NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
COVID-19 लॉकडाउन: सड़क किनारे रेहड़ी लगाकर कमाने वाले कश्मीरी वेंडर के हाथ ख़ाली
श्रीनगर म्युनिसिपल कमेटी के चीफ रेवेन्यू ऑफिसर ने कहा, "धारा 370 के हटने के बाद कश्मीर में जो लॉकडाउन हुआ उसी ने इन विक्रेताओं को सात महीने तक अपने काम से दूर रखा और उनकी सारी बचत को समाप्त कर दिया।"
सुहैल भट्ट
23 Apr 2020
कोरोना वायरस

अपने घर की रसोई में बैठकर बशारत अपनी पत्नी से ज़रुरी चीज़ों की उपलब्धता के बारे में पूछते हैं। COVID-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए जब से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई है तब से यह उनके रोज़मर्रे का काम है। इस लॉकडाउन के चलते उन्हें कश्मीर के बारामूला में सड़क के किनारे से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा जहां वे ज़िंदगी गुज़र बसर करने के लिए वे फल बेचा करते थे।

बशारत उन विक्रेताओं में से एक हैं जो सड़क किनारे फल बेचते हैं। वे अक्सर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता के बारे में पूछते है क्योंकि वे चिंतित हैं कि उन्हें अपनी मामूली बचत से इस पूरे लॉकडाउन में घर चलाना मुश्किल होगा। न्यूजक्लिक से बात करते हुए उन्होंने कहा कि "मेरे पास पैसे नहीं हैं और मुझे नहीं पता कि मेरे परिवार की ज़रुरत कैसे पूरी होगी।" बात करते हुए उनका गला भर गया। आगे वे कहते हैं "मैं अपने परिवार को लेकर चिंतित हूं।''

बशारत जैसे 250 से ज़्यादा स्ट्रीट वेंडर्स हैं जिन्होंने उत्तरी कश्मीर के बारामूला शहर में फल और सब्जियां बेचकर अपनी आजीविका के लिए पैसे कमाए लेकिन अब अपने लिए गुज़र बसर करना मुश्किल है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान कश्मीर में लगी पाबंदियों के चलते वे अपने परिवार की मदद करने के लिए कई तरह के काम किया करते थे। वे कभी पेट्रोल बेचते या मज़दूरी करते थे। हालांकि, COVID-19 के प्रकोप ने उन्हें अपने घर में ही क़ैद कर दिया है, जिससे कमाई न होने को लेकर चिंता बढ़ रही है कि इस कमी को कैसे पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दूसरे विक्रेताओं को भी अपनी बुनियादी ज़रुरतों को पूरा करने में इतना ही मुश्किल हो रहा है।

राजधानी श्रीनगर में बाटामालू वेंडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नसीर अहमद और भयावह कहानी बताते हैं। उन्होंने न्यूज़़क्लिक को फोन पर बताया कि उन्हें हर दिन विक्रेताओं के फोन आ रहे हैं कि वे काफी परेशान हैं। उन्होंने कहा, “ये लोग रोज़ाना कमाते और रोज़ाना खाते हैं और इनके पास कमाई का कोई वैकल्पिक साधन भी नहीं है। मुझे उन विक्रेताओं से हर दिन फोन आता है कि वे अपने सीमित स्टॉक को लेकर चिंतित हैं।” जिन लोगों के घर में बीमार माता-पिता हैं वे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। वे कहते हैं, "उन्हें अपने बीमार माता-पिता के लिए दवा हासिल करना बहुत मुश्किल हो रहा है।" नसीर लगभग 600 विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं जो बाटामालू क्षेत्र में अपना व्यवसाय करते हैं। बाटामालू शहर के सबसे व्यस्त क्षेत्रों में से एक है।

लाल चौक वेंडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जान मोहम्मद ने उनकी बातों को दोहराते हुए न्यूज़क्लिक को बताया, “विक्रेताओं को काफ़ी परेशानी हो रही है। उनके पास काम करने के लिए कुछ नहीं है। कुछ विक्रेताओं के पास पैसे नहीं हैं। उन्हें अपने परिवारों की ज़रुरत पूरी करना मुश्किल हो रहा है।”

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि 20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन में ढ़ील दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वे कहते हैं, “विक्रेता अक्सर नक़दी या खाद्य पदार्थों के लिए आज कल मेरे घर आते हैं। हाल ही में एक विक्रेता ने अपने बीमार बच्चे के इलाज के लिए कुछ पैसे मांगे। मैंने कुछ घरों में खाने के पैकेट भी दिए। स्थिति ख़राब है। क्रॉकरी और रेडीमेड चीजें बेचने वाले लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं।”

