NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
क्या बच्चों को सुरक्षित किए बगैर कोरोना से जंग जीती जा सकती है?
यूनिसेफ और ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना महामारी 2020 के अंत तक पूरी दुनिया में 8.6 करोड़ बच्चों को गरीबी में धकेल सकती है। इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि लाखों बच्चे खसरा, डिप्थीरिया और पोलियो जैसे जीवन रक्षक टीके से वंचित रह जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं। लेकिन भारत सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के कोरोना राहत पैकेज में बच्चों के लिए अलग से कोई राशि जारी नहीं की है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
01 Jun 2020
 Save the children
Image courtesy: Twitter

दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट के कारण 2020 के अंत तक कम और मध्यम आय वाले देशों में गरीब घरों में रहने वाले बच्चों की संख्या 8.6 करोड़ तक बढ़ सकती है। यूनिसेफ और मानवतावादी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी 2020 के अंत तक 8.6 करोड़ और बच्चों को पारिवारिक गरीबी में धकेल सकती है।

विश्लेषण में कहा गया है कि यदि महामारी के कारण होने वाली वित्तीय कठिनाइयों से परिवारों को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो कम और मध्यम आय वाले देशों में राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले बच्चों की कुल संख्या वर्ष के अंत तक 67.2 करोड़ तक पहुंच सकती है।

विश्लेषण में कहा गया है कि इनमें से लगभग दो-तिहाई बच्चे उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में रहते हैं। सबसे अधिक 44 प्रतिशत वृद्धि यूरोप और मध्य एशिया के देशों में देखी जा सकती है। लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों में 22 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा सकती है।

यही नहीं इससे पहले यूनिसेफ ने चेतावनी दी थी कि दुनिया भर में फैली कोरोना वायरस महामारी के चलते लाखों बच्चे खसरा, डिप्थीरिया और पोलियो जैसे जीवन रक्षक टीके से वंचित रह जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से पहले हर साल खसरा, पोलियो और अन्य टीके एक साल से कम आयु के लगभग दो करोड़ बच्चे की पहुंच से दूर थे। यूनिसेफ ने मौजूदा हालात को लेकर चेतावनी दी है कि यह 2020 में और इसके आगे भी भयावह स्थिति पैदा कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने शनिवार को कहा कि 2018 में 1.3 करोड़ बच्चे टीकाकरण से वंचित रह गये थे।

विश्व टीकाकरण सप्ताह के 2020 सत्र की शुरुआत पर अपनी अपील में यूनिसेफ ने कहा है कि कोविड-19 को फैलने से रोकने में विश्व के जुटे होने के चलते टीकाकरण सेवाओं के बाधित होने के चलते लाखों बच्चे खसरा, डिप्थीरिया और पोलियो के जीवन रक्षक टीकों से वंचित रह सकते हैं।

यूनिसेफ के प्रधान सलाहकार एवं टीकाकरण प्रमुख रॉबिन नंदी ने कहा, ‘...टीकाकरण के साथ बच्चों के लिये हमारा जीवन रक्षक कार्य ज़रूरी है।’ यूनिसेफ का आकलन है कि वर्ष 2010 से 2018 के बीच खसरे की पहली खुराक से 18.2 करोड़ बच्चे वंचित रह गये।

इससे पहले भी इसी महीने यूनिसेफ़ ने चेतावनी दी थी कि पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने से भारत में अगले छह महीनों में पांच साल से कम उम्र के तीन लाख बच्चों की मौत हो सकती है।

यूनिसेफ के अनुसार आने वाले समय में पूरे दक्षिण एशिया में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का आंकड़ा लगभग चार लाख 40 हज़ार तक पहुंच सकता है। इनमें सबसे ज़्यादा मौतें भारत में ही होने की संभावना है।

यह भी पढ़ें:स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव में जा सकती है देश में लाखों बच्चों की जान!

यूनिसेफ का ये अनुमान जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं के एक विश्लेषण पर आधारित है। यह विश्लेषण हाल ही में लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने से भारत में अगले छह महीनों में पांच साल से कम उम्र के तीन लाख बच्चों की मौत हो सकती है। बाल मृत्यु का ये आँकड़ा उन मौतों से अलग होगा जो कोविड-19 के कारण हो रही हैं।

इस विश्लेषण के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण परिवार नियोजन, प्रसव, प्रसव से पहले और प्रसव के बाद की देखभाल, टीकाकरण और उपचारात्मक सेवाओं में रुकावट आ रही है। पोषण में कमी और जन्मजात सेप्सिस व निमोनिया के उपचार में कमी भविष्य में सबसे ज़्यादा बाल मृत्यु का कारण हो सकते हैं।

इन सबसे बचने के लिए यूनिसेफ और सेव द चिल्ड्रेन ने सभी सरकारों से अनुरोध किया है कि वे अपनी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली का विस्तार करें। स्कूलों में बच्चों को खाना उपलब्ध करवाने में तेजी लाएं, जिससे महामारी के असर को कम किया जा सके।

यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोर ने कहा है कोरोना की वजह से परिवारों पर बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट आएगा। इससे बच्चों में गरीबी कम करने में अब तक हुई प्रगति कई साल पीछे हो जाएगी। बच्चे जरूरी सेवाओं से वंचित हो जाएंगे।

हालांकि सेव द चिल्ड्रेन के प्रमुख इंगर एशिंग के मुताबिक तत्काल और निर्णायक कदम उठाकर गरीब देशों पर पड़ने वाले महामारी के असर को रोका जा सकता है। इससे महामारी से सबसे अधिक प्रभावित बच्चों को भी बचाया जा सकेगा। इन बच्चों पर कम समय में भी भूख और कुपोषण का ज्यादा असर हो सकता है। इससे उनके पूरे जीवन पर असर पड़ने का खतरा है।

हालांकि दूसरी ओर भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को देखकर लगता है कि वह इन चेतावनियों से बेखबर हैं।

बच्चों के स्वास्थ्य पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सचिन कुमार जैन लिखते हैं, '13 मई 2020 से पांच दिन तक देश की वित्तमंत्री ने 20.97 लाख करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर पैकेज जारी करती रहीं, पर उन्होंने एक रुपये का भी आवंटन कुपोषण और मातृत्व हक के लिए नहीं किया। ऐसे में क्या सरकार बच्चों और महिलाओं को भूखे-कमज़ोर रखकर भारत को आत्मनिर्भर बना सकती है?'

फिलहाल बच्चे कोरोना महामारी की चपेट में सबसे ज्यादा है। एक तरफ उनके बीमार होने का खतरा ज्यादा है तो दूसरी तरफ इससे उनका टीकाकरण प्रभावित हो रहा है। साथ में उनके भुखमरी के चपेट में आने की संभावना ज्यादा है। ऐसे में यह तय है कि सरकारों को तत्काल कदम उठाकर बच्चों की स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करना होगा। अन्यथा बच्चों के बगैर कोरोना महामारी से चल रही जंग में हम कमजोर ही बने रहेंगे।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Coronavirus
COVID-19
Coronavirus Epidemic
Global Epidemic
UNICEF
WHO
poverty
Hunger Crisis
malnutrition in children
Save the children

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License