं और गृह मंत्रालय कई बार राज्यों को डिटेंशन कैंप बनाने के लिए पत्र लिख चुका है।

NRC को लेकर भी इसी तरह का विरोधाभास सामने आया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार में NRC पर कभी बात ही नहीं हुई, जबकि गृहमंत्री के संसद और संसद के बाहर दिए गए बयानों और राष्ट्रपति के अभिभाषण के वीडियो तुरंत बाहर आ गए, जिसमें मोदी सरकार की ओर से NRC को लेकर प्रतिबद्धता जताई जा रही है।

इस सब झूठ और भ्रम के बाद संघ-भाजपा ने अपनी सफाई के बजाय दूसरों के बयानों पर हमलावर रुख अपना लिया। इसी कड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित एक सेमिनार में अरुंधति रॉय के दिए भाषण को भी तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।

इस मामले पर लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा कि, “उन्होंने लोगों से नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया था। उन्होंने सवाल किया है कि क्या देश के प्रधानमंत्री का हम लोगों से झूठ बोलना सही और हमारा मज़ाक़ करना अपराध और सुरक्षा के लिए ख़तरा है?”

एक पत्र लिखकर अरुंधति रॉय ने इस मामले में अपनी सफाई पेश की है। “दिल्ली विश्वविद्यालय में 25 दिसंबर 2019 को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (जिसे देश नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स के लिए अधिकृत डाटा बेस के रूप में जानता है) के बारे में दिए गए वक्तव्य में मैंने कहा था कि दिल्ली के रामलीला मैदान में 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) और डिटेंशन सेंटर नहीं होने के बारे में हम से सरासर झूठ बोला। मैंने कहा कि इस झूठ के जवाब में हम सबको मिलकर एनपीआर के लिए डाटा एकत्र करने आये लोगों को हास्यास्पद जानकारियां देनी चाहिए। दरअसल, मैंने मुस्कराते हुए एक नागरिक अवज्ञा आंदोलन का प्रस्ताव किया था।

उस समय वहां मौजूद सारे मेनस्ट्रीम टीवी चैनल मौजूद थे जिनके पास मेरे पूरे भाषण का फुटेज है। जाहिर है उन्होंने उसे प्रसारित नहीं किया। वे बस गलत अर्थ लगाकर और भाषण के बारे में झूठ बोलकर लोगों को भड़काने में जुट गये। नतीजा ये है कि मेरी गिरफ़्तारी की मांग हो रही है और टीवी चैनलों ने मेरे घर को घेर लिया है।

अच्छी बात है कि मेरा भाषण यूट्यूब पर मौजूद है। मेरा सवाल है कि क्या देश के प्रधानमंत्री का हम लोगों से झूठ बोलना सही और हमारा मज़ाक़ करना अपराध और सुरक्षा के लिए ख़तरा है? अविश्वसनीय समय! अविश्वसनीय मास मीडिया !!”

अरुंधति रॉय के डीयू में हुए कार्यक्रम को आप इस लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं : CAA: विरोध में उतरे अरुंधति और ज़ीशान

अरुंधति को सरकार के निशाने पर हैं, लेकिन दिलचस्प है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक अहम फैसला लेते हुए भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के डिटेंशन सेंटर बनाने का फैसला रद्द कर दिया है। राज्य का यह पहला डिटेंशन सेंटर नवी मुंबई के नेरुल में अवैध प्रवासियों के लिए बनाया गया था। उद्धव का यह फैसला पीएम नरेंद्र मोदी के उसी बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने डिटेंशन सेंटर को अफवाह बताया था।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते और पश्चिम बंगाल राज्य बीजेपी के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस भी अपनी पार्टी पर सीएए को लेकर अहम सवाल उठा चुके हैं। चंद्र कुमार बोस ने ट्विट कर कहा, “यदि सीएए 2019 किसी धर्म से जुड़ा नहीं है तो क्यों हम हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाइयों, पारसियों और जैन लोगों पर ही जोर दे रहे हैं। क्यों मुस्लिमों को शामिल नहीं किया जाता? हमें पारदर्शी बनना चाहिए। यदि मुस्लिमों के साथ उनके गृह देश में उत्पीड़न नहीं होगा तो वे नहीं आएंगे, इसलिए उन्हें शामिल करने में कोई नुकसान नहीं हैं।”

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।)

CAA
NRC
NPR
Arundhati Roy
Narendra modi
smriti irani
Rahul Gandhi
BJP
RSS
Delhi University

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License