NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सीटू ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर लिखा श्रम मंत्रालय को पत्र : ‘केंद्र के दावों का कड़ाई से कराएं अनुपालन’
कामगारों को एक तरफ निर्माण स्थल पर बेहद तंग जगह पर रहने को मजबूर किया जा रहा है, दूसरी तरफ परियोजना के एक सब-कान्ट्रैक्टर-गर्ग बिल्डर-द्वारा काम पर रखे गए मज़दूरों ने मार्च से ही मजदूरी न मिलने का आरोप लगाया है। यह खुलासा हालिया जांच-रिपोर्ट में हुआ है।
रौनक छाबड़ा
05 Jun 2021
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
छवि सौजन्य: दि इंडियन एक्सप्रेस 

भारतीय व्यापार संघों का केंद्र (सीटू) ने बृहस्पतिवार (3 जून) को केंद्रीय श्रम मंत्रालय को एक पत्र लिख कर राष्ट्रीय राजधानी में सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास में श्रम अधिकारों एवं आपदा प्रबंधन कानून के “बुनियादी सिद्धांतों” के हो रहे “घोर उल्लंघन” में उनसे दखल देने में मांग की है। 

सीटू ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार को लिखे अपने पत्र में कहा है, “…केंद्र सरकार ने कार्यस्थल पर सभी कामगारों के लिए स्वच्छता, थर्मल स्क्रीनिंग, उनके एकांतवास के लिए प्रबंध, कोरोना की जांच का प्रबंध सुनिश्चित करने और सबसे बढ़कर, ठेकेदार द्वारा उन कामगारों का स्वास्थ्य बीमा भी कराए जाने का दावा किया है। किंतु कुछ (मीडिया) रिपोर्टस कहती हैं कि व्यावहारिक स्तर पर इस तरह की वहां कोई सुविधा नहीं दी गई है।” 

ट्रेड यूनियन अपने पत्र में पिछले महीने स्क्रॉल द्वारा की गई जांच रिपोर्ट का हवाला दे रही थी, जिसमें सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में लगे तीन कामगारों के कोरोना से संक्रमित होने की खबर दी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य कामगारों ने मेहनताने में विलंब किए जाने और कार्यस्थल पर रहन-सहन की खराब व्यवस्था को लेकर अपनी शिकायत की थी।

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के अंतर्गत नई दिल्ली में राजपथ और इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन के आसपास की लॉन पर निर्माण का काम चल रहा है। नई संसद की इमारत, उनके पीठासीन अधिकारियों, और प्रधानमंत्री एवं उपराष्ट्रपति के लिए नए आवासीय परिसर बनाने के लिए 20,000 करोड़ की यह परियोजना है। इसमें कार्यालय के लिए नई इमारतें और विभिन्न मंत्रालयों के मंत्रियों के लिए दफ्तर बनाए जाएंगे।

इस हफ्ते के पहले, सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर दिल्ली उच्च न्यायालय के 31 मई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान सेंट्रल विस्टा की जारी सभी गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग खारिज कर दी गई थी। 

नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा था कि कोविड-19 की निर्धारित गाइडलाइन के मुताबिक ही कार्यस्थल पर कामगारों को रखा जा रहा है और सभी कामगारों का ठेकेदार द्वारा स्वास्थ्य बीमा कराया गया है। 

हालांकि, मीडिया रिपोर्टें इस बारे में एक अलग ही कहानी कहती है। स्क्रॉल की छानबीन के मुताबिक जबकि कामगारों बेहद तंग जगह में रहने पर मजबूर किया जा रहा है, उप-ठेकेदार-गर्ग बिल्डिंग-द्वारा काम पर रखे गए कामगारों को मार्च से ही उनके मेहनताने का भुगतान नहीं किया गया है। 

इस परियोजना का विकासकर्ता केंद्रीय लोक कार्य विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) है, जिसने शपूरजी पलोनजी एंड कम्पनी प्राइवेट लिमिटेड को इस काम का ठेका दिया है, जिसने इस काम का ठेका अन्य कंपनियों को दिया है। 

