NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कोरोना संकट :दिल्ली में लॉकडाउन में भी छात्रों और मज़दूरों से किराया वसूल रहे हैं मकान मालिक
दिल्ली में किरायेदारों को बेदख़ल करने की धमकी दी जा रही है और इसपर मालिकों का तर्क है कि अगर किराया न लें तो खाएंगे क्या? इस मामले में दिल्ली सरकार के सभी हस्तक्षेप निष्प्रभावी साबित हुए हैं।
रौनक छाबड़ा
11 May 2020
कोरोना संकट

देश में अब लॉकडाउन अपने तीसरे चरण में चल रहा है। इस लॉकडाउन में किरायदारों और मकान मालिकों के बीच तनाव लगातर बढ़ रहा है। हालांकि दिल्ली में इन किरायदारों को राहत देने और मकान मालिकों को इनपर परोपकार करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों ने ही मकान मालिकों से अपील की कि वो किराया न लें, इसके लिए दिल्ली सरकार ने आदेश भी दिए लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त इससे कोसो दूर है। क्योंकि कई मकान मालिकों के लिए यही एक आय का साधन है, और वो किराया माफ़ नहीं करना चाहते हैं।  

मज़दूर तो सरकार के आधे अधूरे इंतज़ामों से पहले ही परेशान था, अब यहां छात्रों को भी सरकारों की इस बदइंतजामी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के दावों के बाद भी मकान मालिक किराये के लिए किरायेदारों को लगातर फोन कॉल करके धमका रहे हैं।

इस तरह के कॉल्स दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में इकोनॉमिक्स के प्रथम वर्ष के छात्र सचिन को आ रहे हैं, जिससे वो डरे हुए हैं। उन्होंने कहा “पीजी मालिक अप्रैल महीने के शुरू होने के बाद से पूरे महीने का किराया मांग रहा है। मैंने पहले ही उस महीने के आधे से अधिक किराये का भुगतान कर दिया है। अब लॉकडाउन के विस्तार के साथ, उन्होंने मई के किराये के लिए भी पूछना शुरू कर दिया है।” सचिन ने कहा कि "उन्होंने धमकी दी है कि अगर मैं बकाया भुगतान नहीं करता हूं तो मेरी किताबें और सामान फेंक देंगे।"

सचिन, उत्तरी दिल्ली के कमला नगर में एक निजी पीजी में चार अन्य लोगों के साथ एक कमरे में रहते थे, अभी वो केरल में अपने घर पर हैं। वो मार्च में ही देशव्यापी लॉकडाउन से पहले ही, जब दिल्ली की राज्य सरकार ने स्कूल, कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया था, तभी अपने घर लौट गए थे।

सचिन ने बताया कि “ मेरे पिता एक होटल में रसोइये हैं जिन्हें वेतन नहीं मिला है क्योंकि रेस्तरां बंद है। वह मेरे परिवार में अकेले कमाने वाले हैं। मेरे कॉलेज की शिक्षा के लिए पहले से ही ऋण लिया हुआ है।” उन्होंने पूछा “जब कोई कमाई ही नहीं है तो मैं पीजी मालिक को कैसे भुगतान करूंगा? "  
 
लॉकडाउन समय में ऐसी ही चिंता योगेश की है, जो एक बेडरूम के फ्लैट में रहते हैं। दिल्ली में हंसराज कॉलेज के दूसरे वर्ष के भौतिक विज्ञान के छात्र हैं योगेश। उन्होंने कहा, “मकान मालिक का कहना है कि या तो जगह खाली करो या किराये का भुगतान करो। लॉकडाउन से पहले मैं घर आ गया था। मेरा सारा सामान इस समय मेरे फ्लैट पर ही है।”  उनके पिता की हरियाणा में एक इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकान है, जो , 25 मार्च से बंद है। योगेश ने आगे कहा "वह [योगेश के पिता] अपनी बचत से दुकान पर सहायकों को वेतन दे रहे हैं।"  

किरायेदारों के संकट से निपटने के लिए अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार ने एक आदेश 22 अप्रैल को जारी किया, जो कम से कम एक महीने के किराये की छूट के लिए कहता है और किसी को भी घर से जबरन निकालना एक दंडनीय अपराध है। इसमें मज़दूरों के साथ ही छात्रों को भी शामिल किया था। विवाद की स्थिति में, लोगों को पुलिस से शिकायत करने की सलाह दी गई है।

छात्र समुदाय के साथ ही अन्य किरायदारों ने भी इस आदेश को राहत के रूप में माना और स्वागत किया। हालांकि, घर के मालिकों के लिए यह एक धक्का था। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिक, जिनके लिए उनके घर का किराया ही आय का एकमात्र स्रोत था, वो इससे सबसे अधिक इससे प्रभावित हुए।

