कोरोना वायरस से बचने के लिए प्रधानमंत्री ने ‘दो गज़ की दूरी’ के मंत्र की सराहना की, लेकिन हमारे मीडिया का एक बड़ा हिस्सा समाज में नफ़रत की ‘सौ गज़ की खाई’ खोदने में लगा है।
कोरोना वायरस से बचने के लिए दुनिया के साथ भारत में ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का फार्मूला सुझाया गया है। इसके लिए कम से 6 फीट की फिज़िकल यानी शारीरिक दूरी के निर्देश हैं। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पंचायत दिवस पर ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ यानी सामाजिक दूरी को सरल शब्दों में परिभाषित करने के ‘दो गज़ की दूरी’ के मंत्र की सराहना भी की। लेकिन इसके उलट हमारे समाज की एक और हक़ीक़त भी है, जिसमें कोरोना की जगह नफ़रत के वायरस ने बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर रखा है जिसमें मीडिया का भी एक बड़ा हिस्सा है, जो इस बीमारी के काल में भी हिन्दू-मुस्लिम के बीच दो गज़ की दूरी नहीं बल्कि घृणा और विद्वेष की सौ गज़ की खाई खोद देना चाहता है!