NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
CAA-NRC : महिलाओं का विरोध प्रदर्शन तेज, देश भर में बने कई नए शाहीन बाग
CAA-NRC के विरोध में चल रहे  आंदोलन का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। वो महिलाएं जिनसे सरकार और मंत्री भी खौफ़ खाते नज़र आ रहे हैं। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले भारत में 30 से ज्यादा जगहों पर महिलाएं रोज़ाना रात में सड़कों पर बैठकर धरना दे रही हैं और सरकार से बेखौफ होकर सवाल पूछ रही हैं। इन प्रदर्शनों में रोज नए इलाकों के नाम जुड़ रहे हैं।
सोनिया यादव
24 Jan 2020
CAA

नागरिकता संशोधन कानून पर सरकार भले ही एक इंच भी पीछे हटने को तैयार न हो लेकिन इसके विरोध में प्रदर्शन करने वालों के हौसले बुलंद हैं। दिन-प्रतिदिन प्रदर्शनों की संख्या में इज़ाफा हो रहा है। पुलिस लाठीचार्ज कर रही है, लोगों पर मुकदमे दर्ज कर जेलों में भर रही है, लेकिन इसके बावजूद बढ़ते विरोध को रोक नहीं पा रही है। आलम ये है कि दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर देश के कई अन्य इलाकों में महिलाओं ने इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

मोदी सरकार के मंत्री और नेता भले ही नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए और एनआरसी के विरोध को राजनीति से प्रेरित बता रहे हों लेकिन हकिकत ये है कि इस कानून के विरोध में राजनीतिक पार्टियां बहुत पीछे नज़र आती हैं। इस आंदोलन का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। वो महिलाएं जिनसे सरकार और मंत्री भी खौफ़ खाते नज़र आ रहे हैं। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले भारत में 30 से ज्यादा जगहों पर महिलाएं रोज़ाना रात में सड़कों पर बैठकर धरना दे रही हैं और सरकार से बेखौफ होकर सवाल पूछ रही हैं। इन प्रदर्शनों में रोज नए इलाकों के नाम जुड़ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, देवबंद, इटावा के बाद अब वाराणसी, आजमगढ़ और गोंडा में भी महिलाओं ने व्यापक प्रदर्शन की शुरुआत कर दी है। पुलिस और प्रशासन की तमाम चेतावनियों के बावजूद महिलाएं डटकर खड़ी हैं, आजादी के नारे लगा रही हैं और संविधान बचाने की बात कर रही हैं।
caa 1.JPG
वाराणसी के बेनियाबाग इलाके में प्रदर्शन कर रहीं शाजिया बताती हैं, ‘हम शांतिपूर्ण धरना देना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने भीड़ को देखकर भारी पुलिस बल बुला लिया और जबजस्ती लोगों को उठाने लगे। जो महिलाएं नहीं उठ रही थीं, उनके बच्चों को पुलिस उनसे अलग करने लगी। ये लोग औरतों को गालियां दे रहे थे, मारने-पीटने की बात कर रहे थे। ये कौन सा लोकतंत्र है? क्या हम अब विरोध भी नहीं कर सकते।'

आज़मगढ़ के कपूरा शाह दिवान बाग में भी महिलाओं का बड़ा विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। यहां गुरुवार 23 जनवरी से महिलाएं धरने पर बैठी हैं और सीएए को वापस लेने की मांग कर रही हैं। संविधान बचाओ संघर्ष समीति के बैनर तले हो रहे इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में ग्रामिण इलाकों से आए लोग शामिल हो रहे हैं।

मुबारकपुर कस्बे के फवाद ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, ‘सरकार कह रही है कि इस कानून से मुस्लमानों को डरने की जरूरत नहीं है, उन्हें कोई हाथ भी नहीं लगा सकता। फिर सरकार ने आखिर इस नागरिकता कानून से मुस्लमानों को ही सिर्फ अलग क्यों रखा है। क्यों सरकार धर्म के आधार पर नागरिकता बांट रही है। ये कानून पूरी तरह असंवैधानिक है, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।'

बिहार के कई छोटे-बड़े इलाकों में भी इस कानून के खिलाफ कई बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं। पटना के सब्जीबाग चौराहा, फुलवारीशरीफ, किशनगंज, काशीपुर टाकिया इमामबाड़ा सहित गया के शांति बाग, मुंगेर के अब्दुल हमीद चौक, मुजफ्फरपुर और अररिया में महिलाएं इस प्रदर्शन की अगुआई कर रही हैं।

