NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
स्वास्थ्य
भारत
अंतरराष्ट्रीय
कोविड-19: हालिया अध्ययन के मुताबिक वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा स्मृति आठ महीनों तक कायम रहती है
इस अध्ययन में पाया गया है कि पहले संक्रमण के बाद कुछ स्मृति घटक आठ महीनों तक खुद को जीवित रख पाने में कामयाब रहे।
संदीपन तालुकदार
09 Jan 2021
कोरोना वायरस

हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी भी वायरस, बैक्टीरिया या फंफूद के खिलाफ एक अनवरत संघर्षशील योद्धा के तौर पर कार्य करने में सक्षम है, जो हमारे लिए नुकसानदेह भी साबित हो सकती है। ऐसे हानिकारक रोगजनक एजेंटों से लड़ने के दौरान हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कई तरीकों से खुद को प्रशिक्षित करती रहती है। ऐसा ही एक तरीका किसी खास रोगजनक के खिलाफ स्मृति को निर्मित करने का भी है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली का पहले भी एक बार मुकाबला हो चुका हो। इस प्रकार की प्रतिरक्षाविज्ञानी स्मृति द्वारा जब कभी भी विशिष्ट रोगजनक शरीर में दोबारा से प्रवेश करता है, तो यह प्रतिरक्षा प्रणाली को तत्काल प्रतिक्रिया करने में मदद पहुँचाने का काम करती है।

इस किस्म की प्रतिरक्षा स्मृति को विकसित करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली, विभिन्न घटकों को इस्तेमाल में लाती है। इनमें से जिन चार महत्वपूर्ण घटकों को इस्तेमाल में लाया जाता है, वे हैं एंटीबॉडी इम्युनोग्लोबुलिन जी(आईजीजी), मेमोरी बी सेल (प्राथमिक संक्रमण के बाद बनने वाली एक उप-कोशिका), मेमोरी टी सेल (एंटीजन-विशिष्ट टी कोशिकाएं, जो संक्रमण को नष्ट किये जाने के बाद भी लंबे समय तक जीवित रहती हैं) और सीडी4+ एवं सीडी8+ कोशिकाएं।  

विशिष्ट रोगजनक को नष्ट करने के लिए एंटीबाडीज खुद को आपस में जोड़कर इसके विरुद्ध कार्य करती हैं। रोगजनक के खिलाफ निर्मित होने वाली एंटीबाडीज इस रोगजनक के बारे में सूचना संग्रहित करके रखती हैं और जब कभी रोगजनक शरीर में दोबारा से प्रवेश करता है तो ये तत्काल से सक्रिय हो जाते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली के भीतर मौजूद इस प्रकार की कोशिकाएं मेमोरी बी सेल्स हैं जो दशकों तक किसी रोगजनक के बारे में जानकारियों को संग्रहित करके रख सकती हैं। रोगजनक के शरीर में दोबारा से प्रवेश की सूरत में ये उनके खिलाफ त्वरित कार्यवाई को अंजाम देने में सक्षम होती हैं।

जबकि मेमोरी टी कोशिकाएं दो प्रकार की होती हैं, जिन्हें सहायक मेमोरी टी कोशिकाएं या सीडी4+ मेमोरी टी कोशिकाएं और टी कोशिकाएं या सीडी8+ मेमोरी टी कोशिकाओं के नाम से जाना जाता है। ये टी कोशिकाएं रोगजनक विशिष्ट होती हैं और किस रोगजनक के खिलाफ ये कारगर साबित हुई थीं, इसे याद रखती हैं। जब कभी रोगजनक शरीर में दोबारा से प्रविष्ठ करता है, तो ये दोनों प्रकार की मेमोरी टी कोशिकाएं उसके खिलाफ तत्काल प्रभाव से सक्रिय हो जाती हैं।

 इस बारे में 8 जनवरी को साइंस  में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में एसएआरएस-सीओव-2 के मामले में मौजूद रोगजनक कोविड-19 से उपजी महामारी के पीछे के उन सभी स्मृति घटकों का विश्लेषण किया गया है। इस अध्ययन में पाया गया कि इनमें से कुछ स्मृति घटक संक्रमण के आठ महीने बाद तक जीवित बने हुए थे। 

