NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
ग्रामीण भारत में कोरोना : हरियाणा में किसान फसल कटाई और बिक्री को लेकर चिंतित
लॉकडाउन के दौरान किसानों को सरसों और गेंहूं की फसलों की कटाई में दिक़्क़त आ रही हैं। किसान जल्दी ख़राब होने वाली सब्ज़ियों और दूध को भी नहीं बेच पा रहे हैं। जबकि अनौपचारिक मज़दूर और पट्टेदार अनाज की अनिश्चितता को लेकर आशंकित हैं।
प्राची बंसल
08 Apr 2020
ग्रामीण भारत में कोविड-19

कोरोना वायरस पर अपनाई गई नीतियों का ग्रामीण जीवन में क्या फर्क पड़ा है, उसे दिखाती एक सीरीज़ का यह पहला हिस्सा है। इस सीरीज़ को 'सोसायटी फॉर सोशल एंड इकनॉमिक रिसर्च' ने चालू किया है। इसके तहत कई स्कॉलर अलग-अलग गांवों पर अपना अध्ययन कर रहे हैं। यह रिपोर्ट टेलीफ़ोन से इंटरव्यू के ज़रिये तैयार की गई हैं। इसके तहत गांव के लोगों से बात की गई है। इस रिपोर्ट में हरियाणा के फतेहाबाद में बीरधाना गांव का जिक्र है। इसमें गेहूं और सरसों की फसल काटने और सब्जियों, दूध जैसे ख़राब होने वाली चीज़ों को बेचने में आ रही उनकी समस्याओं के बारे में बात की गई है। अनौपचारिक कामगार और पट्टेदारों को रोज़गार न होने के बाद भंडारण के ख़ात्मे के चलते अनाज की असुरक्षा से गुज़रना पड़ रहा है।

बीरधाना गांव हरियाणा के फ़तेहाबाद में है। इस बड़े गांव में 2,500 परिवार रहते हैं। यहां कुछ बड़े किसान भी हैं, जिनके पास 50 एकड़ तक ज़मीन है। साथ में कई मध्यम और सीमांत किसान भी हैं। साथ ही लंवे वक़्त तक काम करने वाले मज़दूर और अनौपचारिक मज़दूरों की भी बड़ी आबादी है।

बीरधाना में किसान रबी फ़सल के लिए गेंहूं और सरसों उगाते हैं। वहीं ख़रीफ़ में कपास, चावल, जानवरों के चारे और आलू, ओकरा, टमाटर, लौकी, पालक जैसी सब्जियों की खेती करते हैं। निर्माण कार्य, भारा उठाना, गाड़ी चलाने, दुकानों में काम करने और कृषिगत मज़दूरी में लोग लगे हुए हैं।

गांव में कुछ दुकानों वालों एक बाज़रा है, जिसे यहां के स्थानीय निवासी चलाते हैं। यहां खाने-पीने, कृषि औज़ारों, कपड़ों और दैनिक चीजों की दुकानेंं हैं।

गांव में गेहूं और सरसों की फ़सल खड़ी है। सरसों की फ़सल कटने के लिए तैयार है। वहीं गेहूं की कटाई 10 अप्रैल से शुरू हो जाएगी। मटर, बंदगोभी और आलू की फ़सलें भी लॉकडाउन के दौरान तैयार ही हो रही थीं।

किसान अब संशय में हैं कि उन्हें अपनी फ़सलों को काटने दिया जाएगा या नहीं। गांव के एक आलू किसान ने अपनी फ़सल काटने के लिए 15 मज़दूर बुला लिए थे, लेकिन उसे पुलिस ने रोक दिया। किसान वक़्त पर अपनी फ़सल नहीं काट पाया, जिसके चलते फ़सल बर्बाद हो गई। किसानों को चिंता है कि अगर वे अपनी गेहूं की फ़सल नहीं काट पाए या सरकार ने गेहूं नहीं ख़रीदा, तो उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।

इस गांव के किसान इस मौसम में कुछ मौसमी सब्ज़ियां भी उगाते हैं। यह उनकी ख़ुद की खपत और स्थानीय बाज़ारों में बेचने के लिए होती हैं। 24 मार्च को हुए लॉकडाउन के चलते सभी तरह की गतिविधियों पर प्रतिबंध लग गया है। इसलिए अब किसान उन सब़्जियों को भी नहीं बेच पा रहे हैं, जिन्हें वो काट चुके थे। एक आदमी ने बताया कि जब वो 25 मार्च को गोभी बेचने गया, तो स्थानीय एजेंट ने उसे वापस लौटा दिया।

उसने बताया फूल गोभी 15 रुपये किलो के दाम पर बिकती थी। अब तो कोई उन्हें दो रुपये किलो के भाव पर भी खरीदने को तैयार नहीं है। मज़बूर होकर फूलगोभी जानवरों को डालनी पड़ी। एक दूसरे व्यक्ति ने बताया  कि हरे मटर के दाम 30 रुपये किलो से 10 रुपये किलो पर आ गए हैं।

