NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने बजट सत्र के दौरान बेरोज़गारी, मूल्य वृद्धि के ख़िलाफ़ 2-दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है
सीटीयू के नेतृत्व की ओर से केंद्र सरकार द्वारा “लोगों के मानव अस्तित्व को बचाए रखने के अधिकार को कमज़ोर करने” के खिलाफ निंदा प्रस्ताव को अपनाते हुए अपनी दस मांगों को पेश किया गया है।
रौनक छाबड़ा
12 Nov 2021
Central TUs
सम्मेलन में भाग लेने वालों में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय नेतृत्व सहित संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व ने भी हिस्सा लिया। चित्र साभार: सेंट्रल ट्रेड यूनियंस 

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयूज) की ओर से गुरूवार को घोषित राष्ट्रव्यापी कार्यवाई कार्यक्रम के हिस्से के तौर पर आने वाले दिनों में श्रम सहिताओं का खात्मा करने, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन को वापस लेने, ग्रामीण गारंटी योजना के लिए आवंटन में बढ़ोतरी करने और मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए उपचारात्मक उपायों को सुनिश्चित करने जैसे कुछ मुख्य मांगों को उठाने का निर्णय किया गया है।

इस तर्क को पेश करते हुए कि मेहनतकश लोगों के “चल रहे एकताबद्ध संघर्ष” को “प्रतिरोध के स्तर तक” बढाये जाने की जरूरत है, इसके लिए सीटीयू के द्वारा अगले वर्ष संसद के बजट सत्र के दौरान दो-दिवसीय देशव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस बारे में तारीखों का निर्णय अभी किया जाना शेष है। इसके साथ ही श्रमिक संगठनों की ओर दिल्ली में किसानों के मार्च के एक साल पूरे हो जाने के उपलक्ष्य में 26 नवंबर को एक राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन को भी आयोजित किये जाने की घोषणा की गई है।

इस फैसले को गुरूवार को नई दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में सीटीयू के संयुक्त मंच के द्वारा देश में बढ़ती बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हालिया वृद्धि की पृष्ठभूमि में लिया गया है। 

सम्मेलन में भागीदारी करने वालों में दस केन्द्रीय श्रमिक संघों का राष्ट्रीय नेतृत्व शामिल था। इस सम्मेलन में उनके साथ देश भर के स्वतंत्र महासंघों के प्रतिनिधियों और संयुक्त किसान मोर्चे के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया है, जो तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसानों के मोर्चे का छतरी निकाय है।

मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के द्वारा साझा किये गए अक्टूबर महीने के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल रोजगार में 55 लाख की गिरावट दर्ज की गई है। त्यौहार का महीना होने के बावजूद यह गिरावट रोजगार के परिदृश्य में विकट स्थिति की ओर इशारा करती है, जबकि बेरोजगारी की दर अभी भी 8% के उच्च स्तर पर के आसपास बनी हुई है। 

हालात को बद से बदतर बनाने के लिए, करोड़ों कामकाजी भारतीय के घरों पर निरंतर मुद्रास्फीति का दबाव डाला जा रहा है, जिनकी आय पहले से ही महामारी की मार से धराशाई हो रखी है। इस बीच पिछले कुछ महीनों से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर बनी हुई हैं, जिसमें हाल ही में उत्पाद शुल्क में कटौती किये जाने के बाद जाकर कुछ गिरावट देखने को मिल रही है।

सम्मेलन में नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार द्वारा “लोगों के मानवीय अस्तित्व के अधिकार को निचोड़कर रख देने” वाली नीतियों की निंदा करने वाली एक घोषणा को सीटीयू में शामिल इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, ऐक्टू, एलपीएफ और यूटीयूसी के नेतृत्व द्वारा पारित किया गया। 

श्रमिक संघों ने केंद्र सरकार पर महामारी के दौरान कामकाजी आबादी को पर्याप्त सहायता प्रदान नहीं करने, बल्कि इसके उलट राष्ट्रीय संपत्तियों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के “अंधाधुंध निजीकरण” को आगे बढ़ाने की राह को चुनने पर जमकर लताड़ लगाई है।

इस घोषणा में सीटीयू द्वारा दस-सूत्रीय मांगों वाले चार्टर को शामिल किया गया है, जिसमें गैर-आय करदाताओं के लिए प्रतिमाह 7500 रूपये की आय और खाद्य सहायता को शामिल किया गया है। केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने आगामी महीनों के लिए एक एक्शन प्रोग्राम की भी घोषणा की है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के मार्च के एक साल पूरे हो जाने के अवसर पर 26 नवंबर को देशव्यापी प्रदर्शन की भी घोषणा शामिल है। संयोगवश पिछले वर्ष भी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत मेहनतकश लोगों के देशव्यापी आम हड़ताल के साथ किसानों का आंदोलन भी एक साथ शुरू हुआ था।