वायरस स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ निर्मित होने वाली आईजीजी एंटीबाडी, संक्रमण के छह माह बाद भी स्थिर पाई गई थी। वहीं मेमोरी बी कोशिकाएं संक्रमण के एक महीने बाद जितनी तादाद में मौजूद थीं, उसके छह महीने बाद उससे भी अधिक प्रचुर मात्रा में पाई गईं थीं।

इस अध्ययन में कहा गया है कि सीडी4+ टी सेल्स जो स्मृति को संरक्षित करने में सक्षम हैं, वे जब कभी दूसरी बार संक्रमण होता है तो त्वरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्पन्न करने में सक्षम हैं। इसी प्रकार से अन्य प्रकार की टी कोशिका जिसमें हत्यारी टी कोशिकाएं या सीडी8+ टी कोशिकाएं भी स्मृति को बरक़रार रखने में सक्षम हैं, और किसी भी कोशिका को नष्ट कर सकती हैं जो वायरस से दोबारा संक्रमित हो गया हो।

इस अध्ययन के सह-लेखक एवं अमेरिका के ला जोला इंस्टीट्यूट फॉर इम्युनोलॉजी के जाने-माने प्रतिरक्षाविज्ञानी प्रोफेसर अलेसांद्रो सेट्टे ने अपने बयान में कहा: “हमारे आँकड़े इस बात का इशारा करते हैं कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है और यह बनी रहने वाली है। यह सच है कि समय के साथ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कुछ हद तक घटने लगती है, लेकिन यह एक सामान्य लक्षण है। प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से यही अपेक्षित है। पहले चरण में वे खुद को जुटाती हैं, और उस शानदार विस्तार के बाद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कुछ हद तक सिकुड़ जाती हैं और अंततः एक स्थिर अवस्था में पहुँच जाती हैं।”

अध्ययन के एक हिस्से के तौर पर शोधकर्ताओं ने 188 कोविड-19 मामलों के नमूने लिए थे और उनसे इकट्ठा किये गए 254 खून के नमूनों पर विश्लेषण का काम किया था। इनमें से 43 से अधिक की संख्या में नमूने संक्रमण होने के छह महीने बाद लिए गए थे। जिन 188 लोगों के नमूने इकट्ठा किये गए थे, उनमें 80 पुरुष और 108 महिलाएं शामिल थीं। उनमें स्पर्शोन्मुख, मामूली, सामान्य एवं गंभीर कोविड-19 मामलों सहित सभी प्रकार के लक्षणों का प्रतिनिधित्व हो रहा था।

अध्ययन के लिए शामिल किए गए लोगों में से 93% लोग इलाज के लिए एक बार भी अस्पताल में भर्ती नहीं किए गए थे, सिर्फ सात प्रतिशत को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी थी, जिनमें से कुछ को ही आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा था। यह एक उल्लेखनीय पहलू है क्योंकि मामूली लक्षणों वाले मरीजों में भी यदि प्रतिरक्षात्मक स्मृति कई महीनों तक बरकारर रह सकती है तो गंभीर तौर पर प्रभावित मरीजों में इन स्मृतियों के और भी अधिक समय तक बने रहने की संभावना है।

वायरल प्रोटीन के खिलाफ आईजीजी एंटीबाडी, छह से आठ महीनों के पश्चात कुछ गिरावट के साथ स्थिर अवस्था में पाई गई थी। इस अध्ययन में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ मेमोरी बी सेल्स, उन सभी 188 मामलों में पाए गए। महत्वपूर्ण तौर पर उन सभी मामलों में संक्रमण के पश्चात पाँच से आठ महीनों बाद स्पष्ट तौर पर अर्ध-जीवन (किसी मात्रा को अपने आरंभिक संख्या की आधी तादाद में कम पाए जाने के लिए आवश्यक समय) भी स्पष्ट तौर पर देखने को नहीं मिला था।

