NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कला
भारत
राजनीति
भारतीय संविधान का जश्न मनाओ, रौशन करो और उसकी रक्षा करो
इस संविधान में भारत के विचार को औपचारिक रूप दिया गया था और इसका उद्देश्य प्रगति का होना था। एक असाधारण दस्तावेज़ जिस पर ग़ैर-काल्पनिक ढंग से हमले किए गए और इसके बचाव में सबको कूदना पड़ा, क्योंकि इसे बचाने की ज़िम्मेदारी हम में से हर एक की है।
अबान रज़ा  
07 Aug 2020
Translated by महेश कुमार
भारतीय संविधान का जश्न मनाओ, रौशन करो और उसकी रक्षा करो
"मैं उस दिन को कभी नहीं भूलूंगा, जिस दिन मेरी सांसें फूलने लगीं थी", सना इरशाद मट्टू, कश्मीर; छवि कलाकार के सौजन्य से।

5 अगस्त को भारतीय संविधान की धज्जियाँ उड़ाने के लिए याद रखा जाएगा। 2019 की इस तारीख को हमलों की एक नई झड़ी की शुरूवात की गई थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य में असंवैधानिक लॉकडाउन और उसका विभाजन शामिल है। 2020 की तारीख़ में बड़ों हमलों की इस भव्य इमारत में अन्याय की एक और ईंट जड़ दी गई। सर्वोच्च न्यायालय, जो जम्मू और कश्मीर के बारे में संवैधानिकता के बुनियादी सवाल पर फैसला करने में विफल रहा है, ने सर्वसम्मति से बाबरी-रामजन्मभूमि मामले में विरोधाभासी निर्णय पारित कर दिया, जो निर्णय बहुमतवादी विचार की भावनाओं संजोता है।

इसके अलावा, नागरिकता संशोधन अधिनियम, नागरिकता के राष्ट्रीय रजिस्टर और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और [सीएए-एनआरसी-एनपीआर] को वर्तमान राजनीतिक सत्ता ने अनुमानित रूप से गैर-बर्दाश्त और भय का माहौल पैदा कर दिया। जिन लोगों को दीमक कहा गया, ये वही लोग हैं जो अपनी नागरिकता खोने के कगार पर खड़े हैं।

सांप्रदायिक भाषा और पहचान की खौफनाक राजनीति की वैधता के कारण विश्वविद्यालयों में ऐसे आंदोलन हुए जो बड़े ही संगठित ढंग से सड़कों तक फैल गए। इस कोलाहल से और सभी तरह की धूल के बीच शहीन बाग और इस जैसे कई आंदोलन के केंद्र उभरे, जिसने आम जनता से प्रतिरोध के खिलने का वादा कर लिया।

Art

विशाल कुमार कपड़े पर चित्रकारी "अंधेरे समय में"। छवि सौजन्य: सहमत

हर तरह की उथल-पुथल के इस वर्ष के बीच हमारा संविधान इस साल 70 वर्ष का हो गया है। इसके टेक्स्ट में भारत के विचार को औपचारिक रूप दिया गया था और इस काम को प्रगति की राह पर होना था। इस किस्म के असाधारण दस्तावेज पर गैर-काल्पनिक हमले किए गए और अंतत सभी को इसे बचाने के लड़ाई में कूदना पड़ा, क्योंकि हम में से हर एक की इसे बचाने की जिम्मेदारी बनती है। इसके मद्देनजर दिल्ली के कलाकारों के एक समूह और सहमत ने मिलकर एक प्रदर्शनी आयोजित करने की रूपरेखा तैयार की जिसका शीर्षक था, जश्न मनाओं, उजाले करो,  ताज़गी लाओ और साथ ही भारत के संविधान की 70वीं वर्षगांठ पर उसकी रक्षा करो। 

सड़कों पर चल रहे आंदोलन की तरफ यह एक छोटा सा योगदान था, यह प्रतिरोध की आवाज को बढ़ाने और सत्तारूढ़ डिस्पेंसन के असंवैधानिक कदमों के खिलाफ एक सामूहिक स्टैंड लेने का प्रयास था।

