NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
प्रीपेड बिजली मीटर के ख़िलाफ़ भाकपा-माले का प्रदर्शन, आंदोलन तेज़ करने का आह्वान
पार्टी ने इसे ग़रीब और मध्यम वर्ग विरोधी बताया और सरकार से इस फ़ैसले को पलटने की मांग करते हुए पुराना पोस्ट पेड मीटर ही रखने की मांग की है।
एम.ओबैद
26 Oct 2021
cpim

प्रीपेड बिजली मीटर के खिलाफ भाकपा-माले ने बिहार की राजधानी पटना में आयकर चौराहा स्थित बिजली विभाग के मुख्य कार्यालय विद्युत भवन पर प्रदर्शन किया। पार्टी ने इसे गरीब और मध्यम वर्ग विरोधी बताया और सरकार से इस फैसले को पलटने की मांग करते हुए पोस्ट पेड मीटर बहाल रखने की मांग की। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने नीतीश सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए कहा कि ये गरीबों और मजदूरों पर जुल्म है। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थी जिसपर लिखा था, "बिजली कंपनियों के मुनाफे के लिए गरीबों की जान मारना बंद करो। जबरन प्रीपेड मीटर लगाना बंद करो। आम लोगों की बदहाली और निजी कंपनियों की दलाली नहीं चलेगी। नीतीश सरकार शर्म करो! कोरोना काल को बिजली कंपनियों के मुनाफा के अवसर में बदलना बंद करो।"

भाकपा-माले प्रदेश कमेटी के सदस्य व ऐक्टू के प्रदेश सचिव रणविजय कुमार ने फोन पर बातचीत में कहा कि बड़ी संख्या में जनता कि शिकायत है कि पुराने पोस्ट पेड मीटर की तुलना में नया प्रीपेड बिजली मीटर ज्यादा यूनिट रीडिंग करता है जिससे लोगों का बिल ज्यादा हो रहा है। उन्होंने कहा नीतीश सरकार गरीब उपभोक्ताओं को बिजली कंपनियों का चारा बना रही। प्रीपेड मीटर लगाना गरीब, दलित व पिछड़े लोगों के खिलाफ निर्णय है। रणविजय ने कहा कि रोज कमाने–खाने वाले लोग अपने परिवार का भोजन, बच्चों की पढ़ाई, इलाज जैसे जरूरी काम निपटाने के बाद बकाया बिजली बिल किसी तरह एक-दो माह बाद 2 प्रतिशत प्रति माह सूद की दर से चुका दिया करता था, लेकिन अब नई प्रीपेड बिजली मीटर व्यव्यस्था में ऐसा नहीं कर पाएंगे।

ऐक्टू के प्रदेश सचिव रणविजय कुमार ने कहा कि गरीबों को बिजली इस्तेमाल करने से पहले ही एडवांस में बिजली बिल बिजली कंपनियों के खाते में जमा रखना होगा। जिस तरह प्रीपेड मोबाइल में बात करने के दौरान बैलेंस समाप्त होते ही बात करना किसी समय अचानक बंद हो जाता है ठीक उसी तरह प्रीपेड बिजली मीटर में गर्मी के समय, आधी रात को कभी भी पैसा समाप्त होते ही बिजली कट जाएगी फिर भोजन-पानी के साथ साथ गर्मी के मौसम लोगों के सामने समस्या पैदा हो जाएगी। इस तरह गरीब लोगों को बिजली बिल के लिए किसी से कर्ज लेकर मीटर रिचार्ज कराना होगा। यह खाना-पीना, बच्चों के स्कूल की फीस जमा करने से ज्यादा व पहली जरूरत बन जाएगा और इस तरह जीवन भर गरीबों के जीवन के सामने एक नया संकट खड़ा हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां पूरा देश और बिहार कोरोना से तबाह है वहीं दूसरी तरफ सरकार गरीबों पर जुल्म कर रही है। सरकार की प्राथमिकता में लोगों की जान बचाने का काम होना चाहिए लेकिन लोगों की जान बचाना प्राथमिक एजेंडा नहीं है। स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर पूरी दुनिया में बिहार की बदनामी हुई है। कोरोना को लेकर अभी पूरी दुनिया में सबसे अहम मुद्दा है कि कैसे स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरूस्त किया जाए लेकिन नीतीश-भाजपा सरकार लोगों की जान बचाने की बजाए बिजली कंपनियों के मुनाफा की गारंटी के लिए प्रीपेड मीटर लगा रही है। कोरोना से मर चुके लोगों के परिजनों को पैसे देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं लेकिन इनके बजट में प्रीपेड मीटर लगाने के लिए ग्यारह हजार करोड़ रूपया तुरंत आ जाता है और कंपनियों को ये ग्यारह हजार करोड़ रुपये दे दिए जाते हैं।

माले का कहना है कि नीतीश-मोदी सरकार कोरोना काल को बिजली कंपनियों के मुनाफा के अवसर में बदल रही और कम्पनियों के मुनाफा की गारंटी के लिए प्रीपेड बिजली मीटर का निर्णय लिया गया जिसे रद्द किया जाना चाहिए।

भाकपा-माले ने कहा कि बिहार में मजदूर, गरीब, दलित-पिछड़ा व रोज कमाने खाने वाले गरीब जो नोटबंदी, लॉकडाउन, बेरोजगारी के कारण पहले से ही प्रताड़ित हैं उनके ऊपर नीतीश–भाजपा सरकार द्वारा प्रीपेड मीटर लगाने का निर्णय थोपना एक नया संकट है।

प्रदर्शन के दौरान नेताओं ने नीतीश- भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना काल में स्वास्थ्य व्यवस्था को प्राथमिक एजेंडा बना अस्पतालों को दुरुस्त करने के बजाए बिजली कंपनियों के मुनाफा की गारंटी के एजेंडा पर काम कर रही है।

धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने प्रीपेड बिजली मीटर के दुष्परिणाम को लेकर कहा कि "पहले इस्तेमाल फिर भुगतान" वाली पुरानी "पोस्ट पेड" बिजली मीटर व्यवस्था को बदल कर अब इसकी जगह "पहले भुगतान फिर इस्तेमाल" यानी "प्रीपेड बिजली मीटर" लगाने का निर्णय मोदी-नीतीश सरकार ने लिया है। इस नई व्यव्यस्था ने महंगाई व बेरोजगारी की मार झेल रहे मजदूर- गरीब, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग व रोज कमाने- खाने वाले आम लोगों के जीवन में एक नया संकट पैदा कर दिया है।

संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि लगभग तीन करोड़ के आसपास विधुत उपभोक्ता हैं जिनमें 70 से 80 फीसदी गरीब उपभोक्ता है जिनके जीवन मे प्रीपेड बिजली मीटर एक नए संकट और आफत का जिंदगी भर के लिए सबब बन जाएगा।

माले ने कहा है कि प्रीपेड बिजली मीटर व्यवस्था को रद्द करने और पोस्ट पेड बिजली मीटर व्यव्यस्था को लागू रखने की मांग को लेकर राजधानी पटना के विभिन मुहल्लों में आंदोलन चलाया जाएगा। धरना के दौरान माले नगर कमेटी सदस्य जितेंद्र कुमार, मुर्तजा अली, पन्नालाल सिंह समेत अन्य नेता व कार्यकर्ता मौजूद थें।

Bihar
CPI-ML
CPI-ML protests
Prepaid electricity meters
AICCTU

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License