बृहस्पतिवार को सीटू ने श्रम मंत्रालय से इस बारे में, सीपीडब्ल्यूडी से पूछताछ करने के लिए कहा, जो एक “मुख्य-नियोजक” है और अपनी निरीक्षण-सह-सुविधाएं मशीनरी के जरिए यह पता लगाने को कहा कि “क्या कॉन्ट्रैक्टर अपने बुनियादी वैधानिक दायित्वों को पूरा कर रहे हैं या नहीं”। सीटू ने यह भी मांग की कि वह केंद्र द्वारा न्यायालय में किए गए दावों का कार्यस्थल पर “कड़ाई से अनुपालन” कराए। 

सीटू, दिल्ली के महासचिव अनुराग सक्सेना ने शुक्रवार को न्यूजक्लिक से बातचीत में कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में लगे कामगारों की हालत की जांच राज्य ईकाई द्वारा और स्वतंत्र रूप से भी कराई जाएगी। 

सक्सेना ने आगे कहा, “आनेवाले दिनों में, हम इस बात की भी तसदीक करेंगे कि ये निर्माण कामगार दिल्ली वेल्फेयर बोर्ड के साथ निबंधित किए गए हैं या नहीं। यदि उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है तो हम इसकी मुहिम शुरू करेंगे।”

प्रत्येक राज्य के पास निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड है, यह शासी निकाय है, जिसका काम निर्माण-कार्य में लगे श्रम-बल का कल्याण सुनिश्चित करना है। कानून के मुताबिक, नियोजक से, अपवाद को छोड़ कर, यह अपेक्षा की जाती है कि वह कल्याण उप कर का भुगतान करे, जो उस परियोजना की निर्माण-लागत के 1 प्रतिशत से कम होना चाहिए।

कल्याण बोर्ड से लाभ पने के लिए एक निर्माण कामगार का कल्याण बोर्ड का सक्रिय सदस्यता होना एक पूर्व शर्त है। बोर्ड के सक्रिय सदस्य को मिलने वाले लाभों में चिकित्सा सहायता, मातृका अवकाश के दिनों का भुगतान, आदि शामिल हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

CITU Writes to Labour Ministry Over Central Vista Project: ‘Ensure Strict Adherence to Centre’s Claims’

Centre of Indian Trade Union
Central Vista Project
Central Public Works Department
Workers rights
construction workers
Construction Workers Welfare Board
Medical Insurance for Workers
social security

Related Stories

वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद

भारत को राजमार्ग विस्तार की मानवीय और पारिस्थितिक लागतों का हिसाब लगाना चाहिए

लंबे संघर्ष के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायक को मिला ग्रेच्युटी का हक़, यूनियन ने बताया ऐतिहासिक निर्णय

मुद्दा: नई राष्ट्रीय पेंशन योजना के ख़िलाफ़ नई मोर्चाबंदी

एनपीएस की जगह, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग क्यों कर रहे हैं सरकारी कर्मचारी? 

उत्तर प्रदेश में स्कीम वर्कर्स की बिगड़ती स्थिति और बेपरवाह सरकार

निर्माण मज़दूरों की 2 -3 दिसम्बर को देशव्यापी हड़ताल,यूनियन ने कहा- करोड़ों मज़दूर होंगे शामिल

आज़ादी अमृतोत्सव: बीजेपी आज़ादी के मायने जानती है ?

दिल्ली: प्रदूषण हो या कोरोना, पहली मार निर्माण मज़दूरों पर ही क्यों?

ओएफबी: केंद्र के ‘कड़े’ अध्यादेश के ख़िलाफ़ रक्षा महासंघों ने अखिल भारतीय काला दिवस मनाने का फ़ैसला किया


बाकी खबरें

  • भाषा
    महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया
    19 May 2022
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद, औरंगाबाद के…
  • मो. इमरान खान
    बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’
    19 May 2022
    रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की…
  • वी. श्रीधर
    भारत का गेहूं संकट
    19 May 2022
    गेहूं निर्यात पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये से सरकार के भीतर संवादहीनता का पता चलता है। किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की ज़िद के कारण गेहूं की सार्वजनिक ख़रीद विफल हो गई है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन
    19 May 2022
    संयुक्त अरब अमीरात में प्रोटोकॉल की ज़रूरत से परे जाकर हैरिस के प्रतिनिधिमंडल में ऑस्टिन और बर्न्स की मौजूदगी पर मास्को की नज़र होगी। ये लोग रूस को "नापसंद" किये जाने और विश्व मंच पर इसे कमज़ोर किये…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी 
    19 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,364 नए मामले सामने आए हैं, और कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 29 हज़ार 563 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License