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मुज़फ़्फ़रनगर : ..मेरठ के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और पुलिस ने रास्ते में ही दफ़्न करा दिया
सीएए को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पुलिस ज़्यादती की ख़बरें मिल रहीं हैं। मुज़फ़्फ़रनगर में भी दहशत का माहौल है। मुज़फ़्फ़रनगर से लौटकर अमित सिंह की विशेष रिपोर्ट
अमित सिंह
24 Dec 2019
muzaffarnagar violence

मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश): नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शुक्रवार को हुए प्रदर्शन के दौरान मारे जाने से एक दिन पहले ड्राइवर नूर मोहम्मद डेढ़ साल की बेटी के लिए कुछ ऊनी कपड़े और छह महीने की गर्भवती पत्नी के लिए कुछ सूखे मेवे लाए थे।

चूंकि, अगले दिन शुक्रवार (20 दिसंबर) को वाहन चलाने की कोई बुकिंग नहीं थी, इसलिए वह देर से सोकर उठे और मस्जिद में नमाज अदा करने चले गए। पास की एक मस्जिद में नमाज़ अदा करने के बाद वह भारी भीड़ के साथ मीनाक्षी चौक पर विवादास्पद कानून के खिलाफ विरोध दर्ज कराने गए।

ये भीड़ मीनाक्षी चौक से कलेक्ट्रेट की तरफ बढ़ने लगी। लेकिन तभी कुछ असामाजिक तत्वों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इससे पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। नतीजतन, सुरक्षा बलों ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए भीड़ पर लाठीचार्ज किया। आंदोलनकारियों की पिटाई की गई और मीनाक्षी चौक पर वापस धकेल दिया गया, जहां कुछ गोलियां भी चलाई गईं।

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उसमें से एक गोली नूर मोहम्मद के माथे पर लगी और वह जमीन पर गिर गए। उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। मेडिकल कॉलेज ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

परिवार वालों के मुताबिक पुलिस ने कथित तौर पर मृतक के शरीर को मुजफ्फरनगर के खालापार इलाके में ले जाने की अनुमति नहीं दी। जहां नूर मोहम्मद का घर है। पुलिस का कहना है कि इससे सांप्रदायिक माहौल खराब होगा।

मृतक के बड़े भाई मोहम्मद उमर ने न्यूज़क्लिक को बताया, “हमें मृत शरीर भी बड़ी मुश्किल से सौंपा गया। हम अनपढ़ और गरीब हैं। पुलिस सबसे पहले शव को मेरठ जिले के सरधना शहर में दफनाने के लिए ले गई। लेकिन प्रशासन ने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद शव को मेरठ जिले के दौराला में ले जाया गया, जहाँ अंतिम संस्कार किया गया। ”

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कोई पुलिस शिकायत दर्ज की है, उन्होंने कहा कि उन्हें इस दावे के लिए कोई मेडिकल रिपोर्ट भी नहीं सौंपी गई। ड्राइवर नूर मोहम्मद का भाई उमर एक स्थानीय होटल में बर्तन साफ करके जीवन यापन करते हैं। उमर भी उस समय घटनास्थल पर थे जब उनके भाई को गोली लगी थी। उन्होंने बताया, 'हम गरीब लोग हैं। हमें कानूनी रूप से ज्यादा जानकारी नहीं है। हमें पुलिस में जाने से डर लगता है। हमें गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे भेजा जा सकता है। हमारे बचाव के लिए कौन आएगा। हम परिवार के रोटी पानी का जुगाड़ करने वाले एक सदस्य को पहले ही खो चुके हैं। अगर मुझे गिरफ्तार कर लिया जाता है, तो परिवार की देखभाल कौन करेगा? नूर की पत्नी गर्भवती है तो उसकी कौन देखभाल करेगा?”

हालांकि स्थानीय मीडिया के मुताबिक मुजफ्फरनगर पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस ने यह भी दावा किया कि पुलिस की तरफ से कोई फायरिंग नहीं हुई थी। पुलिस का यहां तक कहना है कि शिकायत में परिजनों ने कहा है कि उनके बेटे को भीड़ ने गोली मारी है।

