क्या शासन की भटकी हुई प्राथमिकता लोगों के लिए मुसीबत बन रही है? कुछ ठोस उदाहरण के साथ भारत की भयावह कोरोना-स्थिति का आकलन कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश .
पिछले कुछ दिनों से देश में कोरोना से रोजाना तीन हजार से ज्यादा लोगों के मरने की खबरें आ रही हैं. राष्टीय राजधानी से लेकर देश के कोने-कोने में लोगों को अस्पताल में जगह नही मिल रही है. ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. दूसरी तरफ Lockdown के बावजूद 'आवश्यक वस्तु' घोषित कर दिल्ली में संसद के नये भवन और अन्य सरकारी महलों के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है. आखिर हमारी सरकार की प्राथमिकता क्या है? लोगों की जान बचाना या नये-नये 'राजमहल' बनवाना? देश के आधुनिक इतिहास में पहली बार टीका का भी बिजनेस हो रहा है. निजी कंपनियों को टीके का बिजनेस करने और मनमाना दाम तय करने के लिए छुट्टा छोड़ दिया गया है. क्या शासन की भटकी हुई प्राथमिकता लोगों के लिए मुसीबत बन रही है? कुछ ठोस उदाहरण के साथ भारत की भयावह कोरोना-स्थिति का आकलन कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश .
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