NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
परीक्षकों पर सवाल उठाने की परंपरा सही नहीं है नीतीश जी!
पिछले दिनों नीति आयोग ने देश के विभिन्न जिलास्तरीय अस्पतालों की कार्यक्षमता को लेकर एक रैंकिंग जारी की थी। इस रैंकिंग में बिहार सबसे पीछे है, यहां प्रति एक लाख की आबादी पर सिर्फ 6 बेड हैं। जबकि राष्ट्रीय औसत 24 बेड का है। इस रैंकिंग को सकारात्मक संदर्भ में लेने के बजाय सीएम नीतीश कुमार ने नीति आयोग की रैंकिंग पर ही सवाल उठा दिये।
पुष्यमित्र
13 Oct 2021
Nitish kumar
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फोटो-पीटीआई)

“पूरे देश को एक ही प्रकार मानकर रैंकिंग करना एक विचित्र बात है। नीति आयोग के अध्ययन करने का तरीका ठीक नहीं है। सरकार नीति आयोग को जवाब भेज रही है और अगली बार जब भी बैठक होगी मैं अपनी बात नीति आयोग के सामने रखूंगा।”

यह टिप्पणी किसी और की नहीं बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की है, जो उन्होंने पिछले दिनों तक की थी, जब नीति आयोग की एक रैंकिंग में बिहार आखिरी पायदान पर नजर आया था। दरअसल पिछले दिनों नीति आयोग ने देश के विभिन्न जिलास्तरीय अस्पतालों की कार्यक्षमता को लेकर एक रैंकिंग जारी की थी। इस रिपोर्ट में एक जगह जब प्रति लाख लोगों पर अस्पताल बेड का जिक्र आया तो पाया गया कि इस रैंकिंग में बिहार सबसे पीछे है, यहां प्रति एक लाख की आबादी पर सिर्फ छह बेड हैं। जबकि राष्ट्रीय औसत 24 बेड का है। इस रैंकिंग को सकारात्मक संदर्भ में लेने के बजाय सीएम नीतीश कुमार ने नीति आयोग की रैंकिंग पर ही सवाल उठा दिये। उन्होंने कहा कि बिहार जैसे गरीब राज्य की तुलना महाराष्ट्र जैसे अमीर राज्य से करना गलत है। नीति आयोग को पिछड़े राज्यों को एक कैटेगरी में रखकर और विकसित राज्यों को दूसरी कैटेगरी में रखकर रैंकिंग करना चाहिए।

ऐसा पहली दफा नहीं हुआ है। इससे सिर्फ एक हफ्ते पहले बिहार सरकार के योजना विकास मंत्री ने नीति आयोग की सतत विकास सूचकांक वाली एक दूसरी रैंकिंग पर सवाल खड़े किये थे। जून, 2021 को जारी उस रैंकिंग में भी बिहार कई मानकों पर सबसे पिछड़ा नजर आ रहा था। सितंबर महीने के आखिरी हफ्ते में इस रैंकिंग पर टिप्पणी करते हुए बिहार के योजना विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा है कि बिहार ने सड़क, पुल-पुलिया से लेकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी की है, जबकि गरीबी घटाने जैसे मामले में भी राज्य ने काफी प्रगति की है। नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में राज्य की प्रगति को शामिल नहीं किया है और यह बिहार के साथ न्याय नहीं माना जा सकता।

ये भी पढ़ें: नीतीश सरकार ने विकास के नाम पर चलवा दिया बुलडोज़र, बेघर हुए सैकड़ों ग़रीब

इस मुद्दे पर बोलते वक्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव की नाराजगी इतनी थी कि उन्होंने कहा, बिहार विशेष राज्य का दर्जा मांगते-मांगते थक गया है, अब वह इस मांग को वापस ले रहा है। अब वह अपने लिए स्पेशल पैकेज चाहता है। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया कि वे बिहार के विशेष राज्य वाली मांग को वापस नहीं ले रहे, मांग जारी रहेगी।

ये तमाम उदाहरण बताते हैं कि बिहार सरकार ने इन दिनों नयी परिपाटी शुरू की है। वह मानकों पर पिछड़े होने की वजह को समझने और उसका समाधान करने के बदले उल्टे नीति आयोग पर सवाल खड़े कर रही है और उसे नये मानक गढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है। दोनों मामलों में बहुत साफ समझ आता है कि यह सिर्फ झल्लाहट और मामले को डाइवर्ट करने की कोशिश है। नीतीश कुमार और उनकी पार्टी पिछले 15-16 वर्षों से बिहार में लगातार सत्ता में है, इसके बावजूद राज्य किसी रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन करता नजर नहीं आ रहा तो यह उसकी कार्यप्रणाली की चूक है। इसके लिए नीति आयोग को दोष देना गलत परंपरा की शुरुआत करना है।