इसी तरह खालापार मोहल्ले में रहने वाले हाजी अनवर इलाही के घर में पुलिस ने शुक्रवार देर रात  रेड डाली और 75 वर्षीय हाजी अनवर इलाही को उठाकर ले गई। रविवार को हाजी अनवर इलाही पुलिस हिरासत से छूटकर आए। पुलिस पर आरोप लगाते हुए वे कहते हैं, 'शुक्रवार देर रात कुछ वर्दीधारी और कुछ सादी वर्दी में पुलिस वाले घर में घुस आते हैं और पूरे घर में तोड़फोड़ करते हैं। साथ ही गहने और कुछ नगद पैसे भी ले जाते हैं। मेरी दो बेटियों की शादी जल्द होने वाली थी। उसकी पूरी तैयारी थी। सारा समान पुलिस वाले बर्बाद कर देते हैं और मुझे हिरासत में ले लेते हैं।'

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इलाही की पत्नी हजन फखरा ने कहा, ‘सब कुछ नष्ट करने के बाद वे दो बेटियों की शादी के लिए हमारे पास रखे गहने उठा ले गए। हमने इतना डर 2013 में हुए दंगों के समय भी नहीं महसूस किया था।'

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पुलिस द्वारा की जा रही इस तोड़फोड़ और गिरफ्तारी से इलाके में दहशत का माहौल है। इतना ही नहीं पुलिस ने करीब 67 दुकानों को सील कर दिया है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक प्रशासन का कहना है कि मीनाक्षी चौक के दुकानदारों ने उपद्रवियों को सहयोग किया। इन दुकानदारों से नुकसान की भरपाई कराई जाएगी। उन्हें नोटिस भेज दिया जाएगा।

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हालांकि दुकानदार इसे अपने उपर अत्याचार बता रहे हैं। उनका कहना है कि मीनाक्षी चौक पर शुक्रवार को हुए बवाल के दौरान भी बड़ी संख्या में कार और दोपहिया वाहनों में आग लगाई गई थी और दुकानों में लूटपाट की गई थी। अब पुलिस उपद्रवियों को पकड़ने के बजाय उनपर ही कार्रवाई कर रही है।

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मीनाक्षी चौक पर मोबाइल शॉप चलाने वाले समीर बताते हैं, 'शुक्रवार को हमारी शॉप बंद थी लेकिन उपद्रवियों ने दुकान में घुसकर तोड़फोड़ की थी। बड़ी संख्या में मोबाइल चोरी किए गए। करीब सात से आठ लाख का नुकसान हुआ है। हमने इसकी तहरीर दी है। अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।'

कुछ ऐसा ही कहना पड़ोस में फूल की दुकान चलाने वाले राशिद का है। राशिद ने बताया कि हमारी दुकान भी शुक्रवार को प्रदर्शन हिंसक हो जाने के बाद जला दी गई थी। पुलिस में हमने शिकायत दे दी है लेकिन अभी तक एफआईआर नहीं दर्ज की गई है।

इस मामले को लेकर स्थानीय कांग्रेस नेता सलमान सईद कहते हैं, 'मेरी जानकारी के मुताबिक मीनाक्षी चौक पर प्रदर्शन शांतिपूर्ण चल रहा था। लेकिन कुछ उपद्रवी तत्वों के आने के बाद प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस दौरान मेरी दो गाड़ियां जला दी गई है। ये काम यहां कम्यूनल माहौल पैदा करने के लिए किया गया है। आज पूरे देश में एनआरसी और सीएए को लेकर हिंदू मुसलमान साथ हैं वो लोग इसे तोड़ना चाहते हैं। यहां भी भीड़ में पत्थरबाजी उन तत्वों ने की जिन्हें इस पूरे मसले को हिंदू मुसलमान में बांटकर वोट हासिल करना है।'

आपको बता दें कि शुक्रवार को हुए प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में लोग चोटिल भी हुए हैं। हालांकि पुलिसिया दमन, बड़ी संख्या में हो रही गिरफ्तारी और धरपकड़ के चलते लोग दहशत में जी रहे हैं।

पुलिस ने इस पूरे मामले में 258 लोगों पर नामजद एफआईआर की है। वहीं, छह हजार से ज्यादा अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों की फोटो का कोलॉज जारी किया गया है। कोलॉज में कुल 24 लोगों के फोटो शामिल हैं।

वहीं, इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय मीडिया से एसएसपी अभिषेक यादव का कहना है कि शुक्रवार को हुए बवाल के मामले में किसी भी बेकसूर को जेल नहीं भेजा जाएगा। हिंसक प्रदर्शन के बाद लोगों में गिरफ्तारी को लेकर भय व्याप्त है, लेकिन उन्हें इससे घबराने की कतई जरूरत नहीं है। पुलिस के पास उपद्रवियों के फोटो व वीडियो फुटेज हैं, जिनके आधार पर उन्हें चिह्नित किया जा रहा है। कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है, जिनके बवाल में शामिल होने की पुष्टि की जा रही है।

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