NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता का निधन, मज़दूर अंदोलन के लिए बड़ी क्षति
उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने वामपंथी नेता गुरुदास दासगुप्ता के निधन पर शोक जताया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
31 Oct 2019
gurudas
Image courtesy: The Hans India

कोलकाता: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद गुरुदास दासगुप्ता का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी। दासगुप्ता 83 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी और बेटी हैं।

दासगुप्ता पिछले कुछ महीने से फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे। पश्चिम बंगाल में भाकपा के सचिव स्वपन बनर्जी ने यह जानकारी दी। बनर्जी ने कहा, “कोलकाता स्थित अपने निवास पर सुबह छह बजे दासगुप्ता का निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे। खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने पार्टी के सभी पद छोड़ दिए थे लेकिन वे भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद के सदस्य थे।”

दासगुप्ता को 1985 में राज्य सभा के लिए चुना गया था। वे 2004 में पांसकुड़ा और 2009 में घाटल सीट से लोकसभा सदस्य थे। दासगुप्ता का राजनीति में पदार्पण पचास व साठ के दशक में एक छात्र नेता के रूप में हुआ था। सन 1964 में भाकपा से टूट कर भाकपा (मार्क्सवादी) बनने के बाद दासगुप्ता ने भाकपा में ही रहने का फैसला किया था।

दासगुप्ता के निधन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “भाकपा के नेता गुरुदास दासगुप्ता जी के निधन पर दुखी हूं। उन्हें एक सांसद के रूप में राष्ट्र को दिए योगदान और ट्रेड यूनियन के नेता के रूप में याद किया जाएगा। उनके परिवार, मित्रों और साथियों के प्रति संवेदना प्रकट करती हूँ।”

खराब स्वास्थ्य की वजह से उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को जाने माने वामपंथी नेता गुरुदास दासगुप्ता के निधन पर शोक जताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद में वह एक मुखर वक्ता थे।

अपने शोक संदेश में नायडू ने कहा कि दासगुप्ता संसद के एक सक्षम सदस्य और जाने माने ट्रेड यूनियन नेता थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘उनके शोकसंतप्त परिवारों, मित्रों एवं शुभचिंतकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भाकपा नेता ‘बेहद प्रतिबद्ध नेताओं में शुमार थे और अपनी विचारधारा के स्पष्ट समर्थक’ थे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘संसद में वह एक मुखर वक्ता थे, जिनके विचारों को समूचे राजनीतिक परिदृश्य में बड़ी गंभीरता से सुना जाता था।’

भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अमरजीत कौर ने न्यूज़क्लिक से कहा कि दासगुप्ता का  जाना मज़दूर आंदोलन के लिए बहुत ही बड़ी क्षति है। वो एक ऐसे नेता थे जो मज़दूर किसान के साथ ही महिला मज़दूरों के हक लिए भी लड़े। दासगुप्ता ने अपने संसदीय कार्यकाल में लोकतंत्रिक ताकतों के पक्ष में और मज़दूरों के हक़ में संसद में लगातार आवाज उठाई।

अमरजीत कौर ने एक वाकए को याद करते हुए कहा कि एक बार हौंडा के कर्मचारी यूनियन पर लाठीचार्च किया गया और यूनियन नेताओ को जेल में बंद कर दिया गया। उसके बाद उन्हें बहुत खराब खाना दिया जाता था उसको लेकर दासगुप्ता संसद में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने मज़दूरों का खून और उनके फटे कपड़े और सड़ी रोटी सदन के सामने रखा और बताया किस तरह से मज़दूरों के अधिकार पर हमला किया जा रहा है।

वो आगे कहती हैं कि इस तरह के कई मौके उनके संसदीय जीवन में आये जब उन्होंने मज़दूरों के सवाल पर पूरे विपक्ष को एकजुट किया। चाहे वो कांग्रेस की सरकार हो या बीजेपी की। इस समय में लगातार मज़दूरों के अधिकारों पर हमले हो रहे है ऐसे में मज़दूरों के साझा अंदोलन की जरूरत है। जिसके लिए दासगुप्ता जैसे नेताओ का होना बहुत जरूरी है।

इसके अलावा गुरुदास दासगुप्ता को क्रिकेट और रबींद्र संगीत में बेहद रुचि थी। वह बंगाल क्रिकेट संघ से भी जुड़े रहे और उन्होंने वहां कैब के सदस्य के रूप में काम किया। लेकिन उन्हें सबसे अधिक एक मज़दूर नेता के तौर पर याद किया जाएगा, जिसने तमाम मज़दूरों अंदोलन को एक साझे मंच पर लाने का सफल प्रयास किया।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Gurudas Das Gupta
Securities scandal
Peoples Movements
Trade Union movements
protests Strikes
Indo-US Nuclear Deal
2G scandal
Left movements Indian Left
CPI

Related Stories

दिल्ली: ''बुलडोज़र राजनीति'' के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे वाम दल और नागरिक समाज

LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च

बिना अनुमति जुलूस और भड़काऊ नारों से भड़का दंगा

जहांगीरपुरी हिंसा: वाम दलों ने जारी की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट, पुलिस की भूमिका पर सवाल

अपने वर्चस्व को बनाए रखने के उद्देश्य से ‘उत्तराखंड’ की सवर्ण जातियां भाजपा के समर्थन में हैंः सीपीआई नेता समर भंडारी

भारतीय वामपंथियों ने क्यूबा के क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो की 5वीं पुण्यतिथि पर उनके जीवन को याद किया

बिहार शराब कांडः वाम दलों ने विरोध में निकाली रैलियां, किया नीतीश का पुतला दहन


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License