NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
लॉकडाउन : महाराष्ट्र में ट्रांसजेंडर कर रहे हैं बिना आय और राशन के संघर्ष
पुणे की एक ट्रांसजेंडर कहती हैं, “मेरे दो चेले एचआईवी पॉजिटिव हैं और उन्हें ससून जनरल हॉस्पिटल से एंटीरेट्रोवाइरल दवा लेनी होती है। लेकिन, वे वहां नहीं जा पा रहे हैं।”
वर्षा तोरगाल्कर
15 Apr 2020
लॉकडाउन

पुणे: अपनी आय के स्रोत बंद हो जाने के बाद पूरे महाराष्ट्र के ट्रांसजेंडर, COVID -19 लॉकडाउन में अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनमें से कई के पास राशन कार्ड तक नहीं हैं और इसलिए, वे अनुदानित दरों पर अनाज हासिल करने की हालत में नहीं हैं।

कोल्हापुर के एक ट्रांसजेंडर,तेजस्विनी कहती है, "मेरे नौ चेले (प्रोटेक्ट्स) हैं, जो ट्रैफ़िक सिग्नल, रेलवे स्टेशन, मंदिरों में भीख मांगते हैं और लोगों के घरों में जाते हैं। वे सेक्स वर्क भी करते हैं। इससे पहले, हमारी इतनी कमाई हो जाती थी,जिससे कि एक दिन में दो दो बार का खाना चल जाता था और बीमारी होने की हालत में अपनी सेहत का ख़्याल भी रख लेते थे। लेकिन, हर किसी की तरह, हम भी मांगने के लिए बाहर नहीं जा सकते हैं या सेक्स वर्क नहीं कर सकते हैं। हमारे बैंक खातों में पैसे भी नहीं हैं।”

वह कहती है, "इस इलाक़े में 40 ट्रांसजेंडर हैं और सिर्फ़ 14 को मुफ़्त राशन मिला है। पीडीएस दुकानदार बाक़ियों से अगले हफ़्ते आने के लिए कहते रहते हैं। इसके अलावा, हमें सब्ज़ियों और किराने जैसी अन्य ज़रूरी चीज़ों को ख़रीदने के लिए भी पैसे चाहिए। हमने ज़िला कलेक्टर को एक चिट्ठी लिखी है, ताकि हमारी मदद की जा सके और हम अब भी उनके जवाब का इंतज़ार कर रहे हैं।”

2011 की जनगणना अनुसार, महाराष्ट्र में 67.57% साक्षरता दर वाले 40,000 से ज़्यादा ट्रांसजेंडर हैं। हालांकि, 2014 के सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले में तीसरे जेंडर को मान्यता देने के बाद कई और लोगों ने ख़ुद को ट्रांसजेंडर के रूप में चिह्नित किया है।

तमिलनाडु की एक ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता, ग्रेस भानु ने बताया कि दस्तावेज़ों की कमी के चलते ज़्यादातर ट्रांसजेंडरों के पास राशन कार्ड नहीं हैं। वह बताती है, “हमें पीडीएस प्रणाली से भोजन नहीं मिल सकता है। कई संगठन हमें भोजन के पैकेट दिलवाते हैं, लेकिन यह काफ़ी नहीं है। सरकार को हर उस व्यक्ति को राशन उपलब्ध कराना चाहिए, जिसके पास किसी भी तरह का आईडी कार्ड है।”

मुख्य सचिव (खाद्य एनं नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण), महेश पाठक ने बताता कि सरकार पीडीएस के ज़रिये अनाज उपलब्ध करा रही है। वह बताते हैं, “इसके अलावे, कई एनजीओ, सामाजिक संगठन भी खाना उपलब्ध करा रहे हैं। लोग इसका फ़ायदा उठाने के लिए अपने स्थानीय कलेक्टर कार्यालयों से भी संपर्क कर सकते हैं।”

यूएनडीपी की रिपोर्ट के अनुसार, 2.35 लाख ट्रांसजेंडर,एचआईवी पॉजिटिव हैं; कई दूसरों को बीमारियां हैं। पैसे की कमी और लॉकडाउन के चलते वे अपने इलाज को जारी रख पाने की हालत में नहीं हैं।

पुणे के एक 55 वर्षीय ट्रांसजेंडर,संजना जाधव ज़िंदा रहने के लिए भीख मांगती है, हाल ही में उसके घुटने की सर्जरी हुई है और चलने में परेशानी होती है। उसके पास जो कुछ भी बचे-खुचे पैसे थे,वह ख़त्म हो गये हैं,लिहाजा मदद मांगने के लिए उसे एक एनजीओ से संपर्क करना पड़ा है। वह बताती है, “मेरी हाल ही में एक सर्जरी हुई थी,इसलिए मुझे दवाइयां ख़रीदने की ज़रूरत है। लेकिन, मुझे नहीं पता कि मैं कितने समय तक दोस्तों या संगठनों की मदद ले सकती हूं ?”

