NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
'डेको वाहिनी' की मदद से बंगाल में आंदोलनों को धार देने की तैयारी में सीपीएम
यह कोई अलग औपचारिक संगठन नहीं होगा, बल्कि एडवा की क्विक रिस्पांस टीम के रूप में काम करेगा। बांग्ला में डाक का मतलब किसी का आह्वान या बुलाना होता है।
सरोजिनी बिष्ट
12 Nov 2019
protest

पश्चिम बंगाल में इन दिनों हर राजनीतिक पार्टी अपनी गतिविधियों में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल कर अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है। इसके अलावा विभिन्न मुद्दों पर आंदोलन को लेकर भी राज्य की विपक्षी पार्टियों में तगड़ी प्रतिद्वंद्विता है। इस मुकाबले में अपनी बढ़त बनाने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महिला संगठन ने 'डेको वाहिनी' का गठन किया है।

यह कोई अलग औपचारिक संगठन नहीं होगा, बल्कि अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की क्विक रिस्पांस टीम के रूप में काम करेगा। बांग्ला में डाक का मतलब किसी का आह्वान या बुलाना होता है। यानी, नाम से ही जाहिर है कि 'डेको वाहिनी' बुलाने पर तुरत-फुरत में हाजिर होने वाला विशेष दस्ता होगा।

ऐसी घटनाएं अक्सर घटती रहती हैं जहां फौरन आंदोलन में उतरने की ज़रूरत होती है। बंगाल की तो पहचान ही रही है सरकारों के हर छोटे-बड़े अलोकतांत्रिक कदम व अन्याय के खिलाफ जोरदार आंदोलन की। 35 साल के अपने शासन में भी सीपीएम ने आंदोलनों से किनारा नहीं किया। विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विषयों पर वह सक्रियता से विरोध में उतरती रही। लेकिन सरकार में रहते हुए आंदोलन करना एक बात है और विपक्ष के रूप में भूमिका निभाते हुए आंदोलन करना दूसरी।

इस संबंध में सीपीएम की राज्य कमेटी के एक सदस्य ने एक बांग्ला अखबार से बातचीत में कहा है, ''सड़क पर उतरकर जनता के साथ खड़ा होना ही राजनीतिक लोगों का काम है। अब समय और हालात बदल चुके हैं। ऐसे में संगठन के बहुत से लोगों का मानना है कि फौरन प्रतिक्रिया जताने के लिए एक अलग टीम बनाने से सुविधा होगी।''

'डेको वाहिनी' के गठन की शुरुआत कोलकाता से हुई है। इसके लिए एडवा के कोलकाता जिला नेतृत्व ने संगठन की सदस्यों में से उन महिलाओं को खास तौर पर चयनित किया है, जो किसी आंदोलन या प्रतिवाद के लिए बुलाये जाने पर आनन-फानन में उपस्थित होने में सक्षम हों।

स्थानीय मीडिया में प्रकाशित एडवा की एक राज्य नेता ने इस संबंध में कहा है, ''प्रत्येक जिले में इस तरह की वाहिनी के गठन का इरादा है।

संगठन में ऐसी अनेक कार्यकर्ता हैं जो बुलाने पर फौरन पहुंचने में सक्षम हैं।'' फिलहाल कोलकाता के 40 अंचलों को लेकर 'डेको वाहिनी' का गठन किया गया है। प्रत्येक अंचल से आठ से दस महिलाओं को इसमें रखा गया है। इस तरह 300 से 400 महिलाएं कोलकाता में किसी आंदोलन या प्रतिवाद के लिए तुरंत उपस्थित हो सकती हैं।

पिछले दिनों एडवा का कोलकाता जिला सम्मेलन हुआ, जिसमें पेश सांगठनिक रिपोर्ट में 'डेको वाहिनी' का जिक्र है। रिपोर्ट में कहा गया है, ''विभिन्न कार्यक्रमों के लिए हमलोग कई अंचल कमेटियों को जोड़कर जुटान करते हैं। किसी घटना पर उसी समय प्रतिक्रिया के लिए 'डेको वाहिनी' बनायी गयी है।'' सम्मेलन के दौरान कहा गया कि कोलकाता राज्य की राजनीति का मुख्य केंद्र है। ऐसे में यहां 'डेको वाहिनी' की 300 से ज्यादा महिलाओं के हमेशा आंदोलन के लिए तैयार रहने से विभिन्न मसलों पर पार्टी की ओर से सार्थक और कारगर हस्तक्षेप किया जा सकेगा।