मेमोरी टी कोशिकाओं का अर्ध-जीवनकाल किलर टी कोशिकाओं में 125 से 225 दिनों के बीच में पाया गया, जबकि सीडी4+ टी कोशिकाओं या सहायक टी कोशिकाओं में इसे 94 से 153 दिनों तक का देखा गया है। इस अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 के मामलों में जिस प्रकार की प्रतिरक्षा देखने को मिली है वह येलो फीवर के टीकाकरण के समतुल्य है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

COVID-19: Latest Study Says Immune Memory Against Virus Could Last for Eight Months

SARS-CoV-2
Immunological Memory
T cell Memory
B Cell Memory
Immune Memory Against COVID19
IgG
CD4+
CD8+
Killer T cells
Helper T cells

Related Stories

कोविड: प्रोटीन आधारित वैक्सीन से पैदा हुई नई उम्मीद

ओमिक्रोन के नए संस्करण का पता चला, यह टीके की सुरक्षा को दे सकता है मात

SARS-CoV-2 के क़रीबी वायरस लाओस में पाए गए

जानवरों में पाए जाने वाले सार्स-जैसे वायरस हर साल 4,00,000 इंसानों को संक्रमित करते हैं

कोविड-19: नए अध्ययन से पता चला है कि प्राकृतिक इम्मुनिटी, वैक्सीन सुरक्षा से कहीं ज़्यादा मज़बूत

वीडियो: शोधकर्ताओं ने दर्शाया चूहों में कोविड-19 का संक्रमण और उससे लड़ती एंटीबाडीज़

कोविड-19 महामारी प्राकृतिक या षडयंत्र?

कोरोना के बदलते हुए चेहरे कितने खतरनाक? 

कोविड-19 पुनर्संक्रमण: नए अध्ययन के मुताबिक यह वायरस खुद को इंसानी क्रोमोसोम में छुपाकर जिन्दा रख सकता है!

उत्तरी गोलार्ध में सर्दी की दस्तक के साथ ही क्या कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं?


बाकी खबरें

  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के मामलों में क़रीब 25 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई
    04 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,205 नए मामले सामने आए हैं। जबकि कल 3 मई को कुल 2,568 मामले सामने आए थे।
  • mp
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    सिवनी : 2 आदिवासियों के हत्या में 9 गिरफ़्तार, विपक्ष ने कहा—राजनीतिक दबाव में मुख्य आरोपी अभी तक हैं बाहर
    04 May 2022
    माकपा और कांग्रेस ने इस घटना पर शोक और रोष जाहिर किया है। माकपा ने कहा है कि बजरंग दल के इस आतंक और हत्यारी मुहिम के खिलाफ आदिवासी समुदाय एकजुट होकर विरोध कर रहा है, मगर इसके बाद भी पुलिस मुख्य…
  • hasdev arnay
    सत्यम श्रीवास्तव
    कोर्पोरेट्स द्वारा अपहृत लोकतन्त्र में उम्मीद की किरण बनीं हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं
    04 May 2022
    हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं, लोहिया के शब्दों में ‘निराशा के अंतिम कर्तव्य’ निभा रही हैं। इन्हें ज़रूरत है देशव्यापी समर्थन की और उन तमाम नागरिकों के साथ की जिनका भरोसा अभी भी संविधान और उसमें लिखी…
  • CPI(M) expresses concern over Jodhpur incident, demands strict action from Gehlot government
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जोधपुर की घटना पर माकपा ने जताई चिंता, गहलोत सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग
    04 May 2022
    माकपा के राज्य सचिव अमराराम ने इसे भाजपा-आरएसएस द्वारा साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अनायास नहीं होती बल्कि इनके पीछे धार्मिक कट्टरपंथी क्षुद्र शरारती तत्वों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन की स्थिति पर भारत, जर्मनी ने बनाया तालमेल
    04 May 2022
    भारत का विवेक उतना ही स्पष्ट है जितना कि रूस की निंदा करने के प्रति जर्मनी का उत्साह।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License