पुणे के हडपसर इलाके में रहने वाली संजना हिंदू परंपरा के मुताबिक़ रोज़ाना भीख मांगती थी और हर हफ़्ते 2000-4000 रुपये कमा लेती थी। वह बताती है कि वह ख़ुद पर निर्भर थी, क्योंकि उसकी आय पर्याप्त हो जाती थी। उसकी ही तरह, 10 से ज़्यादा ट्रांसजेंडर,जो हड़पसर के छोटे क़स्बे में एक ही घर में रहते हैं या पुणे के रेड लाइट एरिया,बुधवार पेठ में सेक्स वर्क करते हैं।

वह बताती है, “मेरे दो बच्चे एचआईवी पॉजिटिव हैं और उन्हें ससून जनरल हॉस्पिटल से एंटीरेट्रोवायरल की दवा लेनी होती है, लेकिन,इस समय वे वहां नहीं जा पा रहे हैं। या तो पुलिस उन्हें अनुमति नहीं देती है या आने-जाने की सुविधा उपलब्ध नहीं है।”

इस मामले की छान-बीन के दौरान एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन और कॉल के ज़रिये उपलब्ध करा दिया है। हम शिकायत की वास्तविकता के आधार पर शहर के भीतर यात्रा की अनुमति दे देते हैं और इस मामले में हम आवेदक के जेंडर का ख़्याल नहीं करते। चूंकि इसके लिए जो अनुरोध आते हैं,उसकी संख्या इतनी बड़ी है कि कुछ ही अनुरोधों का जवाब दिया जा रहा है।”

इस नोवल कोरोनावायरस संकट के बीच, सामाजिक न्याय विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कोई विशेष उपाय नहीं किया है। 

एक एनजीओ चलाने वाली एक दूसरी ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता, चंदानी गोर बताती है, “जैसा कि हम सभी जानते हैं, लगभग सभी ट्रांसजेंडर को अपने माता-पिता के घर छोड़ने पड़ते हैं, क्योंकि वे उनकी इस विशिष्टता को मंज़ूर नहीं कर पाते हैं। उन्हें मुश्किल से उचित औपचारिक, अच्छी तनख़्वाह वाली नौकरियां मिल पाती हैं। चूंकि उन्हें मुख्यधारा के समाज में स्वीकार नहीं किया जाता है, ऐसे में वे भीख मांगने या सेक्स कार्य करने के लिए मजबूर होते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि वे अपने घर ख़रीदने और किराये के मकानों में रहने के लिए पर्याप्त कमाई नहीं कर पाते हैं।”

वह कहती है, 'कई घर मालिक ट्रांसजेंडर किरायेदारों को मकान ख़ाली करने के लिए कह रहे हैं। इसकी एक वजह तो यही है कि किराया भुगतान करने के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं। लेकिन, कई लोगों को लगता है कि हम अपनी जीवन शैली के कारण COVID -19 से संक्रमित हो सकते हैं और इसलिए भी वे चाहते हैं कि हम उनका छोड़कर कहीं और चले जायें।”

2019 में प्रकाशित इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स की रिपोर्ट में घर के मालिकों द्वारा ट्रांसजेंडर किरायेदारों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का भी उल्लेख है और भारत सरकार से इस मुद्दे का समाधान करने के लिए कहा गया है।

एक दूसरे ट्रांसजेंडर ने बताता कि सरकार को पिछले साल ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) बिल पास होने के बाद उन्हें आईडी कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड जारी करने चाहिए थे। “इससे हमें भी 500 रुपये और मुफ़्त राशन मिल पाते।”

वह कहती है, "केरल और तमिलनाडु की तरह, महाराष्ट्र को भी एक ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की स्थापना करनी चाहिए थी, ताकि हमारे पास भी अपने मुद्दों से अवगत कराने के लिए एक मंच हो। वर्ना तो हमें सिर्फ़ एक विभाग से दूसरे विभाग का चक्कर लगाना पड़ता रहेगा।"

COVID-19
novel coronavirus
Transgender People
HIV patients
Uddhav Thackeray
Trans Rights

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • अनिंदा डे
    मैक्रों की जीत ‘जोशीली’ नहीं रही, क्योंकि धुर-दक्षिणपंथियों ने की थी मज़बूत मोर्चाबंदी
    28 Apr 2022
    मरीन ले पेन को 2017 के चुनावों में मिले मतों में तीन मिलियन मत और जुड़ गए हैं, जो  दर्शाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद धुर-दक्षिणपंथी फिर से सत्ता के कितने क़रीब आ गए थे।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे
    28 Apr 2022
    महामारी के भयंकर प्रकोप के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर 100 दिन की 'कोविड ड्यूटी' पूरा करने वाले कर्मचारियों को 'पक्की नौकरी' की बात कही थी। आज के प्रदर्शन में मौजूद सभी कर्मचारियों…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज 3 हज़ार से भी ज्यादा नए मामले सामने आए 
    28 Apr 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,303 नए मामले सामने आए हैं | देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 0.04 फ़ीसदी यानी 16 हज़ार 980 हो गयी है।
  • aaj hi baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    न्यायिक हस्तक्षेप से रुड़की में धर्म संसद रद्द और जिग्नेश मेवानी पर केस दर केस
    28 Apr 2022
    न्यायपालिका संविधान और लोकतंत्र के पक्ष में जरूरी हस्तक्षेप करे तो लोकतंत्र पर मंडराते गंभीर खतरों से देश और उसके संविधान को बचाना कठिन नही है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कथित धर्म-संसदो के…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान
    28 Apr 2022
    आजकल भारत की राजनीति में तीन ही विषय महत्वपूर्ण हैं, या कहें कि महत्वपूर्ण बना दिए गए हैं- जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र। रात-दिन इन्हीं की चर्चा है, प्राइम टाइम बहस है। इन तीनों पर ही मुकुल सरल ने…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License