NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
CAA-NRC: इटावा में लाठीचार्ज, प्रदर्शनकारियों ने पूछा- नेताओं की रैलियों पर क्यों नहीं होती कार्रवाई?
विरोध करना संवैधानिक अधिकार है, धरना प्रदर्शन में गलत क्या है? विरोध करने में क्या गलत है?’ हाल ही में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद की ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की तीस हजारी अदालत की न्यायाधीश कामिनी लाउ ने यह टिप्पणी की थी। लेकिन यही सवाल अब उत्तर प्रदेश के इटावा की महिलाएं प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से पूछ रही हैं।
सोनिया यादव
22 Jan 2020
इटावा

देश भर में संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन चल रहे हैं। दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाएं बीते 39 दिनों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही हैं। इसी तर्ज़ पर देश के कई इलाकों में महिलाओँ के नेतृत्व में आंदोलन शुरू हो गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में हो रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार 21जनवरी को इटावा की महिलाओं ने भी इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

शाम होते-होते लोगों की संख्या बढ़ने लगी। पुलिस प्रशासन ने धरना खत्म करने की चेतावनी दी, इलाके में धारा 144 का जिक्र किया। लेकिन महिलाएं अपने विरोध पर कायम रहीं। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज किया।

प्रदर्शकारी महिलाओं ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, ‘सरकार जो सीएए कानून लाई है, ये खतरनाक और विभाजनकारी है। संविधान के खिलाफ है। हम धार्मिक कानून सीएए और एनआरसी के खिलाफ पुराना अस्पताल गेट पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने हमें जबरदस्ती वहां से उठा दिया। हमारे साथ बदसुलूकी की, हमारे भाईयों को पीटा, छोटे बच्चों को तक को नहीं छोड़ा। क्या अब हमें शांतिपूर्ण प्रदर्शन का भी अधिकार नहीं है, क्या विरोध करना ग़लत है?’

विरोध कर रही महिलाओं का ये भी कहना है कि जब सरकार के मंत्री इस कानून के पक्ष में भीड़ एकत्रित कर जुलूस निकाल कर धारा 144 का उलंघन कर सकते हैं तो हम शांतिपूर्ण तरीके से इसका विरोध क्यों नहीं कर सकते हैं।

प्रदर्शन में शामिल रही राबिया ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘हमने दोपहर में धरने की शुरुआत की थी। शाम होते-होते हजारों की संख्या में लोगों का जमावड़ा हो गया। पुलिस बार-बार बोल रही थी कि धरना खत्म करो नहीं तो कार्रवाई होगी। इसके बाद भी जब हम नहीं हटे तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। लड़कों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इसके बाद महिलाओं को अपशब्द कहे, घसीट कर उन्हें धरने की जगह से आधी रात को जबरन हटाया गया। आख़िर क्या गलती थी हमारी, प्रदर्शन करना तो हमारा अधिकार है फिर ऐसी बदतमीज़ी क्यों की गई? और अगर 144 लागू होने की बात ही है तो फिर बीजेपी के मंत्री और नेता कैसे इस कानून के समर्थन में बड़ी-बड़ी रैली निकाल लेते हैं, क्या उनके लिए नियम बदल जाता है।’

ETAWAAH.PNG

इटावा के इस प्रदर्शन से जुड़े कई वीडियो भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहे हैं जिसमें पुलिसकर्मियों को घरों और दुकानों में घुसते देखा जा रहा है। वे भाग रहे प्रदर्शनकारियों की तलाश कर रहे हैं और जबरन दुकानें बंद करा रहे हैं। वीडियो में पुलिसकर्मियों को भाग रहे युवाओं पर लाठीचार्ज करते और चिल्लाते साफ देखा जा सकता है। हालांकि न्यूज़क्लिक स्वतंत्र तौर पर किसी वीडियो की सत्यता की कोई पुष्टी नहीं करता है।

इस संबंध में पुलिस ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि महिलाएं और बच्चे मंगलवार की सुबह से ही धरना दे रहे थे। देर रात धरने में बड़ी संख्या में युवा भी शामिल हो गये। पुलिस ने निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए उन्हें समझाने बुझाने का प्रयास किया। इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों नहीं हटे और पुलिस पर पथराव किया। उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हल्का बलप्रयोग करना पड़ा।

गौरतलब है कि देश भर में जारी तमाम विरोध प्रदर्शनों के बीच भले ही केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून 10 जनवरी से लागू कर दिया हो, लेकिन इसे लेकर शुरू हुआ विवाद अभी थमा नहीं है। दिन-प्रतिदिन प्रदर्शनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। छात्रों से लेकर नागरिक समाज के लोग और बुजुर्गों से लेकर छोटे बच्चे तक इस आंदोलन में शिरकत कर रहे हैं तो वहीं इसकी खास बात ये है कि इसका नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। दिल्ली के शाहीन बाग़ के धरने को हटाने और बचाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन अब ये धरना रहे न रहे, इसने अपना काम कर दिया। शाहीन बाग की बदौलत देश में कई जगह शाहीन बाग़ जैसे मोर्चे खुल गए हैं। यूपी के इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ के अलावा बिहार के गया और कोलकाता के पार्क सर्कस में भी शाहीन बाग की झलक देखने को मिल रही है।

Protest against CAA
NRC
Yogi Adityanath
UttarPradesh
Etawah
UP police

Related Stories

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

अनुदेशकों के साथ दोहरा व्यवहार क्यों? 17 हज़ार तनख़्वाह, मिलते हैं सिर्फ़ 7000...

बलिया: पत्रकारों की रिहाई के लिए आंदोलन तेज़, कलेक्ट्रेट घेरने आज़मगढ़-बनारस तक से पहुंचे पत्रकार व समाजसेवी

पत्रकारों के समर्थन में बलिया में ऐतिहासिक बंद, पूरे ज़िले में जुलूस-प्रदर्शन

यूपी: खुलेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत, आख़िर अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License