NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
विज्ञान
भारत
अंतरराष्ट्रीय
क्या मौसम बदलने के साथ COVID-19 का प्रकोप कम हो जाएगा?
SARS and MERS जैसे दो कोरोना वायरस जिन्होंने पहले दुनिया भर में खलबली मचा दी थी उन्होंने ऐसा कोई सुराग नहीं दिया है।
संदीपन तालुकदार
19 Mar 2020
 COVID-19
.Image Courtesy : WANE.Com

जब कोरोना वायरस प्रकोप संयुक्त राज्य अमेरिका में नहीं पहुंचा था तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फरवरी में कहा था कि "एक सिद्धांत है कि अप्रैल महीने में जब मौसम गर्म हो जाता है तो यह वायरस को मारने में सक्षम होता है। वास्तव में हम अभी तक नहीं जानते हैं; हमें अभी यकीन नहीं है।”

हां, वास्तव में यह एक सच्चाई है कि कई वायरस किसी विशेष मौसम में महामारी का कारण बनते हैं। और, ये विचार कोई नया नहीं है लेकिन 2,500 साल पहले हिप्पोक्रेट्स और थ्यूसिडाइड्स के काल को दर्शाया जा सकता है। लेकिन, ऐसा क्यों होता है वह अभी भी दुनिया भर के शोधों का विषय बना हुआ है। इसलिए, जैसा कि ट्रम्प ने कहा है, क्या सामान्य तरीके से COVID-19 की मौजूदा महामारी के प्रति विचार व्यक्त किया जा सकता है। इसके लिए महत्वपूर्ण विचार की आवश्यकता है। अन्य बीमारियों पर अध्ययन से उपलब्ध जानकारी यह नहीं बताती कि तापमान बढ़ने के साथ COVID-19 अचानक गायब हो जाएगा।

यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) में COVID-19 को लेकर टिप्पणी करने वाले नैन्सी मेसोनियर ने कहा है- “मैं उस परिकल्पना की अधिक व्याख्या करने के प्रति सावधान रहूंगा। यदि मौसम SARS-CoV-2 को प्रभावित करता है तो यह इस पहले वर्ष में भी उस पैटर्न को चुनौती दे सकता है और फैलता रह सकता है क्योंकि लोगों को इसके लिए प्रतिरक्षा बनाने का मौका नहीं मिला है।"

कोलंबिया विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग इकोलॉजिस्ट मीकेला मर्टिनेज ने प्लोस पैथोजेंस में "द कैलेंडर ऑफ एपिडेमिक्स: सीजनल साइकिल्स ऑफ इंफेक्शियस डिजीज" शीर्षक से अपना पत्र प्रकाशित किया जिसमें 68 बीमारियों और उनके अजीबो गरीब चक्रों की सूची शामिल है। वह लिखती हैं, ''भूमध्यरेखीय क्षेत्रों को छोड़कर, रेस्पिरेट्री सिंसिशियल वायरस [respiratory syncytial virus (आरएसवी)] सर्दियों में होने वाली एक बीमारी है लेकिन चिकेनपॉक्स वसंत में सक्रिय होता है। रोटावायरस दक्षिण पश्चिम अमेरिका में दिसंबर या जनवरी में चरम पर होता है लेकिन पूर्वोत्तर में अप्रैल और मई में सक्रिय रहता है। जननांग दाद वसंत और गर्मियों में पूरे देश में उभरता है, जबकि टेटनस मध्य गर्मी में सक्रिय रहता है; गोनोरिया गर्मियों में उभरता है और कम होता है, और पर्टुसिस की जून से अक्टूबर तक अधिक घटना होती है।

सिफलिस चीन में सर्दियों में चरम पर होता है, लेकिन जुलाई में वहां टाइफाइड बुखार फैल जाता है। 'हेपेटाइटिस सी' भारत में सर्दियों में होता है, लेकिन वसंत या गर्मियों में मिस्र, चीन और मैक्सिको में चरम पर होता है। सूखे मौसम में नाइजीरिया में गिनी कृमि रोग और लासा बुखार होता है और ब्राजील में 'हेपेटाइटिस ए' होता है। "

मौसमी बीमारी को डेंगू के बुखार, चिकनगुनिया, अफ्रीकी नींद की बीमारी, जापानी इंसेफ्लाइटिस आदि जैसे कीटों द्वारा फैलने वाली बीमारियों से भी समझा जा सकता है। एक प्रकार का वायरस मौजूद होता है जो उक्त वातावरण और उक्त स्थान में वर्ष के किसी विशेष मौसम में फैलता है जो कि पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में माइक्रोबायोलॉजी के एक प्रोफेसर नील नैथनसन के शोध का विषय रहा है। नैथनसन का मानना है कि ये परिवर्तन मानव गतिविधि से स्वतंत्र है और जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण है वह है विशेष मौसम में मानव शरीर के बाहर रोगज़नक़ की जीवन क्षमता।

उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार के वायरस का आनुवंशिक पदार्थ केवल कैप्सिड प्रोटीन द्वारा कवर नहीं होता है बल्कि एक लिपिड झिल्लीदार पदार्थ द्वारा भी कवर होता है जिसे कवच (इनवेलप) कहा जाता है। इस कवच के माध्यम से वायरस पोषक सेल से चिपक जाता है और यहां बड़ी संख्या में अन्य वायरस को उत्पन्न करता है। नैथनसन कहते हैं, "कवच वाले वायरस प्रतिकूल परिस्थितियों में अधिक भंगुर और संवेदनशील होते हैं।"

यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के विषाणुविज्ञानी (वायरोलॉजिस्ट) संदीप रामलिंगम ने साल 2019 में साइंटिफिक रिपोर्ट्स में एक शोध प्रकाशित किया जिसमें नौ वायरस की उपस्थिति और मौसमी संबंध को लेकर अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में, उक्त क्षेत्र में इलाज कराने वाले लोगों से छह साल की अवधि में 56,000 श्वसन (रेस्पिरिट्री) से संबंधित नमूने लिए गए थे। अध्ययन में कहा गया है कि कवच वाले वायरस में एक निश्चित मौसमी-तत्व हैं।

कोलंबिया के एक जलवायु भूभौतिकीविद् जेफरी शमन के अनुसार कुछ वायरस में मौजूद कवच के साथ जो सबसे ज्यादा मायने रखता है वह है पूर्ण आर्द्रता (absolute humidity) जो वायरस की मौसमी तत्व की व्याख्या करता है। पूर्ण आर्द्रता हवा की दी गई मात्रा में मौजूद जल वाष्प की कुल मात्रा को दर्शाती है। साल 2010 में जेफरी शमन के नेतृत्व में प्लोस बायोलॉजी में प्रकाशित पेपर में पाया गया कि इन्फ्लूएंजा के प्रकोप की शुरुआत के लिए पूर्ण आर्द्रता एक प्रेरक शक्ति है। जब सर्दियों में पूर्ण आर्द्रता कम हो जाती है तो इन्फ्लूएंजा वायरस फैलता है और गर्मियों में जब यह बढ़ता है तो इस वायरस का फैलना कम हो जाता है। लेकिन इस वायरस के फैलने में पूर्ण आर्द्रता कैसे मदद करती है यह अभी तक ज्ञात नहीं है।

SARS-COV-2 जो COVID प्रकोप का एक प्रेरक एजेंट है इसका कवच होता है। तो क्या अप्रैल में गर्मी के करीब आते ही ये वायरस फैल जाएगा जब तापमान के साथ पूर्ण आर्द्रता बढ़ जाती है? लेकिन, पहले के दो कोरोना वायरस SARS और MERS जिन्होंने दुनिया भर में घबराहट पैदा कर दी थी उनके कारणों का कोई सुराग नहीं मिलता है। SARS 2002 के अंत में फैला था और 2003 की गर्मियों तक दब गया था। MERS का प्रकोप अस्पतालों में हुआ लेकिन COVID -19 की तरह व्यक्ति से व्यक्ति तक इसका संक्रमण नहीं था। न ही वायरस बहुत लंबे समय तक जीवित रहा जिससे कि कोई भी मौसमी चक्र प्रकट हो सके।

इसके अलावा, COVID-19 का वायरस स्पष्ट रूप से गर्म और आर्द्र स्थितियों में फैल सकता है। उदाहरण के लिए सिंगापुर की गर्म और आर्द्र स्थिति के बावजूद इस देश में मामलों की बढ़ती संख्या सामने आई है।

अन्य सबसे महत्वपूर्ण पहलू लोगों का समग्र प्रतिरक्षा स्तर है। अध्ययनों से पता चला है कि मानव प्रतिरक्षा भी पूरे वर्ष में बदलती रहती है। वर्ष की एक विशेष अवधि में कुछ प्रतिरक्षा कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे प्रतिरक्षा में वृद्धि होती है, जबकि प्रतिरक्षा कोशिकाओं का अन्य समुच्य वर्ष की अन्य अवधि में अधिक शक्तिशाली बन सकते हैं। COVID-19 के संबंध में मानव प्रतिरक्षा कितनी घातक होगी यह अभी भी अज्ञात है। इसके अलावा, नोवल कोरोनवायरस को लेकर प्रतिरक्षा विकसित करने में कुछ समय लगेगा।

शोध की ये श्रेणियां COVID के प्रकोप के समय में सुर्खियों में आ सकती हैं लेकिन अब तक कोई भी निश्चित निष्कर्ष को लेकर कुछ भी नहीं कह सकता है कि मौसमी परिवर्तन लोगों को महामारी से बचा देगा या कि लोगों को पर्यावरण से किसी मदद के बिना इससे लड़ना होगा।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Can COVID-19 Wane with Season?

COVID-19
SARS
MERS
SARS-C0V-2
novel coronavirus
Spread of COVID 19

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License