इसके द्वारा अप अपनाए गए घोषणापत्र में कहा गया है कि किसानों और श्रमिकों को अपने “एकताबद्ध संघर्ष” को इसके “तार्किक अंजाम तक पहुंचाने के लिए इस प्रतिगामी नीति शासन को निर्णायक तौर पर परास्त करने” के काम को हर हाल में आगे बढ़ाना होगा। इसमें आगे कहा गया है कि यह लड़ाई राष्ट्र और इसके लोगों को “बचाने” की है।

घोषणापत्र में आगे कहा गया है “इस बात में कोई शक नहीं कि मजदूर वर्ग के आंदोलन के समक्ष कड़ी चुनौतियाँ मौजूद हैं। लेकिन हम उन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अपने संयुक्त संघर्ष को आगे बढ़ाने के क्रम को जारी रखेंगे।”

एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, “देश की आम जनता आज वर्तमान सरकार की किसान-विरोधी, मजदूर-विरोधी नीतियों की वजह से संकट में है। मजदूर संगठनों को अपने विरोध के माध्यम से केंद्र सरकार को इस सच्चाई से अवगत कराना होगा।”

सम्मेलन में भाग ले रहे प्रतिनिधियों के साथ-साथ सरकारी, बैंक एवं बीमा कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कौर ने कहा कि मजदूरों और किसानों के बीच में जो “एकता” विकसित हुई है उसे आने वाले दिनों में और मजबूत किये जाने की आवश्यकता है।

सीटू के महासचिव तपन सेन ने मजदूरों के प्रतिरोध कार्यक्रम को “मिशन इंडिया” करार दिया। उनके अनुसार यह संघर्ष न सिर्फ लोगों के अधिकारों और आजीविका को बचाने को लेकर है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और समूची लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाने के लिए भी है।

अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा, “सेंट्रल ट्रेड यूनियनों द्वारा आज जिन कार्यक्रमों की घोषणा की जा रही है, आने वाले दिनों में प्रत्येक कामगार व्यक्ति को उसमें शामिल होने की जरूरत है और सरकार के समक्ष इस बात की घोषणा करनी होगी कि उसे राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हमारा नारा है ‘जनता को बचाओ, देश को बचाओ’।”

केंद्रीय श्रमिक संघों के द्वारा संयुक्त कार्यवाई कार्यक्रम की घोषणा में राज्य स्तरीय सम्मेलनों और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी संघों की संयुक्त बैठकों को आयोजित करने की घोषणा शामिल है। इसके अलावा, दिसंबर 2021 और अगले वर्ष जनवरी के महीने के लिए देश भर में अन्य बातों के अलावा, जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान के हिस्से के तौर पर आम सभाएं करने, हस्ताक्षर अभियान चलाने के लिए योजना बनाई गई है। 

इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने को उत्सुक 50 वर्षीय रामेश्वर दयाल भी गुरूवार को राष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित थे। पिछले 10 वर्षों से दिल्ली जल बोर्ड में एक ठेका श्रमिक के तौर पर कार्यरत रामेश्वर दयाल ने न्यूज़क्लिक को बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम अक्सर नियोक्ताओं पर श्रमिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से पीछे न हटने के लिए दबाव डालने का काम करते हैं।

अफ़सोस जताते हुए दयाल ने बताया कि “पिछले साल और इस साल के दोनों ही लॉकडाउन के दौरान मुझे मेरी मासिक तनख्वाह नहीं दी गई। ठेकेदार ने हमें कोई बोनस तक नहीं दिया है।” उन्होंने बताया कि “ऐसी स्थिति में, यदि समूची श्रमशक्ति एकजुट हो जाये तो संभव है कि हमें वह हासिल कर पाने में मदद मिल सके, जिसके हम हकदार हैं।”

राजस्थान के बीकानेर की 63 वर्षीया आशा नैनवाल की भी कुछ इसी प्रकार की राय थी। स्व-रोजगार महिला संस्था (सेवा)- राजस्थान की राज्य महासचिव, नैनवाल के अनुसार उन्हें इस बात का यकीन है कि उनके राज्य की असंगठित महिला श्रमिक आगामी आम हड़ताल में हिस्सा लेने के लिए पहले से कहीं अधिक उत्सुक होंगी।

उन्होंने कहा “राजस्थान में हमारे संगठन के साथ गृह-आधारित काम करने वाली 50,000 महिला श्रमिक जुड़ी हुई हैं। महामारी के बाद उनके बीच में एक आम शिकायत यह बनी हुई है कि उनकी दैनिक कमाई इतनी कटौती कर दी गई है कि जिसके चलते अंततः उन्हें घर चलाने के लिए कर्ज लेने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।”

नैनवाल का आगे कहना था कि इन अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं की मुख्य मांग सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा को शुरू करने और न्यूनतम मजदूरी की दरों को लागू करने की रही है। उन्होंने कहा, “महिलाएं अपने हकों के लिए आवाज बुलंद करेंगी; सरकार को जल्द से जल्द उनके मुद्दों को हल करना होगा।”

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Central TUs Call for 2-Day Strike Against Unemployment, Price Rise During Budget Session

Joint Platform of Central Trade Unions
general strike
CITU
AITUC
Labour Codes
National Monetisation Pipeline
Central Government
Narendra modi

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License