उल्लेखनीय है कि इन दिनों बंगाल की राजनीति बेहद गर्म है। विपक्षी भूमिका के लिए सीपीएम को भाजपा से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। भाजपा महिला मोर्चा की ओर से पहले ही 'दुर्गा वाहिनी' का गठन किया जा चुका है, जो राज्य की तृणमूल सरकार के खिलाफ आंदोलनों में लगातार सक्रिय है। जरूरत पड़ने पर तुरंत सड़क पर उतरा जा सके, इसके लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के महिला संगठन के पास भी 'बंगजननी वाहिनी' है। ऐसे में सीपीएम के महिला संगठन एडवा के लिए भी इसी तर्ज पर क्विक रिस्पांस टीम बनाना जरूरी हो गया था। थोड़ी देर से ही सही, पर अब सीपीएम इस दिशा में कदम बढ़ा चुकी है।

इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में सन 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले, 2020 में होनेवाले नगर निकाय चुनावों को राज्य की सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। नगर निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित होती हैं। यानी इन चुनावों में अच्छे प्रदर्शन के लिए किसी पार्टी में महिलाओं की भागीदारी व सक्रियता बहुत मायने रखती है। इसे देखते हुए राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने प्रत्येक बूथ पर कम से कम एक महिला बूथ कार्यकर्ता तैयार करने का लक्ष्य रखा है। भाजपा ने भी अपने महिला संगठन को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है। ऐसे में सीपीएम ने भी अपने महिला संगठन और पार्टी को मजबूती देने के लिए 'डेको वाहिनी' के माध्यम से एक नयी शुरुआत की है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। लंबे समय तक पश्चिम बंगाल में रही हैं।)

West Bengal
Bengal Movement
CPM
Women Participation
डेको वाहिनी
All india democratic woman
BJP
TMC
CPM Women's Organization ADVA

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    वर्ष 2030 तक हार्ट अटैक से सबसे ज़्यादा मौत भारत में होगी
    23 May 2022
    "युवाओं तथा मध्य आयु वर्ग के लोगों में हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं जो चिंताजनक है। हर चौथा व्यक्ति हृदय संबंधी रोग से पीड़ित होगा।"
  • आज का कार्टून
    “मित्रों! बच्चों से मेरा बचपन का नाता है, क्योंकि बचपन में मैं भी बच्चा था”
    23 May 2022
    अपने विदेशी यात्राओं या कहें कि विदेशी फ़ोटो-शूट दौरों के दौरान प्रधानमंत्री जी नेताओं के साथ, किसी ना किसी बच्चे को भी पकड़ लेते हैं।
  • students
    रवि शंकर दुबे
    बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?
    23 May 2022
    उत्तराखंड में एक बार फिर सवर्ण छात्रों द्वारा दलित महिला के हाथ से बने भोजन का बहिष्कार किया गया।
  • media
    कुश अंबेडकरवादी
    ज़ोरों से हांफ रहा है भारतीय मीडिया। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पहुंचा 150वें नंबर पर
    23 May 2022
    भारतीय मीडिया का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है, वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 150वें नंबर पर पहुंच गया है।
  • सत्येन्द्र सार्थक
    श्रम क़ानूनों और सरकारी योजनाओं से बेहद दूर हैं निर्माण मज़दूर
    23 May 2022
    निर्माण मज़दूर राजेश्वर अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं “दिल्ली के राजू पार्क कॉलोनी में मैंने 6-7 महीने तक काम किया था। मालिक ने पूरे पैसे नहीं दिए और धमकी देकर बोला ‘जो करना है कर ले पैसे नहीं दूँगा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License