विरोध के तर्क भी गलत हैं। नीति आयोग ने जो सतत विकास सूचकांक की रैंकिंग जारी की है, उसमें सड़क, पुल-पुलिये और बिजली के विकास को शामिल नहीं किया जाता। ये सतत विकास लक्ष्य नीति आयोग ने तय नहीं किये हैं, इन्हें यूनेस्को ने ही पूरी दुनिया के लिए तय किया है। 

अब दुनिया सड़कों और पुल-पुलियों के निर्माण को ही विकास नहीं मानती। वह लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, आजीविका को विकास मानती है। वह भूख और गरीबी खत्म करने की बात करती है, वह स्वच्छता, असमानता को खत्म करने, लैंगिक समानता बहाल करने और शांति स्थापित करने को भी सतत विकास का हिस्सा मानती है। उसमें उद्योग और अधोसंरचना का एक ही बार जिक्र है। प्रमुखता समानता, स्वतंत्रता और पर्यावरण जैसे मुद्दों को है। अगर आपको लगता है कि इसमें ज्यादा से ज्यादा सड़कों, पुल-पुलियों की बात होनी चाहिए तो आप दुनिया के हिसाब से गलत सोचते हैं।

इसी तरह नीति आयोग की जिलास्तरीय अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाओं वाली रैंकिंग देश के सभी जिलों में सदर अस्पतालों के रूप में संचालित होने वाले सरकारी अस्पतालों के काम-काज का लेखा-जोखा है। इसमें क्यों विकसित जिले और पिछड़े जिले की अलग रैंकिंग होनी चाहिए यह बात समझ से परे है। इस रिपोर्ट में अलग-अलग कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराने के एक मामले में इसमें सहरसा के सदर अस्पताल के काम-काज की सराहना भी हुई है। मगर उसका जिक्र कम हुआ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीधे इसके मानकों पर ही सवाल उठा दिये।

ये भी पढ़ें: बिहार: वायरल फीवर की चपेट में बच्चे, कोविड और चमकी बुखार की तरह लाचार हेल्थ सिस्टम

सच तो यह है कि ये रैंकिंग उनके पूरे कैरियर पर सवाल हैं। 15-16 साल तक बिहार की सत्ता के केंद्र में रहने और खुद को सुशासन बाबू का तमगा देने के बावजूद वे राज्य को 2005 की स्थिति से बहुत कम बेहतर कर पाये हैं। राज्य को जिस डायनैमिक डेवलपमेंट की जरूरत थी, वह उनसे हो नहीं पाया। अब वे अपनी इस चूक को वाजिब साबित करने के लिए रैंकिंग औऱ मानकों पर सवाल उठा रहे हैं। यह गलत परंपरा है। बेहतर होता कि वे इससे सबक लेते, अपनी कमियां समझते और जो चूक रह गयी है, उसे सुधारने की कोशिश करते।

यह भाजपा के लिए भी आत्मावलोकन का अवसर है, जो 2005 से लेकर अब तक ज्यादातर वक्त बिहार की सत्ता में शामिल रही है। 2014 से केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा सत्ता में है। पीएम इसे डबल इंजन की सरकार कहते हैं, मगर यह डबल इंजन की सरकार भी बिहार की गाड़ी को गतिमान नहीं बना पा रही।

(लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

ये भी पढ़ें: नीति आयोग की रेटिंग ने नीतीश कुमार के दावों की खोली पोल: अरुण मिश्रा

 

Bihar
Bihar government
development
Nitish Kumar
nitish sarkar
nitish govt
Nitish Kumar Government

Related Stories

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक

विचार-विश्लेषण: विपक्ष शासित राज्यों में समानांतर सरकार चला रहे हैं राज्यपाल

क्या बिहार उपचुनाव के बाद फिर जाग सकती है नीतीश कुमार की 'अंतरात्मा'!

विकासशील देशों पर ग़ैरमुनासिब तरीक़े से चोट पहुंचाता नया वैश्विक कर समझौता

खोज़ ख़बर: गंगा मइया भी पटी लाशों से, अब तो मुंह खोलो PM

बिहार में सुशासन नहीं, गड़बड़ियों की है बहार!

बिहार में क्रिकेट टूर्नामेंट की संस्कृति अगर पनप सकती है तो पुस्तकालयों की क्यों नहीं?

स्मृतिशेष: गणेश शंकर विद्यार्थी एक प्रतिबद्ध कम्युनिस्ट

राजनीति भले ही नई हो, क़ीमत तो अवाम ही चुकाएगी


बाकी खबरें

  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • hardik patel
    भाषा
    हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया
    18 May 2022
    उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्यागपत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
  • perarivalan
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया
    18 May 2022
    उम्रकैद की सज़ा काट रहे पेरारिवलन, पिछले 31 सालों से जेल में बंद हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद उनको कभी भी रिहा किया जा सकता है। 
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि
    18 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 17 फ़ीसदी मामलों की बढ़ोतरी हुई है | स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटो में कोरोना के 1,829 नए मामले सामने आए हैं|
  • RATION CARD
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी
    18 May 2022
    लखनऊ: ऐसा माना जाता है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे मुफ्त राशन वित
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License