श्रीनगर नगर समिति के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 3,000 स्ट्रीट वेंडर हैं जो शहर भर में सड़कों के किनारे अपना व्यवसाय चलाते हैं। श्रीनगर नगर समिति के मुख्य राजस्व अधिकारी मोहम्मद अकबर सोफी ने न्यूज़़क्लिक को बताया, “वे सभी समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से हैं। वे ज़्यादा बचत नहीं कर पाते हैं और उनकी बचत आमतौर पर एक या दो सप्ताह तक ही चल पाएगी। परेशान करने वाली बात ये है कि उनकी महीने की आमदनी 10-20,000 प्रति माह के बीच होती है और उनमें से अधिकांश तो अपने परिवारों में एकमात्र पैसा कमाने वाले हैं।”

उन्होंने कहा कि पिछले आठ महीनों से कश्मीर में एक के बाद एक लॉकडाउन के चलते उनकी स्थिति बदतर हुई है। उन्होंने कहा, "धारा 370 के हटने के बाद कश्मीर में जो लॉकडाउन हुआ उसी ने इन विक्रेताओं को सात महीने तक अपने काम से दूर रखा और उनकी सारी बचत को समाप्त कर दिया।" उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन ने उनके डर को दोगुना कर दिया है क्योंकि वे वायरस के संपर्क में आने से डरे हुए हैं और आमदनी न होने के कारण भूखे रहते हैं।

शुरू में कई लोगों ने इन प्रतिबंधों का विरोध किया और अपने स्टॉल लगाए और अपना कारोबार चलाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने अक्सर उनके माल को ज़ब्त कर लिया या उनमें से कुछ को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने भी इन प्रतिबंध को कड़ाई से लागू किया है और शहर में चेक प्वाइंट स्थापित किया है जो उनके कामकाज पर अंकुश लगाता है।

प्रति माह लगभग 10-12,000 रुपये की आय करने वाले तजमुल नबी डीलर को दिए जाने वाले पैसे पर अपने परिवार का ख़र्च चला रहे हैं। वे कहते हैं, “मैं अपने डीलर से उधार फल लेता हूं और उन्हें बेचने के बाद भुगतान करता हूं। मैंने उसे लॉकडाउन के बाद से कुछ भी भुगतान नहीं किया है।” वे आगे कहते हैं कि वह चिंतित है कि लॉकडाउन में चलाना मुश्किल होगा क्योंकि उनकी बचत समाप्त होने वाली है।

कश्मीर में लगभग कोरोनावायरस के 368 संक्रमण के मामलों की पुष्टि हुई है जिनमें से 71 मरीज़ ठीक हो चुके हैं और पांच लोगों की मौत हो चुकी है। अभी तक जांच की उपलब्धता सीमित है और बिना लक्षण वाले कई मामले सामने नहीं आए हैं ऐसे में वास्तविक आंकड़ा बढ़ने का अनुमान है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

COVID-19 Lockdown: Forced off Streets, Kashmiri Vendors Run Out of Savings

COVID 19
COVID 19 Lockdown
COVID 19 Pandemic
Kashmir Lockdown
Street Vendors in Kashmir
COVID Impact on Vendors
Baramulla
Srinagar
Jammu and Kashmir

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

क्या कोविड के पुराने वेरिएंट से बने टीके अब भी कारगर हैं?

कोविड-19 : दक्षिण अफ़्रीका ने बनाया अपना कोरोना वायरस टीका

कोविड-19 से सबक़: आपदाओं से बचने के लिए भारत को कम से कम जोखिम वाली नीति अपनानी चाहिए

जम्मू : बेड की कमी की वजह से कोविड-19 मरीज़ों का सीढ़ियों और पार्किंग लॉट में हो रहा इलाज

कोविड-19 : मप्र में 94% आईसीयू और 87% ऑक्सीजन बेड भरे, अस्पतालों के गेट पर दम तोड़ रहे मरीज़

स्वास्थ्य बजट 2021-22 में जनता को दिया गया झांसा

कोविड के नाम रहा साल: हमने क्या जाना और क्या है अब तक अनजाना 

Covid-19 : मुश्किल दौर में मानसिक तनाव भी अब बन चुका है महामारी

कोविड-19: अध्ययन से पता चला है कि ऑटो-एंटीबाडी से खतरनाक रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License