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भारत
राजनीति
सीएबी का विरोध जारी : पत्रकार शिरीन दलवी ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार
हाल ही में जानी-मानी उर्दू पत्रकार और मैगज़ीन "अदबनामा" की एडिटर शिरीन दलवी ने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है, जो उन्हें 2011 में दिया गया था।
आईसीएफ़
12 Dec 2019
शिरीन दलवी
Image courtesy Newslaundry

नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसम्बर को राज्य सभा में पास हो गया है। लेकिन देश भर में इसका विरोध जारी है। छात्र संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों एवं सिविल सोसाइटी के बाशिंदों ने लगातार प्रदर्शन कर इस बिल का विरोध किया है और लगातार कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि नागरिक संशोधन विधेयक असंवैधानिक है और ये देश की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति पर हमला है।

इसी कड़ी में हाल ही में जानी-मानी उर्दू पत्रकार और मैगज़ीन "अदबनामा" की एडिटर शिरीन दलवी ने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है, जो उन्हें 2011 में दिया गया था।

उन्होंने एक बयान जारी करते हुए कहा:

 "मैं इस बात से हताश और हैरान हूँ कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सीएबी को पास कर दिया, ये बिल हमारे संविधान और धर्मनिरपेक्षता पर हमला है। इस अमानवीय कृत्य का विरोध करते हुए मैं अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा रही हूँ जो मुझे 2011 में साहित्यिक योगदानों के लिए दिया गया था। ये बिल सरासर ना-बराबरी और ना-इंसाफ़ी करता है।

मैं अपना समान लौटा कर अपने लोगों और धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के लिए लड़ रहे लोगों के साथ खड़ी हो रही हूँ। हम सबको अपने संविधान और अपने गंगा-जमुनी तहज़ीब को बचाने के लिए एक साथ खड़ा होना होगा।"

शिरीन दलवी हिंदुस्तान की इकलौती महिला हैं जो उर्दू की एडिटर हैं। इंडियन कल्चरल फ़ोरम से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इस बिल में ग़ैर मुल्की ईसाई, बुद्धिस्ट, जैन वगैरह समुदाय के लोगों को ये सहूलत दी गई है कि अगर वो 6 साल से यहाँ रह रहे हैं तो वो यहाँ की शहरियत के लिए दरख़्वास्त कर सकते हैं, लेकिन इसमें मुसलमानों का नाम नहीं है। तो ये मामला सिर्फ़ मुस्लिम क़ौम के साथ है कि उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा या गिरफ़्तार कर लिया जाएगा। हम इसके ख़िलाफ़ नहीं हैं कि दूसरी क़ौमों को शहरियत दी जा रही है, लेकिन सिर्फ़ मुस्लिम क़ौम के साथ ना-इंसाफ़ी क्यों हो रही है? उन्हें भी इस मुल्क में रहने का बराबर का हक़ है।"

पत्रकार शिरीन दलवी ने ये भी कहा कि आज कल जो चीज़ें हो रही हैं, उसकी सारी हक़ीक़त हम तक नहीं पहुँच पाते हैं, होता कुछ है बताया कुछ और जाता है।

शिरीन दलवी अपने इस बयान और अपने इस क़दम के मुताल्लिक़ आज शाम को दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने वाली हैं।

नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी को असंवैधानिक, अमानवीय बताते हुए देश भर में प्रदर्शन चल रहे हैं। अकेले असम में छात्र संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और इस बिल को वापस लेने की मांग सरकार से कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री का संदेश किसके लिए?

सीएबी के मुताल्लिक़ आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के नागरिकों के लिए एक संदेश ट्वीट कर कहा है कि वो सीएबी को लेकर निश्चिंत रहें। आपको ये बता दें कि असम के 10 ज़िलों में इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गई हैं और उस राज्य का हाल भी वैसा ही है जैसा 5 अगस्त के बाद से कश्मीर का है, जब वहाँ अनुच्छेद 370 ख़त्म कर दिया गया था।

विभिन्न सामाजिक संगठनों, अभिनेताओं, कलाकारों और अन्य लोगों ने सीएबी का विरोध करते हुए अपने बयान जारी किए हैं और मोदी सरकार के इस फ़ैसले का भरसक विरोध किया है।

इंडियन कल्चरल फ़ोरम इस बिल को असंवैधानिक और अमानवीय क़रार देता है। और इस बिल को देश के अल्पसंख्यकों पर, देश की धर्मनिरपेक्ष और गंगा-जमुनी तहज़ीब पर हमला मानता है।

CAB
Citizenship Amendment Bill
CAB Protests
journalist Shirin Dalvi
Returns Sahitya Academy Award
Amit Shah
Narendra modi

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