जब किसान अपनी सब्ज़ियां बेचने में नाकामयाब रहे हैं, तब भी स्थानीय गांवों के बाज़ारों में सब्ज़ियों के दाम तेजी से बढ़े हैं। टमाटर का भाव 25 रुपये किलो से बढ़कर 50 रुपये किलो तक पहुंच गया है, वहीं आलू 20 रुपये के पुराने भाव से ऊपर चढ़कर 30 रुपये किलो तक बेचा जा रहा है।

बीरधाना में मध्यम स्तरीय किसानों, गरीब़ पट्टेदार किसानों और कृषि कार्य में लगे मज़दूरों के पास बहुत दिन के लिए गेहूं शेष नहीं बचा है। गेहूं की फ़सल की कटाई में देरी से ग़रीब परिवारों में बुनियादी अनाज की पहुंच से संबंधित कई समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। जब यह इंटरव्यू करवाए जा रहे हैं, तब की स्थिति यह है कि गांव की राशन दुकानेंं भी नहीं खुल रही हैं।

एक व्यक्ति ने बताया कि जानवरों को खिलाए जाने वाले ऑयल केक की 50 किलो की बोरी की क़ीमत 1,180 रुपये से बढ़कर 1,400 रुपये हो गई है। जानवरों की खुराक देने वाली दुकानों में आपूर्ति नहीं हो रही है और वो लगातार अपने दाम बढ़ा रहे हैं। इसके चलते शख़्स को अपने जानवरों को सूखा चारा और हरी बर्सीम घास खिलाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इन दोनों को उसने अपने खेतों से हासिल किया है।

दैनिक वस्तुओं की दुकानेंं छोड़कर गांव की सभी दुकानेंं बंद हैं। कृषिगत औज़ारों की दुकानें बंद हैं और किसान अपने ओकरा, लौकी और करेला बोने के लिए बीज नहीं ले पा रहा है। इन सब्जियों की फ़सलों की बुआई इस मौसम में हो जाती थी। किसान अकसर ही कुछ जगह सब्ज़ियां बोने के लिए खाली छोड़ देते हैं। इन जगहों पर ऊगाई गई सब्ज़ियां न केवल नगद का हिस्सा होती हैं, बल्कि यह लोगों की खुराक में विविधता भी लाती हैं।

वह किसान जो पशुपालन करते हैं, दिन में दो वक़्त शहर के लिए दूध बेचते थे। लेकिन अब दूध लेने वाला दिन में एक ही बार आता है। उनमें भी पुलिस द्वारा रोके जाने का डर है। एक बड़ी संख्या में लोग 12 किलोमीटर दूर फतेहाबाद में दूसरे गैरकृषिगत कार्यों में मज़दूरी करने जाते थे, जैसे कोई स्ट्रीट वेंडर का काम करता था, कोई छोटी-मोटी दुकान या धंधे करता था। लेकिन अब इन लोगों के पास भी काम नहीं है।

कुल मिलाकर लॉकडाउन का प्रभाव अलग-अलग पड़ा है। ग़ैर कृषिगत कार्यों में लगे लोगों के पास काम नहीं है और गांव में जीवन पूरी तरह रुक गया है। कृषि कार्यों के रुक जाने के चलते सभी किसानों को फसलें न बेच पाने के चलते बड़े नुकसान का अंदेशा है।

सरसों की फसल की कटाई पर भी बहुत चिंता है। जबकि फसल तैयार हो चुकी है। वहीं दूसरे किसान गेहूं की कटाई और उसे बेचने को लेकर भी परेशान हैं।

ग़रीब पट्टेदार और कृषि कार्यों में लगे मज़दूरों के पास लंबे वक़्त के लिए अनाज का भंडारण नहीं है। उन्हें बाज़ार से सब्ज़ियां खरीदनी पड़ रही हैं। फ़सलों की कटाई में हो रही देरी की उनपर ज़्यादा बुरी मार पड़ने वाली है, क्योंकि इससे अनाज का दाम बढ़ जाएगा।

यह लेख टेलीफ़ोन से किए गए इंटरव्यू पर आधारित है। जिसके तहत 27 मार्च, 2020 को गांव के तीन लोगों से बात की गई। इसमें एक मध्यम वर्गीय किसान था, जिसके पास 15 एकड़ ज़मीन है। दूसरा बंटाईदार मज़दूर था, जो कुल फ़सल का पांचवा हिस्सा मज़दूरी के तौर पर लेता है। तीसरा आदमी एक मुस्लिम लोहार था, जिसके पास एक छोटी वर्कशॉप है, जिसमें वो धातु की चादर से अलग-अलग चीजें बनाता है।

लेखक जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के ''सेंटर फॉ़र इंफॉ़र्मल सेक्टर एंड लेबर स्टडीज़'' में रिसर्च स्कॉलर हैं।

अंग्रेजी में लिखे गए मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

COVID-19 in Rural India -I: Harvesting and Selling Anxiety Grips Farmers in Haryana’s Birdhana Village

farmers
COVID 19
Haryana
Narendra Mod
i BJP

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

यूपी चुनाव : किसानों ने कहा- आय दोगुनी क्या होती, लागत तक नहीं निकल पा रही

बजट के नाम पर पेश किए गए सरकारी भंवर जाल में किसानों और बेरोज़गारों के लिए कुछ भी नहीं!


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License