पूर्वी दिल्ली रेजिडेंट एसोसिएशन जॉइंट फोरम के अध्यक्ष बी एस वोहरा ने कहा "हम सभी के लिए मुश्किल समय है और इसलिए किराया मालिकों  द्वारा  माफ कर दिया जाना चाहिए, लेकिन केवल उनका जो लोग इसे चुका नहीं सकते हैं।"  
उन्होंने कहा कि संकट के इस समय में इस तरह के काम  "मानवीय आधार" पर किए जा सकते हैं और किसी भी सरकार द्वारा इस तरह आदेश नहीं दिए जाने चाहिए।

बाद में तर्क के लिए मालिकों को एक और बिंदु मिला गया क्योंकि दिल्ली सरकार के अप्रैल के आदेशों में मई महीने का कोई निर्देश शामिल नहीं था। जिसकी वजह से मज़दूरों और छात्रों को और भी संकट का सामना करना पड़ रहा है।  

इस तरह के कई व्यवहारिक कारणों ने दिल्ली सरकार के आदेश और हस्तक्षेप को निष्प्रभावी बना दिया है।

ऐसा ही एक मामला उत्तरी दिल्ली के मॉडल टाउन में रिपोर्ट हुआ। इसको लेकर वहां के पुलिस थाने में एक शिकायत एक निजी गर्ल्स पीजी के मालिक के खिलाफ दायर की गई थी। इस शिकायत में उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। इसपर मालिक के टिप्पणी के लिए समाचार पोर्टल  Edexlive ने उनसे संपर्क किया तो मालिक ने कथित तौर पर कहा कि यह उनकी आय का एकमात्र स्रोत है और उन्हें मार्च अप्रैल में कुछ भी आमदनी नहीं हुई है।
 
मार्च के अंत में, इस तरह के कॉल से तंग आकर दिल्ली में छात्रों ने एक साथ इकठ्ठा होकर लड़ने के का फैसला किया और इसके लिए स्टूडेंट्स टेनन्ट यूनियन (STU) का गठन किया गया। किरायेदार छात्रों के लिए इस तरह का पहला संगठन है। इसका उद्देश्य मालिकों द्वारा ताक़त के दुरुपयोग के ख़िलाफ़ लड़ाई है।  

STU  के वर्की परक्कल, जो स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की दिल्ली राज्य कमेटी के सदस्य भी हैं, उन्होंने कहा, “दिल्ली विश्वविद्यालय में ही तीन लाख से अधिक छात्र हैं और उनमें से अधिकांश कॉलेजों द्वारा दी गई सीमित छात्रावास सुविधाओं के कारण निजी आवास में रहते हैं। संघ के गठन का विचार एक किरायेदार के अधिकारों के लिए सामूहिक रूप से लागू करना है, जो इस संकट के समय की आवश्यकता है।”  

वर्की ने दावा किया, “जो संघर्ष कुछ मुट्ठी भर छात्रों के साथ शुरू हुआ था, अब उसमें इतने कम समय में 200 से अधिक लोग जुड़ गए हैं। न केवल छात्र, बल्कि कई श्रमिकों ने भी हमसे संपर्क किया है। एक व्हाट्सएप ग्रुप है जो मुद्दों के समन्वय और चर्चा के लिए बनाया गया है।

वर्की परक्कल कहते हैं, सबसे पहले हम किरायेदारों की समस्या को हल करना चाहते हैं और यूनियन मालिकों से भी बात करके एक सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुँचने का प्रयास कर रही है। परक्कल ने लॉकडाउन अवधि के दौरान छात्रों के किराये को रद्द करने की मांग के साथ STU द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 29 अप्रैल को भेजे गए एक पत्र का जिक्र करते हुए कहा,"हम मालिकों के दर्द को भी समझते हैं और इसीलिए हमने दिल्ली सरकार से उनकी आय में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए भी कहा है।"

दुनिया भर में कोरोना वायरस के प्रकोप को नियंत्रित करने के प्रयासों के कारण बहुत सारी आर्थिक गतिविधियां रुक गई हैं, कई अन्य देशों मे भी किराये को लेकर संघर्ष हो रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका के लॉकडाउन प्रभावित हिस्सों में ' किराया रद्द करें ' जैसी मांगें गूंज रही हैं।

भारत में भी किराये का संकट है, इसको देखते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने मकान मालिकों को तीन महीने के लिए किराया न लेने के लिए कहा है। इस बीच, केंद्र सरकार ने 29 मार्च के अपने आदेश में कहा था कि मालिक एक महीने के लिए किराया नहीं मांग सकते। हालांकि, भ्रम की स्थिति मई के महीने के लिए किराये पर हो गई है। क्योंकि संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। 

Coronavirus
COVID-19
Lockdown
Delhi
students
Tenants
Landlords
Student Tenants Union
AAP government
Tenants Distress
Lockdown Impact on Tenants

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License