Art

"मैं गैंडा नहीं बनूंगा"; मैड पौल द्वारा कैनवास पर डिजिटल प्रिंट,नई दिल्ली। छवि कलाकार के सौजन्य से।

Art

 "जामिया 2019"; राम रहमान द्वारा डिजिटल प्रिंट, छवि सौजन्य: सहमत

संविधान बचाने की भावना को लेकर हम 54 कलाकार एक साथ आए और संविधान के संरक्षको के साथ लड़ाई में सड़कों पर उतर गए। समय के साथ, अधिक-अधिक से आवाजें खुद को प्रदर्शनी के साथ जोड़ती चली गई। इसके पीछे विचार यह था कि अधिक से अधिक आवाज़ों को इस बढ़ते प्रतिरोध के साथ जोड़ा जाए और प्रतिरोध के आधार को विस्तारित किया जाए। प्रदर्शनी के भीतर पेंटिंग, बैनर से लेकर मूर्तियां और वीडियो तक शामिल किए गए थे और इसमें फोटोग्राफी और कविता भी शामिल थी।

प्रतिरोध की तरह कला का भी सृजन किए जाने की जरूरत है, जवाब देने और खुद के सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ में उसके प्रासंगिक बने रहने की जरूरत है, और अन्याय की सभी बारीकियों के खिलाफ लड़ने और उसे बयान करने की जरूरत है। संविधान हमें इस तरह की जरूरतों को संबोधित करने का मार्गदर्शन देता है और एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए कहता है जहां प्रत्येक व्यक्ति की पहचान की सराहना की जाए यानि हर इंसान की कद्र जो जैसा वैसे ही की जाए। 

जैसा कि सहमत का "कलाकारों को किए गए आह्वान” में कहना था कि यह, "प्रदर्शनी साहस की भावना को दर्ज़ करना चाहती है, भविष्य की संभावनाओं को खोजना चाहती है और इस प्रतिरोध के माध्यम से बदलाव के ख़्वाब को जीने की कोशिश करना चाहती है जिसे" हम, “भारत के लोग" पूरी तरह से बनाए रखने का संकल्प लेते हैं। कलाकारों के कई कार्यों ने संविधान के नाम को इस्तेमाल किया और यह विचार भारत के विचार का उत्सव बन गया, जिसे हम संजोते हैं- एक ऐसा विचार जो आज न केवल भारत को परिभाषित करता है, बल्कि वह कल एक न्यायपूर्ण समाज का आधारभूत स्तंभ भी बनेगा।"

अबान रज़ा दिल्ली स्थित विज़ुअल आर्टिस्ट हैं

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Celebrate, Illuminate, Defend the Indian Constitution at 70

Indian constitution
SAHMAT
Attacks on constitution
Kashmir
Article 370 secularism
art exhibition

Related Stories


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    विश्व आर्थिक मंच पर पेश की गई ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौर में फूड फ़ार्मा ऑयल और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने जमकर कमाई की।
  • परमजीत सिंह जज
    ‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप
    26 May 2022
    पंजाब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब की गिरती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना है, और भ्रष्टाचार की बड़ी मछलियों को पकड़ना अभी बाक़ी है, लेकिन पार्टी के ताज़ा क़दम ने सनसनी मचा दी है।
  • virus
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या मंकी पॉक्स का इलाज संभव है?
    25 May 2022
    अफ्रीका के बाद यूरोपीय देशों में इन दिनों मंकी पॉक्स का फैलना जारी है, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मामले मिलने के बाद कई देशों की सरकार अलर्ट हो गई है। वहीं भारत की सरकार ने भी सख्ती बरतनी शुरु कर दी है…
  • भाषा
    आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद
    25 May 2022
    विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    "हसदेव अरण्य स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल"
    25 May 2022
    हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने जंगल, जीवन, आजीविका और पहचान को बचाने के लिए एक दशक से कर रहे हैं सघंर्ष, दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License