मोदी सरकार, सरकार की भूमिका की जगह कॉरपोरेट के मैनेजर की भूमिका में पूरी तरह खुलकर आ गई है। ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ के नाम पर सरकार का सारा ज़ोर निजीकरण में है, सबकुछ बेच देने में है।
मोदी सरकार, सरकार की भूमिका की जगह कॉरपोरेट के मैनेजर की भूमिका में पूरी तरह खुलकर आ गई है। ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ के नाम पर सरकार का सारा ज़ोर निजीकरण में है, सबकुछ बेच देने में है। बैंक, रेलवे, एलआईसी, एयरपोर्ट समेत कई कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने में लगी हुई है।
आपको मालूम है कि पिछले महीने केंद्र सरकार ने पेश किए गए बजट में पहली बार संपत्ति के मुद्रीकरण की योजना को खुल कर पेश किया था। ख़बर है कि अब केंद्र सरकार इस योजना को अमल में लाकर करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य बना रही है। जिसके लिए 8 मंत्रालयों ने अपनी उन संपत्तियों का ब्योरा सामने रखा है, जिन्हें भविष्य में बेचा जा सकेगा।