चंदवारा की निवासी शामली बताती हैं, ‘सीएए में नागरिकता देने और लेने की बात ही नहीं है, बात संविधान की मूल भावना धर्मनिर्पेक्षता की है, बराबरी और समानता की है। आखिर सरकार एक समुदाय के लोगों को इस कानून से बाहर कर क्या साबित करना चाहती है? जब पहले से मौजूद नागरिकता कानून में किसी धर्म का जिक्र नहीं था तो नए कानून में इसकी क्या जरूरत पड़ गई?’
caa 2.JPG
उत्तराखंड के हल्दवानी में भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ आज़ादी के नारे गूंज रहे हैं। 22 जनवरी बुधवार से यहां धरना जारी है, जिसमें हर उम्र के लोग शिरकत कर रहे हैं लेकिन इसका नेतृत्व भी महिलाएं ही कर रही हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार सीएए वापस नहीं लेती है तो हल्द्वानी के ताज चौराहे को दिल्ली का शाहीन बाग बना देंगे।

हल्दवानी की उर्मिला नेगी ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘हमारी मांग है कि सरकार सीएए और एनआरसी को वापस ले। हम इसे काला क़ानून मानते हैं, ये संविधान के ख़िलाफ़ है, देश की धर्मनिरपेक्षता पर हमला है। साथ ही पड़ोसी देशों के साथ नाइंसाफ़ी भी है।'

झारखंड की राजधानी रांची और जमशेदपुर में भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ देश बचाओ आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है। डोरंडा मैदान में हजारों की संख्या में महिलाएं और नागरिक समाज के लोग रोज़ प्रदर्शन कर रहे हैं। महिलाएं धरने पर बैठ रही हैं, हाथों में सीएए और एनआरसी के विरोध की तख्तियां लहरा रहीं हैं, नारे लगा रही हैं।

रांची के प्रदर्शन में शामिल शबनम ने कहा, ‘आखिर सरकार को इस वक्त सीएए लाने की क्या जरूरत थी, क्या देश का मौजूदा कानून लोगों को नागरिकता नहीं दे रहा था? अगर कुछ कमी थी तो सरकार उसे दुरूस्त कर सकती थी, लेकिन यहां तो एक समुदाय को ही इससे बाहर कर दिया गया, जो सरकार की मंशा को साफ दिखाता है कि ये लोग अपने हिंदू राष्ट्र के ऐजेंडे को आगे बढ़ाना चाहते हैं।'

गौरतलब है कि शाहीन बाग की तर्ज पर दिल्ली के तुर्कमान गेट, सुंदरीनगर, खुरेजी, हौजरानी समेत कई छोटे- इलाकों में भी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हैदराबाद, कोलकाता में लंबे समय से विरोध की आवाज उठ रही है। आने वाले समय में शाहीन बाग का धरना रहे ना रहे लेकिन इस धरने ने देश में एक नए आंदोलन का बिगुल तो फूंक ही दिया है।

CAA Protests
Anti-NRC protest
Citizenship Amendment Act
Shaheen Bagh
CAA Protest In all over India
modi sarkar
Narendra modi
BJP

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

शाहीन बाग से खरगोन : मुस्लिम महिलाओं का शांतिपूर्ण संघर्ष !

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • Nisha Yadav
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    चंदौली: निशा यादव हत्या मामले में सड़क पर उतरे किसान-मज़दूर, आरोपियों की गिरफ़्तारी की माँग उठी
    14 May 2022
    प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा- निशा यादव का कत्ल करने के आरोपियों के खिलाफ दफ़ा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
  • Delimitation
    रश्मि सहगल
    कैसे जम्मू-कश्मीर का परिसीमन जम्मू क्षेत्र के लिए फ़ायदे का सौदा है
    14 May 2022
    दोबारा तैयार किये गये राजनीतिक निर्वाचन क्षेत्रों ने विवाद के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि विधानसभा चुनाव इस पूर्ववर्ती राज्य में अपेक्षित समय से देर में हो सकते हैं।
  • mnrega workers
    सरोजिनी बिष्ट
    मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?
    14 May 2022
    "किसी मज़दूर ने 40 दिन, तो किसी ने 35, तो किसी ने 45 दिन काम किया। इसमें से बस सब के खाते में 6 दिन का पैसा आया और बाकी भुगतान का फ़र्ज़ीवाड़ा कर दिया गया। स्थानीय प्रशासन द्वारा जो सूची उन्हें दी गई है…
  • 5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
    एम.ओबैद
    5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
    14 May 2022
    सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में किए गए सर्वेक्षण में 5 वर्ष से कम उम्र (6-59 महीने) के 58.6 प्रतिशत बच्चे इससे ग्रसित थे जबकि एनएफएचएस-5 के 2019-21 के सर्वे में इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की…
  • masjid
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद: कड़ी सुरक्षा के बीच चार तहखानों की वीडियोग्राफी, 50 फीसदी सर्वे पूरा
    14 May 2022
    शनिवार को सर्वे का काम दोपहर 12 बजे तक चला। इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के करीब आधे हिस्से का सर्वे हुआ। सबसे पहले उन तहखानों की वीडियोग्राफी कराई गई, जहां हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License